नि-रु39याीथ सकलानी

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जहां एक ओर दे-रु39या के युवाओं को न-रु39यो से दूर रहने की नसीहत देते हुए
-रु39याराब छोड़ने की लगातार अपील कर रहे हैं। वहीं दूसरी उत्तराखण्ड में उनकी ही सरकार पहाड़ों पर -रु39याराब
की फैक्ट्री खोलकर न-रु39यो के कारोबार से युवाओं का भवि-ुनवजयय चैपट करने का खाका तैयार करने में लगी
है।
इनदिनों मीडिया और सो-रु39याल मीडिया में इस बात की चर्चा जोर-ंउचय-रु39याोर से चल रही है कि राज्य सरकार ने
2016 में देवप्रयाग के डडुवा-ंउचयभंडाली क्षेत्र में ग्रामीणों को गुमराह कर हिलटाॅप नाम के ब्रांड
से -रु39याराब फैक्ट्री खोलकर विकास को एक नया आयाम देने का प्र-रु39यांसनीय कार्य किया है। बताया जा रहा है कि राज्य
सरकार ने ग्रामीणों से -हजयूठ बोलकर कि यहां पर पीने के पानी का प्लांट लग रहा है, जबरन गांव की जमीन पर पहले
कब्जा किया और बाद में ग्रामीणों से कागजों पर हस्ताक्षर करवाकर एनओसी भी जारी कर दी। कहने अर्थ यह
है कि राज्य सरकार ने स्थानीय लोगों को अंधेरे में रखकर 2016 में मैसर्स विन्दे-रु39यवरी एग्जीन प्राइवेट
लिमिटेड के नाम से प्लांट की स्थापना को स्वीकृति देकर ‘हिलटाॅप’ ब्रांड के नाम से -रु39याराब’ का उत्पादन
भी -रु39याुरू कर दिया।
मामला तब सार्वजनिक हुआ जब डेनिस नाम के ब्रांड की -रु39याराब के लिए चर्चित पूर्व मुख्यमंत्री हरी-रु39या रावत ने
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत को ई-ंउचयमेल भेज कर अपनी गलती स्वीकार करते हुए उन्हे उसमें सुधार करने की
चुनौती दी।
हिलटॉप ब्रांड -रु39याराब पर सबसे पहले हरी-रु39या रावत ने सो-रु39याल मीडिया पर सरकार को घेरने की -रु39याुरुआत की थी।
इसके जवाब में सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एक दिन पहले हरी-रु39या रावत के लिए कहा था कि वह खुद ही पौधा
लगाते हैं और खुद ही उसे उखाड़ देते हैं। इसके जवाब में पूर्व सीएम हरी-रु39या रावत ने सीएम के लिए लंबा
चैड़ा ई-ंउचयमेल भेज दिया। जिसमें राज्य की त्रिवेन्द्र सरकार पर तंज किया गया है। हरी-रु39या रावत का कहना था कि
उनके लगाए पौधे पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने हिलटॉप की कलम लगा दी है। बस यहीं से मुख्यमंत्री
त्रिवेन्द्र सिंह रावत और पूर्व मुख्यमंत्री हरी-रु39या रावत के बीच वाक् युद्ध की भी -रु39याुरू हो गई जो कि आज तक
थमने का नाम नहीं ले रही है। हरी-रु39या रावत के हिलटाॅप की कलम लगाने वाले बयान पर त्रिवेन्द्र सिंह रावत
भी कहां चुप बैठने वाले थे। वह भी बोल पड़े कि पानी की फैक्ट्री के लिए हरी-रु39या रावत को आबकारी
विभाग से अनुमति लेने की क्या जरूरत थी। क्या उत्तराखंड का पानी न-रु39याीला हो गया था। हरी-रु39या रावत का
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत को प्रे-िुनवजयात ई-ंउचयमेल जिसमें उन्होने लिखा है कि ‘आपने बहुत ठीक कहा
पौधा मैंने लगाया। मेरा लगाया पौधा, पानी व फ्रूटी बाटलिंग प्लांट का था। आपने बहुत ही कु-रु39याल
माली के तौर पर उस पर हिलटॉप की कलम लगा दी है। तो यदि कुछ गुण मु-हजयमें हैं, तो कुछ बडे़ गुण
आपमें भी हैं। आप बडे़ कलमकार हैं। उन्होने अपने ई-ंउचयमेल में लिखा है कि मेरे कार्यकाल में
केवल लाइसेंस दिया गया, जिस पर आगे की कार्रवाई आपकी पार्टी सहित स्थानीय लोगों के विरोध को देखते
हुए रोक दी गई।
यदि आप व्हिस्की बनाने का लाइसेंस नहीं देना चाहते, तो आपकी सरकार लाइसेंस का रिन्यूअल ही नहीं
करती। आपकी सरकार ने लाइसेंस का रिन्यूअल ही नहीं किया, बल्कि दो बार इस व्हिस्की प्लांट की अनापत्ति का
प्रमाणपत्र भी दिया, क्योंकि ऐसी प्र-रु39याासनिक अनुमति के बिना न तो निर्माण कार्य हो सकता है और न ही
व्हिस्की की ब्लेडिंग और बाटलिंग हो सकती है। अनापत्ति प्रमाणपत्र भी कहीं न कहीं सरकार की सहमति से
ही दिया गया है। भाजपा बहुत चतुराई से कौवे को भी तीतर बताकर खा जाती है। आज आपने भांग व
व्हिस्की के बाटलिंक प्लांट में रोजगार व पहाड़ी फलों की खपत देखी है, ये आपकी ही पार्टी थी, जिसने
वाणिज्यिक भांग की खेती के हमारे कदम का भी विरोध किया। आप मीठा-ंउचयमीठा गप-ंउचयगप, कड़वा-ंउचयकड़वा

थू-ंउचयथू नहीं कर सकते। ये आपकी पार्टी के आंदोलनों का प्रभाव था कि जिसके चलते देवप्रयाग के
तत्कालीन विधायक मंत्री प्रसाद नैथानी ने मु-हजये बाध्य किया कि मैं प्रदत्त लाइसेंस पर कार्रवाई को तत्काल
रोक दूूं। मंैने कार्रवाई रोकी।
आप हिलटॉप के नाम पर रोजगारदाता बनें, फलों को खपाने वाले बनें, और लाइसेंस देने की नीति के
लिए मु-हजये दो-ुनवजया दें। दोनों एक साथ नहीं चल सकते हैं। हमने मैदानों में डिस्टलरीज, फ्रूट हिल्स
में वाइनरीज व रागी बीयर प्लांट तथा मध्य हिमालय में फ्रूट वाइन्स व वाटर तथा ऑयल बाटलिंग प्लांट लगाने
की नीति पर काम किया। समय कम मिला, हम इन नीतियों को पूर्णतः धरातल पर नहीं उतार पाए। आपकी पार्टी को
भी अब हमारी इस नीति का अनुसरण करना पडे़गा। इसके लिए सत्यता को खुलकर स्वीकार करें। साहस दिखाएं,
आपकी पार्टी तो उत्तराखंड में डेनिस व स्टिंग स्टिंग के गर्भ से पैदा हुई है। जैसा बोया अब आप
वैसा काटने को तैयार रहें। हर बात के लिए हमें दो-ुनवजया देना छोड़िए, हमने जो अच्छा किया है, उसे
स्वीकारते हुए आगे ब-िसजय़ए।’
हिलटाॅप पर यहां मुख्यमंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री के बीच जबानी जंग जल ही रही थी कि इसमें पूर्व
कैबिनेट मंत्री और देवप्रयाग के पूर्व विधायक मंत्री प्रसाद नैथानी भी बीच में कूद पड़े और
उन्होनेे हिलटॉप प्रकरण में पूर्व सीएम विजय बहुगुणा को भी लपेट लिया है। मंत्री प्रसाद नैथानी ने
बाकायदा एक प्रेस कांफ्रेंस करके कहा कि हरी-रु39या रावत सरकार में फ्रूट वाइन के बाटलिंब प्लांट के लिए अनुमति दी
गई, लेकिन इससे पहले विजय बहुगुणा सरकार के जमाने से ही इसके लिए प्रक्रिया -रु39याुरू हो गई थी। उन्होंने
कहा कि मुख्यमंत्री और उनकी पार्टी कांग्रेस, पूर्व सीएम हरी-रु39या रावत और उन्हें बदनाम करने की साजि-रु39या रची
रही है। मंत्री प्रसाद ने मीडिया को बताया कि तत्कालीन हरी-रु39या रावत सरकार ने बाटलिंग प्लांट की अनुमति दी
गई थी, लेकिन त्रिवेंद्र रावत सरकार में यहां से प्रोडक्-रु39यान होने लगा है। 2016 में जब इसकी अनुमति दी
गई थी, तब हमारे स्तर पर विरोध के बाद तत्कालीन सीएम हरी-रु39या रावत ने इस अनुमति को निरस्त कर दिया था। तब
भाजपा के जो लोग खिलाफ थे, वे आज इसके पक्ष में खडे़ दिख रहे हैं।
हिलटाॅप ब्रांड की -रु39याराब के कारखाने को लेकर एक ओर जहां भाजपा और कांग्रेस एक दूसरे की पोल
खोलने में लगे हैं वहीं दूसरी ओर क्षेत्रीय दल उक्रांद इसके लिए भाजपा और पूर्ववर्ती कांग्रेस
दोनों ही सरकारों को बराबर का दो-ुनवजयाी करार दिया है। उत्तराखण्ड क्रांतिदल के केंद्रीय अध्यक्ष और
तत्कालीन भाजपा सरकार में मंत्री रहे दिवाकर भट्ट ने तो यहां तक कह दिया कि भाजपा सरकार गंगाजल भले ही
गांव-ंउचयगांव तक न पहुंचा पाई हो, लेकिन -रु39याराब को घर-ंउचयघर पहुंचाया जा रहा है। पहाड़ में जगह-ंउचयजगह
-रु39याराब पहुंचाने के लिए पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने जिस काम को -रु39याुरू किया। भाजपा उसी काम को अब आगे
ब-सजय़ा रही है। भट्ट ने बाकायदा मुख्यमंत्री को ज्ञापन देकर हिलटॉप -रु39याराब फैक्ट्री को तत्काल बंद न करने पर
आंदोलन की चेतावनी भी दी है।
उक्रांद के पूर्व मुख्य प्रवक्ता सती-रु39या सेमवाल के मुताबिक पूरा पहाड़ -रु39याराब विरोधी है, -रु39याराब के विरोध
में जगह-ंउचयजगह आंदोलन होते रहे हैं। इसके बाद भी रोजगार के बजाए गांव व घरों तक -रु39याराब पहुंचाई
जा रही है। सरकार की गलत नीतियों के विरोध में उक्रांद प्रदे-रु39या व्यापी आंदोलन करेगा। गौरतलब है कि इस
समय प्रदे-रु39या में आठ बॉटलिंग प्लांट चल रहे हैं। इसमें ऊधमसिंह नगर में दो मैसर्स रेडिको खेतान
लिमिटेड बाजपुर एवं मैसर्स का-रु39याीपुर ब्रेवर्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम से बॉटलिंग प्लांट हैं। जबकि
देहरादून में मैसर्स गोल्डमैन डिस्टिलरी मोहब्बेवाला, हरिद्वार में दो मैसर्स दून वैली ब्रुवरीज
लिमिटेड औरंगजेबपुर रुड़की एवं मैसर्स सार्थक ब्लैण्डर्स एंड बॉटलर्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम से
बॉटलिंग प्लांट है। इसके अलावा नैनीताल में मां -रु39याीतला उद्योग प्राइवेट लिमिटेड भीमताल, पौड़ी
में श्रीराम एग्रीवेंचर प्राइवेट लिमिटेड सतपुली एवं टिहरी में विंदेश्वरी एग्जीन प्राइवेट लिमिटेड देवप्रयाग
बॉटलिंग प्लांट है। प्रदे-रु39या में वर्तमान में तीन डिस्टिलरी चल रही हैं। जबकि एक और -रु39याुरू होने वाली
है। दून वैली, लक्सर हरिद्वार एवं आईजीएल का-रु39याीपुर के बाद अब उत्तम -रु39याुगर मिल लिबरहेडी हरिद्वार में
लिस्टिलरी प्रस्तावित है। विभागीय अधिकारियों के मुताबिक इस पर काम -रु39याुरू हो चुका है। जबकि टिहरी में
मैसर्स हाईलैण्ड बॉटलर्स एंड लैण्डर्स के नाम से बॉटलिंग प्लांट प्रस्तावित है। बहरहाल सत्ता के गलियारों
में बैठे लोग और पूर्व मुख्यमंत्री हरी-रु39या रावत सहित अन्य विपक्षी हिलटाॅप को लेकर जो भी
आरोप-ंउचयप्रत्यारोप एक दूसरे पर लगाते रहे हों। पर एक बात तो स्प-ुनवजयट है कि भाजपा और कांग्रेस दोनों ही
उत्तराखण्ड के भवि-ुनवजयय को अपने-ंउचयअपने कारनामों से चैपट करने में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़
रहे हंै। लेकिन इतिहास साक्षी है कि जब-ंउचयजब -रु39याराब ने पहाड़ों पर च-सजय़ने की को-िरु39या-रु39या की है तब-ंउचयतब यहां के
लोगों ने एक जुट होकर उसे पहाड़ से खदेड़ कर ही दम लिया है। अब देखना यह है कि हिलटाॅप को
पहाड़ों से नीचे उतारने में पहाड़ के लोगों को कितनी म-रु39याक्कत करनी पड़ती है। (लेखक
देहरादून के वरि-ुनवजयठ पत्रकार एवं प्रमुख स्तभकार हैं)

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नि-रु39याीथ सकलानी
खानपुर से भाजपा विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंम्पियन नाम के ही नहीं अपितु विवादों के भी
चैंम्पियन हो गये हैं। पहले कांग्रेस में और फिर भाजपा में आने के बाद भी विवाद उनका पीछा
छोड़ने का नाम नहीं ले रहे हैं या यूं कहें कि विवादों से उनका चोली दामन का साथ है।

प्रदे-रु39या की पहली निर्वाचित कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी के -रु39यापथ ग्रहण से आज तक
चंैम्पियन लगातार सुर्खियों में रहे हैं। कांग्रेस में रहते हुए उन्होंने पार्टी व सरकार को समय-ंउचयसमय पर
अपने कारनामों से जवाबदेही बनाये रखा। भाजपा जैसी अनु-रु39याासित कहे जाने वाली पार्टी में आने के बाद
भी वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आये। उनके विवादित कारनामों का ही परिणाम है कि पहले भाजपा ने
उनका अल्पकालिक निलम्बन किया और फिर 6 व-ुनवजर्या के लिए बाहर का रास्ता दिखा दिया।
भाजपा विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंम्पियन से जुड़ा नया विवाद तब सामने आया जब उनका एक वीडियो
वायरल हो गया। इस वीडियो में वह -रु39याराब के न-रु39यो में तमंचांे के साथ डांस करते हुए उत्तराखण्ड के लिए
अत्यंत आपत्तिजनक व अमर्यादित -रु39याब्दों का प्रयोग कर रहे हैं। विवादों की फेहरिस्त में उनका यह सबसे नया
घृणित कारनामा है। उक्त वीडियो का संज्ञान लेते हुए राज्य सभा सदस्य व भाजपा के रा-ुनवजयट्रीय प्रवक्ता अनिल
बलूनी ने इस पर कड़ी आपत्ती जताते हुए मामले से भाजपा के रा-ुनवजयट्रीय अध्यक्ष अमित -रु39यााह को भी अवगत करा दिया
है। बताया जाता है कि चैंम्पियन की इस हरकत से पार्टी हाईकमान खासा नाराज है।
विवादों के चैंम्पियन कुंवर प्रणव के कारनामों का सिलसिला राज्य गठन के बाद पहली निर्वाचित सरकार के
सत्तारू-सजय़ होने के साथ ही -रु39याुरू हो गया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी के समय राज्य की
कांग्रेस सरकार को निर्दलीय विधायक के रूप में जीते चैंम्पियन ने अपना समर्थन इसलिए दिया था। कि -रु39याायद
उन्हे मंत्रीमण्डल में स्थान मिल जाये।
उस समय -रु39यापथ ग्रहण के दौरान वह पूरी तैयारी के साथ आए थे। लेकिन नाम न आने पर उन्होंने खासी
नाराजगी जताई थी। इसके प-रु39यचात 2003 में चैंम्पियन पर लक्सर में मगरमच्छ का -िरु39याकार करने के आरोप लगे थे।
उनकी इस हरकत पर वन विभाग ने उनके ऊपर मुकदमा भी दर्ज किया था। राजनैतिक रसूख के चलते उस समय इस
मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई।
विवादों के चैंम्पियन पर मंगलौर में जनवरी 2009 में हवाई फायरिंग का एक मामला भी दर्ज हुआ
था लेकिन उसमें भी कारवाई बेनतीजा रही। सन् 2011 में चैंपियन पर तत्कालीन विधायक व मौजूदा
विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल के समर्थकों ने मारपीट का मुकदमा दर्ज कराया इस पर अभी तक कोई
कार्रवाई अमल में नहीं लायी गई। इसी व-ुनवजर्या रुड़की के एक होटल मालिक पर फायरिंग करने का भी उनपर
आरोप लगा। इस मामले में मुकदमा तो दर्ज हुआ, लेकिन पुलिस कोई कार्यवाही करना उचित नहीं सम-हजया।
व-ुनवजर्या 2015 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार में कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के यमुना कॉलोनी, देहरादून
स्थित आवास पर एक पार्टी के दौरान चैम्पियन ने जो-रु39या में हवाई फायर कर दिया था जिसमें कांग्रेस के दो
कार्यकर्ता घायल हो गए थे। उस समय भी यह मामला रफादफा कर दिया गया। सन् 2016 में हरी-रु39या रावत सरकार के
समय जब सत्ता के गलियारों में बगावत का -हजयंडा बुलंद हो रहा था तो विधायक चैंम्पियन भी बगावत कर
भाजपा में -रु39याामिल हो गये। भाजपा में -रु39याामिल सभी बागियों को जब भाजपा ने 2017 के विधासभा
चुनावों में भाजपा से टिकट दिया तो चैम्पियन को भी टिकट मिला और वह चुनाव जीत गये। उस समय भी
उन पर नामांकन के दौरान हथियारबंद समर्थकों को ले जाने के आरोप लगे थे।
उसके बाद अभी हाल ही में भाजपा विधायक दे-रु39याराज कर्णवाल से हुई तकरार मीडिया की सूर्खियों
में रही है। इसी बीच दिल्ली में एक पत्रकार के साथ विवाद का उनका एक वीडियो वायरल हुआ तो पार्टी ने
उन्हे तीन माह तक के लिए प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया।
निलंबन का यह प्रकरण अभी चर्चाओं में ही था कि इस बीच उन्होने एक और विवादित कारनामा कर
डाला। इस बार विवादों के चैंम्पियन कुंवर प्रणव सिंह का एक ऐसा वीडियो वायरल हो गया जिसने राज्य की
राजनीति में तुफान खड़ा कर दिया। वीडियो में चैंम्पियन ने जो टिप्पणी की है उसने भाजपा को मजबूर
कर दिया है कि वह उन्हें बाहर का रास्ता दिखाने दिखाये।
चैंम्पियन ने इस वीडियों में -रु39याराब के जाम के साथ तमंचे लहराते हुए उत्तराखंड की अस्मिता पर चोट
करते हुए बड़े ही आपत्तिजनक -रु39याब्द कहे हैं। इससे पूर्वं भी वह पहाड़ और पहाड़ियों पर अपमानजनक
टिप्पणियां कर चुके हैं। लेकिन उनकी इस बार की घृणित टिप्पणी ने राज्य के आम जनमानस को आक्रो-िरु39यात व
आंदोलित कर दिया है। जिस तरह की उन्होने टिप्पणी की है उसे सुनने के बाद भाजपा तो क्या, कांग्रेस
भी उन्हें वापस पार्टी में लेने से पहले सौ बार सोचेगी।
कुल मिलाकर चैम्पियन की इस अभद्र टिप्पणी से जहां एक ओर राज्य की छवि धूमिल हुई है वहीं उस
टिप्पणी ने उनके राजनीतिक भवि-ुनवजयय की चूलें भी हिला कर रख दी हैं। भाजपा ने चैंम्पियन द्वारा वीडियो
में की गई विवादित टिप्पणी का उच्चस्तरीय संज्ञान लेते हुए पहले उन्हे नोटिस थमाया फिर 6 व-ुनवजर्याो के लिए
पार्टी से निलंबित कर दिया।
जबकि इससे पहले पार्टी के रा-ुनवजयट्रीय उपाध्यक्ष और प्रभारी -रु39ययाम जाजू ने कहा था कि उन्होंने केंद्रीय
नेतृत्व से चैम्पियन के नि-ुनवजयकासन की सिफारि-रु39या की है, जिसे मान लिया गया। उन्होंने पहले ही कह दिया था कि

चैम्पियन को नि-ुनवजयकासित कर दिया गया है। चैम्पियन को पार्टी से बाहर करने की बात कई नेता पहले से तय मान रहे
थे। भाजपा के प्रदे-रु39या मीडिया प्रमुख डॉ. देवेंद्र भसीन ने प्रदे-रु39या पार्टी कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत
में चैम्पियन के नि-ुनवजयकासन से इनकार करते हुए कहा था कि चैम्पियन के नए वीडियो के संबंध में पार्टी ने
उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया।
जवाब मिलने के बाद संगठन इस वि-ुनवजयाय में कोई निर्णय लेगा। नोटिस में उनसे पूछा गया है कि
वीडियो के संदर्भ में क्यों न पार्टी से नि-ुनवजयकासित कर दिया जाए। नोटिस का जवाब देने के लिए उन्हें 10 दिन
का समय दिया गया था। यह भी नोटिस में कहा गया था कि जवाब प्राप्त होने या न प्राप्त होने की द-रु39याा में
संगठन अपना निर्णय लेगा। कार्रवाई की जो भी स्थिति बनेगी, उसे केंद्रीय नेतृत्व को संस्तुति
भेजेगा। पूर्व में विधायक चैम्पियन का तीन माह का निलंबन अनि-िरु39यचतकाल के लिए कर दिया गया था।
उन्होंने कहा कि पार्टी के रा-ुनवजयट्रीय उपाध्यक्ष व प्रदे-रु39या प्रभारी -रु39ययाम जाजू ने भी अपने स्तर पर प्रकरण का संज्ञान
लेते हुए केंद्रीय नेतृत्व से विधायक चैंपियन के नि-ुनवजयकासन की सिफारि-रु39या की थी। उन्होने कहा था कि किसी
विधायक या सांसद को पार्टी से नि-ुनवजयकासित करने का अंतिम अधिकार केंद्रीय नेतृत्व को है। इसीलिए पार्टी
केंद्रीय नेतृत्व से कार्रवाई की सिफारि-रु39या करेगी।
सूत्रों की मानें तो भाजपा से चैम्पियन का नि-ुनवजयकासन पहले ही तय था। यही वजह है कि भाजपा के प्रदे-रु39या
प्रभारी -रु39ययाम जाजू ने उनके नि-ुनवजयकासन की घो-ुनवजयाणा करने में कोई संकोच नहीं किया। लेकिन संगठन स्तर पर
किसी जनप्रतिनिधि के नि-ुनवजयकासन की एक प्रक्रिया है। पार्टी अपनी इस संविधानिक प्रक्रिया से बंधी है। इसके अनुसार,
किसी सांसद या विधायक के खिलाफ कार्रवाई करने से पहले पार्टी को उसे 10 दिन का नोटिस देना आव-रु39ययक है।
जवाब प्राप्त होने के बाद पार्टी एक्-रु39यान ले सकती है। भाजपा ने भी चैम्पियन को नोटिस देकर नि-ुनवजयकासन की
प्रक्रिया पहले ही -रु39याुरू कर दी थी। यह स्प-ुनवजयट था कि वीडियो में जिस तरक की भा-ुनवजयाा चैम्पियन द्वारा बोली गई वह
एक जनप्रतिनिधि के बेहद -रु39यार्मनाक है। इसलिए यह तय था कि इस तरह की भा-ुनवजयाा बोलने वाले और उत्तराखंड
को गाली देने वाले के लिए भाजपा ही नहीं अपितु किसी भी दल में कोई जगह नहीं होनी चाहिए। लेकिन
देर आये दूरूस्त आये की कहावत को चरितार्थ करते हुए अखिरकार भाजपा ने कुंवर प्रणव सिंह चैम्पियन को
बाहर का रास्ता दिखा ही दिया। (लेखक देहरादून के वरि-ुनवजयठ पत्रकार एवं प्रमुख स्तभकार हैं)

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