मुंबई में बस विस्फोट अपनी अपनी प्राथमिकता

डॉ0 कुलदीप चन्द अग्निहोत्री

13 जुलाई को मुंबई में सायं को एक साथ 3 बम विस्फोट अलग अलग स्थानों पर हुए। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इसमें 25 लोग मारे गये और 130 से भी ज्यादा लोग घायल हुए। भारत सरकार के गृह मंत्री चिदम्बरम का कहना है कि इसे गुप्तचर संस्थाओं की असफलता नहीं माना जा सकता क्योंकि गुप्तचर संस्थाओं के पास इस प्रकार के धमाकों की कोई पूर्व सूचना नहीं थी। यदि इसकी व्याख्या की जाये तो इसका अर्थ तो यही हो सकता है कि आतंकवादियों को अपने षडयंत्रों की पूर्व सूचना चिदंम्बरम के विभाग को दे देनी चाहिए , उसके बाद वे उसकी रोकने की कोशिश करेंगे। वैसे इन बम विस्फोटों के लेकर सरकारी रवैये और सरकारी नीति का खुलासा युवराज राहुल गांधी ने विस्फोटों के तुरंत बाद स्ंवय ही कर दिया था। उनके अनुसार ऐसे आतंकवादी हमलों को भारत जैसे बड़े देश में रोकना संभव नहीं है। जाहिर है िकइस सरकारी नीति की घोषणां करने से पहले सोनियां कांग्रेस के इस महासचिव ने पाट्री की अध्यक्षा और अपनी मां सोनिया गांधी से सलाह मशविरा किया ही होगा। सोनिया कांग्रेस के छोटे बड़े सभी नेताओं को आतंकवादी हमलों को लेकर अपनी पार्टी के दृष्टिकोण का स्पष्ट संकेत मिल गया तो उन्होंने देश के विभिन्न हिस्सों में जाकर बकायदा इसकी घोषणा भी शुरू कर दिया। एक मंत्री ने कहा कि मुम्बई में पूरे 31 महीने बाद बम विसफोट हुए हैं। बीच के समय में मुम्बई शांत रही। यह यू0पी0ए0 सरकार की सबसे बड़ी सफलता है। दूसरा मंत्री तो उससे भी दो कदम आगे निकल गया उसने कहा सोनिया कांग्रेस के राज में आतंकवादी हमलों के मामले में भारत की स्थिति पाकिस्तान से कहीं बेहत्तर है। पाकिस्तान में तो हर हफते विस्फोट होते हैं और मुंबई में पूरे 31 महीने बाद हुए है। तीसरे ने दूसरे को भी पछाड़ा। उसने कहा एक अरब से भी ज्यादा आबादी वाला मुल्ख है। हर जगह तो पुलिस भेजी नहीं जा सकती। इसलिए इन विस्फोटों को रोकना संभव नहीं है। चौथे ने तो अमेरिका को ही चुनौती दे दी। उसने कहा जब अमेरिका , इराक और अफगानीस्तान में आंतकवादियों के बम धमाकों को रोकने में असफल हो रहा है तो भारत में विस्फोटों को सरकार की असफलता कैसे कहा जा सकता है।

सोनियां कांग्रेस के और भारत सरकार के इतने अधिक नेताओं और मंत्रियों द्वारा आतंकवाद को लेकर कांग्रेसी नीति को स्पष्ट किये जाने के बाद प्रश्न उठा कि यदि भारत सरकार आतंकवादियों के षडयंत्रों और बम विस्फोटों को रोक नहीं सकती तो वह आकर देश की जनता के लिए क्या कर सकती है। इसका उत्तर तो प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को ही देना था क्योंकि आखिर वे ही युवराज राहुल गांधी के राजनैतिक रूप् से बालिग हो जाने तक कुर्सी संभाले हुए हैं। देश को उनका धन्यवाद करना चाहिए कि वे इस प्रश्न उत्तर देने केलिए स्वयं मुम्बई पहुंचे और वहां उन्होंने घोषणां की कि सरकार आतंकवादी विस्फोटों में मरने वालो को दो लाख रूप्ये और घायल होने वालों को पचास हजार रूपये दे सकती है। भाव कुछ इसी प्रकार का था कि इससे ज्यादा सरकार आपके लिए कुछ नहीं कर सकती। विस्फोटों को रोकने में सरकारी दायित्व की नीति की घोषणां तो राहुल गांधी पहले ही कर चुके थे।

आखिर सरकार के इस रवैये का कारण क्या है। सरकार ने आंतकवादियों पर नियंत्रण पाने में अपने कर्तव्य से सार्वजिनक रूप् से हाथ क्यों खींच लिये हैं। दरअसल प्रश्न अपनी अपनी प्राथमिकताओं को है। सरकार के लिए प्राथमिकता आंतकवादियों से लड़ने की नहीं है , उसके लिए प्राथमिकता किसी भी ढंग से बाबा राम देव को घेरने की है। विकीलीक्स ने पहले ही खुलासा कर दिया था जब राहुल गांधी ने भारत में अमेरिका के राजदूत को बताया था कि भारत को खतरा लश्कर- ए- तोयबा जैसे संगठनों से नहीं है बक्लि गुस्से में आ रहे हिन्दुओं से हैं। इसलिए जब सरकार की सभी गुप्तचर एजेसियां बाबा राम देव और उसके अनुयायियों की घेरा बंदी के काम में लगी हुई थीं , आधी रात को शिवर में सौ रहे सत्याग्रहियों पर कब लाठी चार्ज करना है, आंसु गैस के कितने गोले छोड़ने है ं और बाबा राम देव को मारने के लिए मंच में आग किस जगह लगानी है , उस समय आतंकवादी संगठन मुम्बई में बम विस्फोट करने की अपनी योजना बना रहे थे। चिदम्बरम का कहना है कि गुप्तचर एजेंसियो के पास आतंकवादी हमले की कोई सूचना नहीं थी , लेकिन आश्चर्य है कि इन्हीं गुप्तचर एजेंसियो के पास बाबा राम देव और उनके शिष्यों की हर गतिविधि की पूरी सूचना थी। सोनिया कांग्रेस की प्राथमिकता बाबा रामदेव से लड़ने की है आतंकवादियों से लड़ने की योजना उसके एजेंडा में नहीं है। जाहिर है सरकार को अपनी नीति बनाने के लिए जिस प्रकार की सूचनाए चाहिए गुप्तचर एजेसियां उसी प्रकार की सूचनाएं मुहैया करवायेंगी।

गुप्तचर एजेंसियों की अपनी कठिनाईयां हैं। उन्हें आतंकवादी संगठनों और बम विस्फोटों की जांच करते समय दो धरातलों पर काम करना होता है। प्रथम धरातल पर तो उन्हें प्रोफेशनल दृष्टिकोण से बम विस्फोटों की जांच करनी होती है। इस दृष्टिकोण से विस्फोटों की जांच करते हुए जांच एजेसियां लश्कर-ए-तोयबा , इडियन मुजाहीदीन और सीमी तक पहुंचती हैं मुम्बई के बम विस्फोटों में भी ऐसा ही हो रहा है। लेकिन इन एजेसियों के आंख और कान सोनिया कांग्रेस के महासचिव दिग्विजय सिंह और अजीज बर्नी की जोड़ी की और भी लगे रहते हैं। कहा जाता है दिग्विजय सिंह के कंठ से जो आवाज निकलती है वह सोनियां कांग्रेस की अध्यक्षा का प्रतिनिधित्व करती है। दिग्विजय सिंह का मानना है कि उनके पास भी इस प्रकार की आतंकवादी घटनाओं की जांच करने के लिए एक पूरा तंत्र है। वे ये भी कहते हैं कि वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी इस प्रकार की घटनाओं की जानकारी उन्हें देते रहते हैं। हेमंत करकरे के बार में भी उनका यही कहना हे कि मरने से कुछ घंटे पूर्व उन्होंने उन्हें फोन पर बता दिया था कि उन्हें कोन मारने वाला है। अब जब जांच एजेंसियां यह कह रही है कि हेमंत करकरे को पाकिस्तान से आई आतंकवादियों की कसाब टोली ने मारा था तो दिग्विजय सिंह का कहना है कि उन्हें हिन्दुओं ने मारा था। इसी प्रकार दिल्ली के बाटला हाउस में हुई मट्ठभेड़ में जांच एजेंसियों का तो यह कहना है कि वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मोहन चन्द्र शर्मा को आतंकवादियों ने मार दिया लेकिन दिग्विजय सिंह की जांच का खुलासा है कि शर्मा का दिल्ली पुलिस ने ही मारा है। मुंबई में 26/11 आक्रमण पाकिस्तानी आतंकवादियों ने किया ऐसा दुनियां भर की जांच एजेसियां कह रही हैं लेकिन दिग्विजय सिंह और अजीज बर्नी की जोड़ी कह रही है कि यह आक्रमण आर0एस0एस0 ने करवाया था। ऐसे हालात में जांच एजेंसियों को फूंक फूंक कर कदम रखना पड़ता है। उन्हें दो प्रकार से जांच करनी पड़ती है पहली प्रोफेश्नल दृष्टिकोण से और दूसरी दिग्विजय सिंह एंड कम्पनी द्वारा बताई गई सोनिया कांग्रेस के राजनैतिक दृष्टिकोण से, जिसमें कुछ हिन्दुओं को लपेटना जरूरी होता है। आखिर राजनैतिक संतुलन का प्रश्न है। मंबई के ताजा बम विस्फोट के मामले में भी ऐसा ही हो रहा है। जांच एजेंसियां सिमी जैसे संगठनों को पकड़ने से डरेगी क्योंकि राहुल गाधी अरसा पहले ही उसे दोषमुक्त घोषित कर चुके हैं और दो दिन के उहापोह के बाद दिग्विजय सिंह ने भी जांच एजेसियों को संकेत दे दिया है कि मुम्बई के इन बम विस्फोटों में हिन्दुओं का भी हाथ हो सकता है। अब जांच एजेंसियों की भी अपनी अपनी प्राथमिकता है। राजनैतिक जांच अब्बल दर्जे पर आ गयी है और प्रोफेश्नल जांच दोयम दर्जे पर। आश्चर्य नहीं होना चाहिए यदि कल दिग्विजय सिंह इन विस्फोटों में भी स्वामी असीमांनद और इन्द्रेश कुमार का नाम बताना शुरू कर दे।

जांच कर रही पुलिस का एक और संकट भी है यदि वे इस लड़ाई में आतंकवादियों को मार गिराते हैं तो निश्चित है उन्हें जैल में सड़ना पड़ेगा। देश के अनेक पुलिस अधिकारी आतंकवादियों को इस लड़ाई में परास्त करने के दोष में अनेक राज्यों की जेलों में सड़ रहें हैं। यदि मुंबई के इन ताजा बम विस्फोटों में संलिप्त कुछ आंतकवादी पकड़े भी जाते हैं तो जाहिर है वे अफजल गुरू और कसाब की श्रेणी में वृद्वि ही करेंगे और हो सकता है कि उन्हें पकड़ने औंर तंग करने के अपराध में पलिस अधिकारी कटघरे में खड़े नजर आयें। इन बम विस्फोटों में संलिप्त होने के शक में रांची में एक आतंकवादी के बारे में पूछताछ करने गई पुलिस को लेकर ही जो बवाल उठ खड़ा हुआ उससे स्पष्ट है कि तथाकथित मानवाधिकारवादी लश्कर-ए-तोयबा,इडियन मुजाहीदीन, और सिमी जैसे संगठनों की रक्षा पर उतर ही आयेंगे। दिग्विजय सिंह और राहुल गांधी जैसे लोग अप्रत्यक्ष रूप से किस की सहायता कर रहे हैं यह किसी से छिपा नहीं है। लेकिन अंत में प्रश्न फिर अपनी अपनी प्राथमिकता है। भारत सरकार की प्राथमिकता बाबा राम देव को घेरने की है न कि आतंकवादियों को।

5 COMMENTS

  1. आदरणीय अग्निहोत्री जी , सादर प्रणाम ,….सटीक लेख के लिए ह्रदय से आभार ,…………..अवनेश जी के कथन में कुछ और जोड़ा जाना चाहिए ,……..कांग्रेस का उनकी पीठ पर हाथ “

  2. इस देश के नेता तो हमेसा नामर्दों जैसी बाते करते रहते है ३१ महिना क्या ३१ जन्म तो नहीं होता ये नेता लोग यैसे खुश हो रहे है अरे आप लोग इसको रोको न नहीं तो आप लोग अपना अपना पद छोर दीजिये आप जैसे राज नेता ही इस देश को गुलाम बना देंगे .

  3. आतंकवादी बम रखते है, सरकार हाथ पे हाथ रखती है और जनता विश्वास रखती है।

  4. आदरणीय अग्निहोत्री जी, लेख के लिए आपका आभार…
    चिदंबरम का कहना है की ३१ महीने बाद कोई धमाका हुआ है| इसका अर्थ यह नहीं की इस बीच कोई धमाका इस सरकार ने रोका| दरअसल आई एस आई द्वारा नेपाल के रास्ते भारत में नकली नोटों का कारोबार पकडे जाने के कारण आओ एस आई के पाद इतना धन नहीं कि वे भारत में कोई आतंकी कार्यवाही करें| काले नोटों के इस व्यापार के पीछे भी सोनिया का ही हाथ था|

    विन्ची का कहना है कि एक दो धमाके तो होंगे ही| मतलब इसके राज में कभी कभी तो हम धमाकों में मरेंगे ही| जो व्यक्ति हमे सुरक्षा भी नहीं दे सकता, उसे क्या अधिकार है हम पर शासन करने का?

    सही कहा आपने कि भारत की समस्त ख़ुफ़िया एजेंसियां तो बाबा रामदेव के पीछे लगी हैं|
    और ख़ुफ़िया तंत्रों की विवशता पर भी आपने अच्छा विवरण दिया|
    सम्पूर्ण लेख बहुत अच्छा लगा|
    धन्यवाद…

  5. देश के लिए निति तो वे बनाते हैं जिनकी नीयत में राष्ट्र के प्रति कोई सम्मान हो. ये तो चोर- उच्चके हैं जिनका काम देश को लूटना है. जैसे तैसे सत्ता में बने रहना ही इनका उदेश्य है .. इनको देख कर तो नादिर शाह भी शर्मा जाए …तोहमतें आयेंगी नादिर शाह पर ..आप दिल्ली रोज़ ही लूटा करो !!!!!

Leave a Reply to avenesh singh Cancel reply

Please enter your comment!
Please enter your name here