मुगल आक्रांता जहीरुद्दीन बाबर

—विनय कुमार विनायक
बाबर(1526-1530ई.)
चुगताई तुर्क तैमूरी पितृ वंश के
मंगोल बौद्ध चंगेजी मातृ रक्त से
एक बर्बर भारत आक्रांता जन्मा
नाम था उसका बाबर
माता थी कुतलुगनिगार
पिता उमर शेख मिर्जा था फरगना का सरदार
बाबर उज़्बेकिस्तानी अति महत्वाकांक्षी था
किन्तु शीघ्र हुआ वह बदनसीबी का शिकार
जब खदेड़ दिया उसको
अपनों ने अपनी ही जमीं से
वह निस्सहाय सा खड़ा था
अर्थ धन-धान्य की कमी से
फिर क्या लुटेरा तैमूरी रक्त ने
हिचकोला खाया शीघ्र ही
भारत लूटने की मंशा बनाई!
युग-युग से भारत का वैभव
बर्बर लुटेरों को भाया
हमारी फूट नीति से उन्होंने
सर्वदा लाभ ही पाया
ग्रीक शक, पहलव, कुषाण, हूण
गजनवी महमूद से गोरी तक
चोरी और सीनाजोरी की
नियत से भारत भू पर आया
बाबर भी उनमें ही एक था
जिसने दोहरा लाभ कमाया
देश के गद्दार दौलत खाँ,
इब्राहिम लोदी का चाचा;
आलम खाँ और कूटनीतिज्ञ
राणा सांगा के सहपर
भारत आया था बाबर
एक आक्रांता बनकर
दिन बीस/इक्कीस अप्रैल
सन् पंद्रह सौ छब्बीस में
पानीपत में एक बवंडर उमड़ा था
दो तूफान लड़ा था
दिल्ली सल्तनत उजड़ा था
लोदी इब्राहिम जमीं पर
लहूलुहान पड़ा था
बाबर विजेता बना खड़ा था।
बाबरी व्यूह रचना ‘तुलुगाना’
मंगोल सेना और तोपखाना
का था चमत्कार
कि लोदी के सैन्य समुद्र में
मच गया हाहाकार
अब दिल्ली और आगरा की
गद्दी पर बैठा था बाबर
किन्तु मेवाड़राज राणा सांगा से
बाबर को था भारी डर
एक सिंह था एक भैंसा
दोनों बीच निर्णय कैसा?
बाबर ने जिहाद किया
सांगा के सेनापति हसन मेवाती ने
दिया वक्त पे धोखा
वर्ना सिंह से भैंसा कब जीत पाया?
सोलह मार्च पन्द्रह सौ सताईस में
खान्वा के मैदान में
जब दोनों था आमने-सामने
आक्रांता बाबर गाजी बन गया
भारतीयों की आपसी फूट से
देसी राजाओं ने कहा कभी एकता?
फिर कैसे वर्ष भर में ही
मेदनी राय ने चंदेरी का किला
बाबर के हाथों गंवाया?
भेदभाव की भूमि है भारत
सबके नस में यह समाया
हिन्दू तो हिन्दू भारतीय मुस्लिम भी
इससे कहां उबर पाया?
सन् पन्द्रह सौ उन्तीस में बाबर ने
लोदी अफगानों को दुबारा
आसानी से किया घाघरा में अधमरा
पर किस भारतीय मुस्लिम ने
इस गुत्थी को शेरशाह से पूर्व समझ पाया?
तैमूरी बाबर पादशाह बना भारत का बादशाह
भारत पर बाबर ने किया आक्रमण पांच बार
कब्जा किया था भेरा पर पहली वार
वह आक्रांता था हिन्दुस्तान में मरा
प्रथम दफन हुआ रामबाग आगरा में
द्वितीय काबुल के कब्र में बना उसका मकबरा
वह तलवार बाज कलम का भी धनी था
तुर्की, फारसी, अरबी का जानकार
प्रकृति से था उसको बहुत ही प्यार
तुजुके बाबरी’ थी उसकी लेखनी की धार।
दिल्ली का आराम बाग
स्मारक काबुली बाग पानीपत का
जामी मस्जिद संभल का
लोदी मस्जिद, आगरा किला का
मुगल बाबर निर्माता था।
किन्तु पंद्रह सौ अठाईस में
बाबर ने रामजन्मभूमि मंदिर
बड़ी बर्बरता से तोड़ा
जिस राम ने ‘जननी जन्मभूमिश्च
स्वर्गादपि गरीयसी’ कहके
रावण की स्वर्णलंका छोड़ी
वैसे विश्व के भगवान की अवहेलना
बाबर को बड़ी महंगी पड़ी
जब पुत्र हुमायूं हुआ ग्रस्त असाध्य ज्वर से
तब बाबर ने पाप की माफी मांगी ईश्वर से
पुत्र के बदले खुदा ने बाबर की जान ले ली!
चार वर्षों की भारतीय सत्ता सुखद थी या नहीं,
उम्र सैंतालीस में इंतकाल दुखद होता सदा ही!
ईश्वर खुदा रब एक हैं सबके सब,
राम कहो या मरा,मरा करो
अंततः राम,राम हो जाते हैं सब!
भाषा,मजहब होते अलग-अलग,
ईश्वर खुदा रब एक हैं सबके सब!

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here