यमलोक में यमराज का चुनाव

  आत्‍माराम यादव पीव 

नर्मदातट की अपनी महिमा है, भगवान क़ष्‍ण शिशुपाल के 100 अपराध तक माफ करने की सहनशक्ति रखते थे, तभी हज जाने के लिये बिल्‍ली जैसे मॉसाहारी जीव को भी सौ-सौ चूहे खाने अर्थात दो सौ अपराध करने की छूट मिल चुकी थी, यह अलग बात है कि वह पूरी जिंदगी में हजार से ज्‍यादा चूहे चट कर जाये, पर यहॉ हम  किसी तीर्थ्‍ की नहीं, बल्कि यमलोक की बात कर रहे है जहॉ आदतन अपराधी के अनगिनत अपराध की बात छोडिये, अरे बचपन में की गयी जरा सी चूक, या भूल भी बडे अपराध में मानी जाकर तुरन्‍त यमराज उस म़तजीव को सूली पर टॉगने के लिये कुख्‍यात है, फिर अनगिनत अपराध के लिये क्‍या दुर्गति होने वाली है यह सोचकर आपकी रूह कॉप उठेगी ।

नर्मदा स्‍नान और दर्शनों का महत्‍व यॅू ही नहीं है, बिन्‍दास सौ, दो सौ, हजार नहीं तुम लाख अपराध कर लेना नर्मदार्शन से ही वे सभी अपराध पुण्‍य में तब्‍दील हो जायेंगे, आप मानते हो न कि नर्मदा दर्शनों का पुण्‍य कितना जर्वजस्‍त है, तो तुम भाग्‍यशाली हो जो दर्शन के साथ स्‍नान करके डबल पुण्‍य का स्‍टाक जोडते रहे हो, महापापी होकर भी महापापी होने का तुम्‍हारा यह घटियल भाग्‍य नर्मदा दर्शनों से तुम्‍हें महापुण्‍यात्‍मा का अर्थात देवतुल्‍य बना रहा है। कॉटे तो कॉटे होते है, उनका स्‍वभाव ही है कि वे चुभे, पर पुण्‍य का महत्‍व पुराणों में है, यानि पुराण कहते है, कॉटों को पुण्‍य से फूल बनाया जा सकता है, यह चमत्‍कार नर्मदादर्शन स्‍नान के अलावा, गंगा,यमुना, प्रयागराज आदि सभी तीर्थो को है जहॉ कॉटों को भी इजाजत है कि वे फूल बनकर चुभेंगे नहीं बल्कि कोमल गुदगदी देकर महक उठेगे।

 मैं यह बात इसलिये कह रहा हॅू कि कल ही म्‍युनिसिपल के आफिस में एक अधिकारी के सामने एक नम्‍बर का पार्षदपति एक अनुचित काम का दबाव बनाने के लिये अधिकारी की कालर पकडने दौडा और गुस्‍से में इतना था कि उसे खुद का होश नहीं था जिसे आठ दस लोग सॅभाल रहे थे, वह मूर्ख चीख रहा था कि पच्‍चीस साल से राजनीति कर रहा हॅू, कमरों में घुसकर मारना मेरी फितरत है। तुम्‍हारी औकात क्‍या है?  पार्टी में मेरा रूतवा इतना है उतना है? तुम ज्‍यादा से ज्‍यादा सरकारी काम में रूकावट का केस लगवा सकते हो, मैं सब निपट लॅूगा। फिर गर्मी से उबलता सीएमओ को धमकी देने लगा कि इसके बाद क्‍या होगा, अंजाम समझ लेना। अधिकारी नया होने के साथ धीर गंभीर था आखिरतक नम्रता का गहना पहने उसकी बदतमीजी सहकर उसे शांत करता रहा। प्रश्‍न उठता है कि पत्‍नी पार्षद है, ये उनके पति रबर स्‍टाम्‍प की तरह है पर अंधेरनगरी है, कोई कुछ नहीं बोलने वाला। किसी संत की वाणी है कि- जो आया है, सो जायेगा, राजा रंक फकीर। यानि पाप की गठरी बॉधों या पुण्‍य की मरना सभी को है, कोई पटटा लेकर जीने नहीं आया है इसलिये अहंकार की गठरी कि मैं ये हॅू, वो हॅू, ये कर सकता हॅू, वो कर सकता हॅू को पटक देना और समझना तुम कुछ नहीं हो, कुछ नहीं कर सकते, ढब्‍बू हो।

लाखों किसानों को लूटखसूट कर संस्‍था में हजार पॉच सौ करोड का भ्रष्‍टाचार कर जिला बैंक की लुटिया डुबाने वाले प्रमुख अधिकारी सहित उस संस्‍था के मीठे ठगों के बादशाह रहे अध्‍यक्ष संचालक बगैरह सहित कुछ क्‍लास वन के ठेकेदार जो एयरपोर्ट, सिक्‍सलेन, फोरलेन आदि अरबों के ठेके लेने वाले, सौदेवाजी कराने वाले, सैकडों गोदामों का निर्माण कर उनके मालिक, व कई एजेन्सियों के सर्वेसर्वा, रजधानी सहित नर्मदापुरम आदि के  कुछ बडे ओहदे वाले नेता से कालोनाईजर बने, कुछ कालोनाईजर से नेता बने ताकि पहले उनकी बनाई अवैध कालोनियों को वैघ्‍ बना सके, उनके खिलाफ सारी शिकायतें शून्‍य करवाने के साथ उनके भ्रष्‍ट कारनामों से लोगों के जीवनभर की कमाई पचा सके, मकान,प्‍लाट हजम कर उन्‍हें जीते जी कोई भी फायदा नहीं मिलने दे। प्‍लाट मकान के खरीदने के मोहजाल व चंगुल में फसे लोगों व उनके बच्‍चों तक को उल्‍टा लटकाये लाभ लेते रहे।

तमाम ऐसे सभी बंटाधारी क्षरणनीतिकार स्‍वर्गवासी हुये। ये सभी कालोनाईजर, ठेकेदार,ब्‍लेकमेलर्स, काले कारनामों के नित न्‍यूतन  आबिष्‍कारक अधिकारी और नेतागण मर कर धरती पर स्‍वर्गवासी हुये, पर स्‍वर्ग से पहले उन्‍हें यमलोक में यमराज के सामने पेश किया गया जहॉ इन कूटनीतिवाजों की आत्‍माओं ने अपनी चाण्‍डाल चौकडी एकत्र का यमलोक को कब्‍जाने का षडयंत्र रचकर खुद का यमलोक व खुदका यमराज चुने जाने का जाल बिछा दिया जिसे यमराज के किसी भी दूत ने अथवा यमराज को इसकी भनक तक नहीं लग सकी। महाभ्रष्‍टों के यमलोक पहुचते ही इन महाबेशरर्मो के कुकर्मो कुधर्मो आदि अवगुण कब गुणों में तब्‍दील होकर यमलोक में एक अलग ही बयार देखने को मिली। इन सारे अधर्मियों का बहुमत यमलोक में था ओर उन्‍होंने जाते ही यमराज के चुनाव की मॉग कर पदासीन यमराज को सजाओं में भेदभाव करने, यमलोक का विकास न करने का आरोप लगाकर पद से हटवा दिया।

 यमराज के पद के लिये इनकी शर्त थी जो सबसे ज्‍यादा हरामी, चोर, बेईमान, निष्‍ठुर हो, जिसके कारण पूरा देश, प्रदेश, संभाग एवं जिले का आवंटन के बाद योजनाओं के क्रियान्‍वयन कागजों में पूरा हुआ हो और जनता सबसे ज्‍यादा त्रस्‍त्र रही हो, हर आम आदमी, किसान, कर्मचारी तिल तिल कर मरता रहा हो और जिसने इनके नाम पर आया सारा वजट खुद चट कर गया हो, वह यमराज पद पर आसीन हो सकता है। एक सूबे के मुख्‍यमंत्री की आत्‍मा बोली ये सारे गुण मुझमे है, पर धरती पर समाचार पत्र मेरे थे, टीव्‍ही चैनल मेरे थे, एंकर, भयंकर, सभी मुझसे पोषित थे, इसलिये जो मैंने चाहा वह दिखाया, धरती पर मुझसे जयादा धार्मिक, समाजसेवी जन जन का लाडला, बहिनों का भाई जैसी सारी अच्‍छाईयॉ दिन रात दिखाई गयी, वह सब झूठ और फरेब था, असल में मैं नम्‍बर एक का हरामखोर, कमीशनखोर, महाबेईमान था, इसलिये यहॉ यमराज के पद पर मेरी बराबरी का कोई दावेदार नहीं होने से मैं ही यह पद धारण करूंगा। मैं पूरी ईमानदारी से स्‍वीकार करता हॅू

कि धरती पर मेरे सारे लेखे गलत थे, असल में मेरे मंत्री रहते मैंने अपनों को ही स्‍वास्‍थ्‍य, रक्षा,ग्रामीण, कृषि, सिंचाई आदि के लिये अपने निजी लोगों को सारे काम दिलवा कर सरकार का काम खत्‍म कराया, शिक्षा का बजट चटकर सरकारी कालेजों की बजह जगह-जगह प्रायवेट मेडीकल कालेज, इंजीनियरिंग कालेज, अंग्रेजी मीडियम के उच्‍च एवं मीडियम स्‍कूल खुलवायें है, सरकारी अस्‍पतालों में डाक्‍टरों की कमी पैदा कर गली-गली में प्रायवेट नर्सिग होम अस्‍पताल खुलवाकर नकली दवा कम्‍पनियों से एक रूपये की दवा एक हजार रूपये तक में बिकवा कर सभी की जेबें भरी है और डाक्‍टरों की दुकानों से प्रतिमाह मोटी रकम मिलने से फर्जी डाक्‍टर की भी अर्जी मिलते उसे फर्जी नहीं होने दिया।

पार्षदपति जो पूर्व पार्ष्‍ाद रहा की आत्‍मा तपाक से अपनी राजनीति का चिटठा खोलने लगी कि परिषद में जितने भी निर्माण काम हुये, सडक, नाली, चबूतरा, सुलभशौचालय, पानी की टंकी, टयूबबेल सभी के निर्माण, पुर्ननिमार्ण के ठेके वह खुद दूसरों के नाम से लेकर पूरा मुनाफा कमाता रहा, फिर विधायक सांसद की जी हजूरी करके उनका दॉया हाथ बनते ही दर्जनों कम्‍पनियों से अलग-अलग सैकडों खोके लेकर घटिया बिजली के मीटर को अच्‍छा बताया, और अच्‍छे मीटर वाले से सौदेवाजी न होने पर उसके मीटर को रिजेक्‍ट कर सौ पचास खोका डकार लिये।

नेता की आत्‍मा यमराज के पद पाने के लिये अपने किये गा गुणगान करती रही कि शहरों में, गॉवों में बिजली सप्‍लाई के लिये बनने वाले सब स्‍टेशनों, ट्रान्‍सफारमरों आदि में घटिया सामान लगाना, जलने पर सुधरवाने का ही करोडों का टर्नओव्‍हर पूरे प्रदेश से उसी ने उठाया,  नल जल योजना लगवा कर सौ पचास योजनाओं में काम करके हजार-दस हजार नलजल योजनाओं  का भुगतान करवाया है। हर जिले, गॉव के रूट पर मेरी ही बसे चलती थी, मेरे ही जेबीसी, मशीने, जंगल पहाड नदियों को खोदने ठेके पर भिजवाते, लोहा, रेत, मिटटी, गिटटी, सीमेन्‍ट सभी कम्‍पनियॉ मेरी, ठेके मेरे, डम्‍फर मेरे ही थे जो मैंने अलग अलग नौकरों, रिश्‍तेदारों के नाम से कर रखे थे, इतना ही नहीं कि खुद के लिये किया, जनता के लिये भी किया।

सारी आत्‍मायें बडे ध्‍यान से मंत्री की आत्‍मा के कारनामें सुनती रही कि और वह बोलती रही कि जनता को फ्री राशन बॉटकर उसका घासलेट और शकर गायब करने की स्‍कीमें मेरी थी, शराबबंदी कराकर कच्‍ची घटिया शराब बेचकर अपने कार्यकर्ताओं को उपकृत करने का काम उसका था भले कार्यकर्ताओं की कच्‍ची जहरीली शराब पीकर लोग मरें, पर आज तक किसी कार्यकर्ताओं को सजा नही होने दी और न ही उसपर मामले बनने दिये। जनता को फ्री की आदत डालकर जितना उसे दिया उसका सूद सहित वसूलने के लिये भी कई प्रकार के टेक्‍स लगवाकर हर आम नागरिक पर सरकार का हजार-दस हजार करोड का कर्जदार बनाकर देश को विकसित राष्‍ट्रों में खडा करने की घोष्‍णा मेरी थी।

 देश-प्रदेश को विकसित राष्‍ट्र बनाने के लिये मंत्री की आत्‍मा यमलोक में धरती से यमराज पद की दावेदार आत्‍माओं से कह रही है कि कुछ फ्री देकर, जो वह कमाये उसे टेक्‍सों द्वारा वापिस लेना मेरी ही सरकार का काम था। पैदा होते समय निजी अस्‍पतालों में लाख दो लाख वसूलने के चलन को उसने ही हरी झण्‍डी दिखलाई थी, तथा हर नागरिक के लिये पूरे जीवन में उसके हर सुख-दुख पर भारी भरकम टेक्‍स वसूलने के साथ उसके मरने तक हर चीज पर मैंने और मेरी ही सरकार ने एक बार नहीं हर साल जितनी उसकी उम्र है उनते बरस टेक्‍स वसूले। जनता गहरी नींद में है, सो रही है कोई जगाने वाला नही, जिसका लाभ उठाकर मैंने जनता को फ्री के माल में उलझाये रख गुलाम बनाये रखा और आज भी वह गुलाम है।

कुछ आत्‍मायें जो भुक्‍तभोगी थी वह मंत्री की आत्‍मा के कारनामों को सुनकर थर-थर कॉप रही थी, और उनका उबाच जारी था कि- मेरी ही स्‍कीम के अनुसार गरीब कभी अमीर न हो, उनपर इतने टेक्‍स लॉद दिये कि वह एक जन्‍म क्‍या कई जन्‍मों तक टेक्‍स देता मर जायेगा और खजाना भरने के नाम पर मैंने अनेक जिलों में खुद के वेयरहाउस बनवाये, जगह जगह ऐशोआराम के लिये जमीनें खरीदकर फार्महाउस बनवाये, मेरे द्वारा किये गये भ्रष्‍टाचार का रिकार्ड मेरे पास नहीं, अनेक बार गोदामों में अनाज की जगह नोटों की गडिडया भिजवा देता था और गल्‍ती सुधार लेता, जंगलों को मैनें कटवाया, नदियों की कोख में जेबीसी चलवा कर रेत के अम्‍बार लगाये, रेत खदानों को लूटा, पहाडों को खुदवाये और विपक्ष के साथ मिलबॉट कर हिस्‍सा किया, जो आया उसकी जेब गरम की इसलिये महाभ्रष्‍ट में मेरी बराबरी कोई नहीं कर सकता है इसलिये यमराज मैं बनूगा, किसी दो कोडी का भ्रष्‍टाचार करने वाला यमराज बन जाये तो मैं इसे बर्दास्‍त नहीं करूगा।

एक विधायक की आत्‍मा यमराज पद पूर्व मुख्‍यमंत्री की आत्‍मा के द्वारा हथियाने का षडयंत्र देख अपने कारनामे सुनाकर यमराज पद पर मुख्‍यमंत्री की आत्‍मा की बराबरी नहीं कर सकी तब दूसरे पद पर स्‍वयं की ताजपोशी के लिये मुख्‍यमंत्री की आत्‍मा के स्‍वर में स्‍वर मिलाते हुये बोली कि जैसा कि आपने महाभ्रष्‍टाचारी होने के महाभयंकर डरावने सबूतों से यमराज बनने की योग्‍यता सिद्व कर दी है वही उनसे मिलते स्‍वयं के कारनामों का कच्‍चा चिटठा खोलना शुरू किया कि हमने मुख्‍यमंत्री के साथ मिलकर गायों के मुह का निबाला छीनकर सारी चरनोई भूमि बॉट दी और गायों को सडकों गलियों में पन्‍नी खाकर तडफ तडफ कर मरने को छोड दिया, किन्‍तु किसी ने भी गायों की ओर से आवाज नही उठायी और हम 33 कोटि देवता जिस गाय में वास करते है, उन्‍हें धोखा देने में कामयाब हो गये, तब तुम कौन से खेत की मूली हो। विधायक‍ की आत्‍मा फिर गर्जी- पूरे प्रदेश में चरनोई भूमि पर कालोनियॉ कट गयी है, किसी भी जिले के गॉव, पंचायत, जनपद नगरीय सीमा को छूने वाली और इनकी सीमाओं में आने वाली सभी नहरों को हमने ले देकर कब्‍जा करवाया, जहॉ भी जैसे भी सरकारी जमीन शहर, गांव में दिखी अपने लोगों को खुश कर जमकर भ्रष्‍टाचार किया।     

      इतना ही नहीं कई गरीब कमजोर जिनका कोई बारिस नहीं उनका रिकार्ड रखकर अपने लोगों से उनकी जमीनें हथियाने के लिये असली मोहरों की तरह फर्जी मोहरों से असली की नकल फर्जी कागज तैयार करवाकर उन्‍हें बेचने के वैधानिक मालिक तैयार कर सिर्फ भ्रष्‍टाचार ही भ्रष्‍टाचार किया, और असली दस्‍तावेजी कागज वालों को फर्जी साबित करने के लिये उनपर कार्यवाही करवाकर खूब परेशान किया ताकि वे दुबारा किसी मंच फोरम पर दावे करना बंद कर दे।

 मंत्री, विधायक, अधिकारी, सहित नेताओं की आत्‍माओं में अपने अपने भष्‍ट धंधों गंदें कारनामों को लेकर जंग छिडी हुई थी और सब एक दूसरे को ताने दे रहे थे, कि कौन किसे कितना हिस्‍सा देता और किस हद तक हरामीपन कर काम करता था। अचानक कालोनाईजर और ठेकेदारों की आत्‍मा मंत्री से बोल पडी कि प्रदेश में उन्‍होंने कितने घटिया निर्माण्‍ करके सडके, पुलों, सरकारी भवनों कालोनियों का निर्माण कर हजारों लाखों लोगों के जीवन के साथ खिलवाड किया है अगर उनका पैसा नहीं मिला होता तो मंत्री और विधायक भी नहीं होते।

जिला बैंक अधिकारी के दम पर मंत्री की सहमति से अध्‍यक्ष संचालक बनकर पच्‍चीस पचास करोड का भ्रष्‍टाचार गेहॅू, धान, चना, खरीदी और खाद बीज में करना ऑख से सूरमा चुराने जैसा होता, जबकि मंत्री और विधायक का भ्रष्‍टाचार हजार दस हजार नहीं लाख दस लाख करोड को पार कर गया तब ऐसी स्थिति में मंत्री की आत्‍मा को यमराज बनाने का प्रस्‍ताव विधायक की आत्‍मा  ने रखा जिसे दूसरी आत्‍माओ ने समर्थन दिया और अब यमराज के पद पर महाभ्रष्‍ट मुख्‍यमंत्री की आत्‍मा चुन ली गयी, जिसमें यमराज द्वारा यमलोक का कार्यविभाजन करने की बैठक अगले सप्‍ताह रखी परन्‍तु सभी को जल्‍दी थी , बैठक में यमलोक को स्‍वर्गलोक से अच्‍छा लुक देने के लिये सभी सरकारी भवनों को अनुपयोगी जर्जर बताकर नये सिरे से बनाने, यमराज के ओल्‍ड भैसा की जगह नये वाहन पर निर्णय लेने, सभी देवताओं के वाहन अनुसार व्‍यवस्‍था के आधुनिक इंतजाम पार्किग व्‍यवस्‍था आदि कार्य करने का प्रस्‍ताव रखा गया।

      यमलोक को पृथ्‍वी से नया यमराज मिल गया। यमराज चुनते ही जहॉ नर्क में भ्रष्‍टाचारियों के चेहरे पर रौनक आ गयी वहीं स्‍वर्ग में यमराज के द्वारा भारी उलटफेर करने एवं अपनी चहेती आत्‍माओं को स्‍वर्ग में न्‍याय के लिये मोटी रकम ऐढने वाले रिश्‍वतखोरों को जिम्‍मेदारियॉ सौंपे जाने के लिये बाजार सजने लगा, जिसमें बोली लगाकर कोई भी महत्‍वपूर्ण पद पा सकता है।  

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