स्नेह, शील, सौम्यता में न्यारी गौ माँ।
भावना की भव्य फुलवारी गौ माँ।
प्राणिमात्र की सदैव रक्षा कर रही,
विश्व की महान हितकारी गौ माँ।।
स्नेह, शील, सौम्यता में न्यारी गौ माँ।
स्वास्थ्य सम्पदा की वरदान गौ माँ।
एकता, अखण्डता की शान गौ माँ।
पालती और पोषती निःस्वार्थ भाव से,
ऐसी प्रेमवत्सला हमारी गौ माँ।।
स्नेह, शील, सौम्यता में न्यारी गौ माँ।
मानवीय मूल्य का हर तरफ विकास हो।
मिटे तिमिर अज्ञान का, प्रकाश ही प्रकाश हो।
धर्म, अर्थ, काम और मोक्षदात्री माँ समान,
भाग्य से हमारे घर पधारी गौ माँ।।
स्नेह, शील, सौम्यता में न्यारी गौ माँ।
आस्था हमारी आज तार-तार हो रही।
माँ समान गायें नित्य ही शिकार हो रहीं।
धर्मप्राण देश की ये दुर्दशा हुई,
बनी आज दीन-दुखियारी गौ माँ।।
स्नेह, शील, सौम्यता में न्यारी गौ माँ।
धर्म मातृत्व का, निभाने के लिए।
सृष्टि क्रम को अनवरत चलाने के लिए।
ज़िन्दगी के धूप-छाँव में प्रसन्न भाव से,
सूखी घास-पात पर गुजारी गौ माँ।।
स्नेह, शील, सौम्यता में न्यारी गौ माँ।
क्यों हमारी सांस्कृतिक चेतनाएँ मर रहीं?
क्यों हमारी आस्था की वेदियाँ बिखर रहीं?
क्यों जघन्य पाप हो रहा है मातृभूमि पर,
जाती क्यों यहाँ पर दुत्कारी गौ माँ।।
स्नेह, शील, सौम्यता में न्यारी गौ माँ।