टॉप स्टोरी

कौन है जिसने भारत की पत्रकारिता को कब्जे में ले लिया है

-डॉ. अरविंद कुमार सिंह-  new_media_723112687

प्रिन्ट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का एक सच। चलिये एक छोटे से सवाल से लेख की शुरूआत करता हूं। यदि सम्पूर्ण प्रिन्ट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का प्रसारण एवं प्रकाशन बन्द कर दिया जाय तो हम राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य की घटनाओं तथा राजनेताओं के बारे में कितना जान पाते ? राहुल गांधी, अरविन्द केजरीवाल तथा नरेन्द्र मोदी के बारे में हम कितना जानते ? हमारी विचारधारायें सूचना के आभाव में कितनी धारदार हो पाती?

हिन्दी में हमने कभी एक कहावत पढ़ी थी – एकै साधै सब सधे, सब साधे सब जाय। आज की तारीख में प्रिन्ट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया इस कहावत पर खरी उतर रही है। हम वो नहीं जानते, जो हम जानना चाहते हैं। हम वो जानते हैं जो मीडिया हमें जनाना चाहती है। आप मनोहर परिकर के बारे में नहीं जानते, हां अरविन्द केजरीवाल के बारे में आप विस्तार से जानते हैं। आप गोधरा काण्ड के बारे में कम जानते हैं पर गुजरात दंगे के बारे में काफी विस्तार से जानते होंगे। कहते हैं जब गोधरा काण्ड हुआ तो दो दिनों तक देश के राजनेताओं के कण्ठ से आवाज नहीं निकली। जब इसकी प्रतिक्रिया शुरू हुयी तो राजनेताओं का कण्ठ ऐसा खुला की आज तक बन्द होने का नाम ही नहीं ले रहा है। यदि गुजरात दंगा गलत था तो गोधरा उससे भी गलत था। गोधरा की भर्त्सना इतनी ज्यादा होनी चाहिये थी कि दोबारा कोर्इ गुजरात दंगा देश में न होने पाये, पर हुआ ठीक उल्टा। गोधरा पर चर्चा इसलिये नहीं हुयी, क्योकि प्रत्येक दल को एक समुदाय विशेष का वोट खिसक जाने का डर था। जब समस्या पर चोट हमारे हितों को प्रभवित करता हो तो हमें समस्या के समाधानकर्ता पर सन्देह होता है।

आर्इये थोड़ा सा नजर डालें देश के प्रिन्ट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर। एक ऐसी वास्तविकता जिस पर शायद कोर्इ प्रिन्ट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया न तो बहस करा सकता है और ना ही समाचार लिख सकता है। आर्इये देखने का प्रयास करें आखिर कहां से देश की धड़कनों को कन्ट्रोल किया जा रहा है। चलते हैं जरा परदे के पीछे और देखते हैं उन मीडिया के चमकते चेहरों को जिनका मेकप एवं स्क्रिप्ट कोर्इ और लिखता है।

बात की शुरूआत गुजरात चुनाव से। गुजरात चुनाव के दौरान इस बात की तस्दीक हो चुकी है कि गैर-जिम्मेदाराना तरीके से प्रिन्ट एव इलेक्ट्रॉनिक मीडियाकर्मियों को सउदी अरब से मोदी एवं हिन्दूत्तववादी ताकतों को बदनाम करने के लिये धन मुहैया कराया गया, ये दीगर बात है कि वो अपने मकसद में कामयाब नहीं हुये। हिन्दूस्तान में आज की तारीख में कर्इ नामचीन प्रकाशन समूह है जिनमें खास तौर से टाइम्स ऑफ इंडिया, इंडियन एक्सप्रेस, द हिन्दुस्तान टाइम्स, हिन्दू ग्रुप, आनन्द बाजार पत्रिका, एनाडू ग्रुप, मलयालम मनोरमा ग्रुप, मातृभूमि ग्रुप, सहारा ग्रुप हैं। आइये जरा इन प्रकाशन ग्रुप समूहों के मालिकाना सिथति को देखें।

एनडीटीवी एक बहुत ही मशहूर टीवी चैनल है जिसकी मदद स्पेन के द्वारा हो रही है। हाल ही में इस चैनल के माध्यम से पाकिस्तान के प्रति नर्मी का रूख देखा जा सकता है। कारण स्पष्ट है पाकिस्तानी राष्ट्रपति ने इस चैनल को पाकिस्तान के आबो हवा में फलने-फूलने का मौका दे दिया है। इस सिलसिले में यह बताना भी उचित है कि भारतीय सीओ प्रणव राव प्रकाश करात के साथ भातृत्व का रिश्ता निभा रहे हैं जो भारतीय कम्यूनिष्ट पार्टी के महासचिव हैं, उनकी पत्नी वृंदा करात बहन की भूमिका में है।

इंडिया टूडे , जो भारत की राष्ट्रीय साप्ताहिकी हुआ करती है जिसे बीजेपी का समथर्क माना जाता है, एनडीटीवी के द्वारा खरीदी जा चुकी है। आज की तारीख में उसके नजरिये में हिन्दुत्व के प्रति आमूल-चूल परिवर्तन हो चुका है।

सीएनएन -आर्इबीएन। इस चैनल की शत-प्रतिशत वित्तीय सहायता इसार्इ मिशीनरी द्वारा संचालित होती है। इसकी तमाम शाखायें पूरी दुनिया में फैली हुयी हैं तथा मुख्यालय अमेरिका में है। इसार्इ मिशीनरी तकरीबन आठ सौ मिलयन डॉलर वार्षिक रूप से इसके विकास के लिये धनराशि आवंटित करती है। इसके भारतीय मुखिया राजदीप सरदेसार्इ और उनकी पत्नी सगारिका घोष है।

टाइम्स ग्रुप का परिवार काफी बड़ा है। इस परिवार में टाइम्स ऑफ इंडिया, मीड-डे, नवभारत टाइम्स, स्टारडस्ट, फेमिना, विजय टाइम्स, विजय कर्नाटका, टाइम्स नाउ ( 24 घण्टे न्यूज चैनल ) और भी बहुत से शामिल हैं। टाइम्स समूह का संचालन बैनेट एवं कोलमैन द्वारा होता है। इसके भी पीछे र्इसाइ मिशिनरी कार्यरत है जो तकरीबन 80 प्रतिशत इसकी वित्तीय आवश्यकताओं की पूर्ति करती है। इतना ही नहीं, बाकी का बीस प्रतिशत एक अंग्रेज तथा एक इटली निवासी बराबर का वहन करते हैं। इटली का यह मददगार रोबेरटो मिन्डो सोनिया गांधी का करीबी है।

स्टार टीवी का संचालन ऑस्ट्रिया से होता है जिसके पीछे एक बार पुन: मदद का हाथ र्इसाइयत का है। जहां तक हिन्दुस्तान टाइम्स का सवाल है तो इसके पीछे बिरला समूह है। हलांकि जब से शोभना भारतीय ने इसका कार्यभार सम्भाला है तब से यह चैनल टाइम्स ग्रुप के सहयोग के साथ कार्य करता हुआ देखा जा सकता है। द हिन्दू अंग्रेजी दैनिक तकरीबन सवा सौ साल पहले अपने अस्तित्व में आया। लेकिन हाल ही में उसे जोशुआ समाज द्वारा अधिगृहित कर लिया गया।

इंडियन एक्सप्रेस। यह समाचार पत्र भी दो समूहों में विभक्त है। द इंडियन एक्सप्रेस तथा न्यू इंडियन एक्सप्रेस। इसके पीछे भी र्इसाइ मिशिनरियां ही हैं। इनाडू तथा एक भारतीय व्यक्तित्व रामूजी राव जो फिल्मी दुनिया और स्टूडियोज के संसार में दखल रखते हैं, उनके द्वारा यह संचालित है।

आन्ध्र ज्येाति – इसके बारे में हकीकत ये है कि हैदराबाद की मुस्लिम पार्टी एमआर्इएम जो कि एक कांग्रेसी मंत्री के साथ अच्छे रिश्तों को रखती है, के द्वारा यह तेलगू दैनिक खरीदा जा चुका है।

द स्टेटमैन – कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के द्वारा संचालित हो रहा है। मातृभूमि के पीछे मुस्लीम लीग एवं कम्यूनिस्ट नेताओं का हाथ है। एनडीटीवी के लिये काम करने वाले राजदीप सरदेसार्इ तथा बरखा दत्त उस समय ( गुजरात दंगे ) के मुस्लिम हताहतों को प्रचारित एवं प्रसारित करने के लिये सउदी अरब से एक अच्छी खासी रकम प्राप्त किये।

तत्कालीन समय यह भी खुलासा हुआ कि नामी गिरामी सम्पादक तरूण तेजपाल जो आज की तारीख में जेल की सलाखों के पीछे हैं, बीजेपी एवं हिन्दुत्व को लक्ष्य बनाने के लिये अरब देशों से मान्यवर के पास धनराशि भेजी जाती थी।

अब तो यह निष्कर्षत: कहा जा सकता है कि भारतीय मीडिया का भारत में संचालन विदेशों के द्वारा हो रहा है और वो कब चाहेंगे इस देश में एक स्थिर और मजबूत सरकार हो।