कविता

शिव को अनेको नाम से क्यों पुकारा जाता है ?

देवो के देव हो तुम,इसलिए सारे जग में महादेव कहलाते |
बिष पीने से पड़ा कंठ नीला,इसलिए वे नीलकंठ कहलाते ||

दी सोने की लंका रावण को,इसलिए भोले बाबा कहलाते |
करते हो सब का कल्याण,इसलिए शिव भी तुम कहलाते ||

धरी है जटा शीश पर,इसलिए जटाधारी भी तुम कहलाते |
धारण किया है गंगा मैया को,इसलिए गंगाधर कहलाते ||

नागो के है आप ईश्वर,इसलिए नागेश्वर भी तुम कहलाते |
काम को किया था वश आपने,इसलिये कामेश्वर कहलाते ||

की थी पूजा राम ने भी ,इसलिए रामेश्वर तुम कहलाते |
पार्वती के पति है आप,इसलिए पार्वती पति भी कहलाते ||

सभी ईशो के है ईश आप,इसलिए महेश भी तुम कहलाते |
किया था स्रष्टि का संहार,इसलिए आप शंकर भी कहलाते ||

रखते हो त्रिशूल हाथ में,इसलिए आप त्रिशूलधारी कहलाते |
रखते हो डमरू हाथ में,इसलिए आप डमरूधारी कहलाते ||

वैसे तो इनके 108 नाम,पर सबको यहाँ नहीं लिख पाते |
हो जाते पढ़ते पढ़ते बोर,इस कविता को पूरी पढ़ न पाते || 

आर के रस्तोगी 
गुरुग्राम मो 9971006425