मुस्लिम घुसपैठियों पर चुप्पी क्यों?

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-प्रवीण दुबे-   naxals
घुसपैठ विशेषकर मुस्लिम घुसपैठ को लेकर हमारी केन्द्र सरकार अपने मुंह पर मुसीका क्यों लगा लेती है? कश्मीर में पाकिस्तान से और पूर्वोत्तर के राज्यों में बांग्लादेश से होने वाली मुस्लिम घुसपैठ पर यह सरकार कभी खुलकर नहीं बोलती और न इन्हें रोकने के लिए कोई कड़े कदम उठाए जाते हैं। अब एक अन्य देश वर्मा (म्यांमार) से भी बड़ी संख्या में मुस्लिम घुसपैठियों के  भारत में घुसने की खबर समाचार एजेंसियों से लगातार प्राप्त हो रही हैं। इस मामले में भी भारत सरकार ने अभी तक अपना मत स्पष्ट नहीं किया है। जैसी कि जानकारी आ रही है उसके मुताबिक म्यांमार की सरकार ने वहां रहने वाले मुसलमानों को अपने यहां का स्थाई नागरिक मानने से इंकार कर दिए जाने के बाद वहां से मुसलमान मणिपुर के निकट लगने वाली भारतीय सीमा से बिना रोकटोक भारत में प्रवेश कर रहे हैं। यह भी जानकारी मिल रही है कि ये मुस्लिम घुसपैठिए हैदराबाद में कुछ स्थानीय मुस्लिम संगठनों की मदद से रह रहे हैं। बड़े आश्चर्य की बात है कि कोई भी विदेशी नागरिक बिना किसी अनुमति के भारत की सीमा में घुस आता है और स्थानीय मदद से उनके रहने की व्यवस्था भी की जा रही है। इतना सब कुछ समाचारों के द्वारा उजागर भी हो रहा है। बावजूद इसके भारत सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है। मानवीय दृष्टिकोण से मुसीबत में फंसे किसी दूसरे देश के नागरिकों की सहायता करना हमारा कर्तव्य है, लेकिन जब किसी दूसरे देश के नागरिक बिना बताए हमारी सीमा में प्रवेश करें और हमारे देश में स्थाई रूप से बस जाएं तो देश की सुरक्षा की दृष्टि से इसे कतई स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए। यह उस स्थिति में और भी ज्यादा खतरनाक है जबकि जिस देश से यह भारत में प्रवेश कर रहे हैं उस देश ने ही इन्हें अपना स्थाई नागरिक मानने से इंकार कर दिया है। इस बात के समाचार भी आ रहे हैं कि म्यांमार सरकार ने मुसलमानों के प्रति यह कड़ा रवैया इस कारण से अख्तियार किया है क्योंकि मुसलमानों द्वारा वहां के स्थाई निवासी बौद्धों पर शुरुआत में लगातार हमले बोले गए और अब वहां सांप्रदायिक दंगों के हालात पैदा हो गए हैं। इसकी शुरुआत मुसलमानों द्वारा एक बौद्ध महिला के साथ किए गए बलात्कार से हुई और हालात आपे से बाहर हो गए हैं। सर्वविदित है कि भारत के साथ म्यांमार के बहुत पुराने निकट संबंध रहे हैं। वर्तमान में भी मणिपुर से लगी म्यांमार सीमा से दोनों देशों के स्थानीय निवासी खुला व्यापार करते हैं। निकट से लगे म्यांमार के गांवों में रहने वाले परिवारों के बच्चे भारत में स्कूली शिक्षा प्राप्त करने आते रहे हैं। ऐसी स्थिति में म्यांमार से निर्वासित मुसलमानों को भारत में शरण दिए जाने से म्यांमार के साथ भारत के अच्छे संबंधों पर भी असर डाल सकता है। अत: यह एक बेहद चिंता का विषय है। वैसे भी अगर देखा जाए तो भारत पहले से ही बांग्लादेश से भारत में प्रवेश करने वाले करोड़ों बांग्लादेशी घुसपैठियों की तमाम भारत विरोधी गतिविधियों से परेशान है। कुछ माह पूर्व हुए असम के दंगों में इन बांग्लादेशी घुसपैठियों ने न केवल असम बल्कि अन्य प्रदेशों में भी जमकर हिंसाचार किया था। अत: घुसपैठियों को नजर अंदाज करना भारत के लिए बेहद खतरनाक कहा जा सकता है। बड़े दुख की बात है कि कांग्रेस जैसे तमाम अन्य राजनैतिक दल भारत में लगातार प्रवेश करने वाले मुस्लिम घुसपैठियों का इस्तेमाल वोट बैंक के रूप में करते रहे हैं। यही वजह है कि मुस्लिम घुसपैठ पर यह आंख मूंदे रहते हैं। ऐसे भी तमाम प्रमाण सामने आ चुके हैं जिनसे सिद्ध हो चुका है कि कांग्रेस द्वारा मुस्लिम घुसपैठियों के राशन कार्ड, वोटर कार्ड आदि बनाए जाने में मदद की जाती है और फिर इनके सहारे यह भारत के मूल निवासी बन जाते हैं। हाल ही में एक छात्र संगठन अभाविप द्वारा किए देशव्यापी सर्वेक्षण से सामने आया है कि वर्तमान में भारत के विभिन्न शहरों में साढ़े तीन करोड़ से अधिक मुस्लिम बांग्लादेशी घुसपैठिये रह रहे हैं। ऐसी स्थिति में अब म्यांमार के रास्ते भारत में जारी अवैध घुसपैठ बेहद चिंता का विषय कही जा सकती है।

2 COMMENTS

  1. यह पार्टी का भावी वोट बैंक है.मोदी और बी जे पी के नाम पर डराकर वोट इनसे ही मांगे जायेंगे व मिलेंगे भी.यह सिलसिला तो कब से ही चालू है.कुछ दिन में देश में हिन्दू अलपसंख्यक होगा व मुल्क में मुस्लिम बहुसंख्यक.वोट के लिए कुछ भी सम्भव है.अन्यथा सख्ती बरत कर कभी से रोका जा सकता था

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