
योगेश कुमार गोयल
संसद की नई इमारत के निर्माण का मामला फिलहाल सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है लेकिन अदालत की अनुमति के बाद पिछले दिनों इसका शिलान्यास किया जा चुका है। इसके निर्माण कार्य पर करीब 971 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। इसे लेकर कुछ लोगों द्वारा सवाल खड़े किए जा रहे हैं कि अंग्रेजों के जमाने में बने पुराने भव्य और मजबूत संसद भवन के सही हालत में होने के बावजूद इतनी बड़ी धनराशि खर्च कर नया भवन बनाने की जरूरत क्यों पड़ी? माना कि नई इमारत के निर्माण पर करोड़ों रुपये खर्च होंगे लेकिन सरकार के हर फैसले में कमियां तलाशते रहना भी सही नहीं है। जायज मुद्दों पर सरकारी नीतियों के विरोध में बुराई नहीं लेकिन संसद की नई इमारत के निर्माण के फैसले का विरोध कितना जायज है, यह भी देखना होगा।
संसद की नई इमारत में दोनों सदनों की सीटों की संख्या को बढ़ाया जाना है ताकि भविष्य में लोकसभा और राज्यसभा में सीटें बढ़ती हैं तो किसी प्रकार की कोई दिक्कत न हो। वर्ष 2026 में नए सिरे से लोकसभा सीटों के परिसीमन का कार्य होना है, जिसके बाद लोकसभा और राज्यसभा की सीटें बढ़ना तय माना जा रहा है। फिलहाल लोकसभा में 545 सांसद हैं और मौजूदा लोकसभा में इतने ही संसद सदस्यों के बैठने की जगह है लेकिन परिसीमन का कार्य होने के बाद सांसदों की संख्या मौजूदा 545 से बढ़कर 700 से ज्यादा हो सकती है। वैसी स्थिति में समझा जा सकता है कि बाकी 150 से ज्यादा सांसद कहां बैंठेंगे। इसी प्रकार राज्यसभा की सीटें भी बढ़ सकती हैं। यही कारण है कि भविष्य की इन जरूरतों को पूरा करने के लिए नए भवन की जरूरत पड़ेगी।
नए भवन का शिलान्यास करते समय प्रधानमंत्री ने भी स्पष्ट किया था कि सांसद कई वर्षों से मांग कर रहे थे कि मौजूदा संसद भवन में उनकी जरूरतों के हिसाब से व्यवस्था नहीं है, न ही संसद भवन में सांसदों के कार्यालय हैं। परेशानी यह है कि मौजूदा संसद भवन परिसर में जगह की कमी के कारण ये तमाम व्यवस्थाएं असंभव हैं। नए संसद भवन में प्रत्येक सांसद को कार्यालय के लिए 40 वर्ग मीटर स्थान उपलब्ध कराया जाएगा। संसद की नई इमारत में राज्यसभा का आकार पहले के मुकाबले बढ़ेगा तथा लोकसभा का आकार भी मौजूदा से तीन गुना ज्यादा होगा।
हालांकि संसद की नई इमारत के निर्माण पर कुछ बिन्दुओं को लेकर उच्चतम न्यायालय में सुनवाई हो रही है लेकिन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला का कहना है कि संसद का नया भवन बनाने के लिए रेल तथा परिवहन भवन को नहीं तोड़ा जाएगा। उनके मुताबिक नई इमारत बनाने के लिए परिसर के अंदर ही 8822 वर्ग मीटर खाली जगह उपलब्ध है, ऐसे में नया भवन बनाने के लिए बाहर के किसी भवन को गिराए जाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। लोकसभा सचिवालय के मुताबिक संसद की नई इमारत में प्रत्येक सांसद के लिए अलग ऑफिस होगा और हर ऑफिस सभी आधुनिक डिजिटल तकनीकों से लैस होगा। नई संसद में सांसदों के कार्यालयों को पेपरलेस ऑफिस बनाने के लिए नवीनतम डिजिटल इंटरफेस से लैस किया जाएगा और इन दफ्तरों को अंडरग्राउंड टनल से जोड़ा जाएगा। सदन में प्रत्येक बेंच पर दो सदस्य बैठ सकेंगे और हर सीट डिजिटल प्रणाली तथा टचस्क्रीन से सुसज्जित होगी। नए भवन में कॉन्स्टीट्यूशन हॉल, सांसद लॉज, लाइब्रेरी, कमेटी रूम, भोजनालय और पार्किंग की व्यवस्था होगी और भवन में करीब 1400 सांसदों के बैठने की व्यवस्था की जाएगी।
नया भवन सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के तहत मौजूदा संसद भवन के पास ही बनाया जाएगा, जिसके निर्माण के लिए टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड को टेंडर मिला है। संसद की नई इमारत का कार्य करीब 22 माह में पूरा होने का अनुमान है। संभावना है कि नवम्बर 2022 से नये भवन में ही लोकसभा तथा राज्यसभा के सत्रों का आयोजन होगा। नया संसद भवन त्रिकोणीय होगा, जिसका निर्माण वैदिक रीति से वास्तु के अनुसार किया जाएगा। वास्तुविदों ने संसद के नए भवन को बनाने के लिए कई देशों की संसद का निरीक्षण कर उनसे प्रेरणा ली। नयी इमारत में रेन हार्वेस्टिंग प्रणाली तथा वाटर रिसाइकलिंग प्रणाली भी होगी। यह वायु एवं ध्वनि प्रदूषण से पूरी तरह मुक्त होगी और इसमें सौर प्रणाली से ऊर्जा की बचत भी होगी। तमाम सुरक्षा सुविधाओं से लैस त्रिकोणीय आकार की इस भव्य इमारत को भूकम्प रोधी तकनीक से बनाया जाएगा।
64500 वर्गमीटर क्षेत्र में बनने वाले नए संसद भवन में एक बेसमेंट के अलावा तीन फ्लोर होंगे, जिसकी ऊंचाई संसद के मौजूदा भवन के बराबर ही होगी। लोकसभा कक्ष का डिजाइन राष्ट्रीय पक्षी मयूर जैसा होगा जबकि राज्यसभा कक्ष का डिजाइन राष्ट्रीय पुष्प कमल जैसा किया जाएगा। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला के अनुसार संसद का नया भवन केवल ईंट-पत्थर का भवन नहीं होगा बल्कि यह देश के एक सौ तीस करोड़ लोगों की आकांक्षाओं का भवन होगा, जिसके निर्माण में आगामी सौ वर्षों से अधिक की जरूरतों पर ध्यान दिया जा रहा है। उनका कहना है कि हमारी संसद लोगों के विश्वास और आकांक्षाओं का प्रतीक है और संसद का नया भवन सभी राज्यों की उत्कृष्ट कला, संस्कृति और विविधताओं से परिपूर्ण होगा, जो लोगों के लिए प्रेरणा का केन्द्र भी होगा।