सचिन शर्मा
दो मार्च को मीरपुर में खेले गये भारत-पाक मैच के दौरान पाकिस्तान की जीत पर मेरठ के स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय में कश्मीर छात्रों द्बारा पाकिस्तान जिदाबाद का नारे लगाना न केवल अक्षम्य है बल्कि ये देशद्रोह की श्रेणी में भी आता है। इस मामले में पुलिस प्रशासन ने कार्रवाई करते हुये कश्मीरी छात्रों पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया था जो एक साहसिक व सही कदम था, लेकिन इस मामले में शर्मनाक पहलू तब सामने आया जब अखिलेश सरकार ने कश्मीरी छात्रों से केस वापस ले लिया। जैसा कि पूर्वानुमान था कि मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति व चुनावी बयार में अखिलेश सरकार ने अपनी प्रकृति के अनुसार कार्य किया है। जो शर्मनाक है। इस मामले में जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने छात्रों का बचाव करते हुये कहा था कि छात्रों पर यह कार्रवाई अस्वीकार्य कड़ा दंड है व उन कश्मीरी छात्रों को भटका हुआ बताया था। उमर ने यूपी सरकार पर छात्रों पर केस वापसी का भी दबाव बनाने की कोशिश की थी। पीडीपी ने भी छात्रों का बचाव किया था। यही नहीं पीडीपी ने बड़ी ही बेशर्मी से कहा था कि उत्तर प्रदेश सरकार और विश्वविद्यालय को उनसे माफी मांगनी चाहिए। देश व प्रदेश की सरकारों द्बारा इन कश्मीरी दलों की हर गैरजरूरी मांगों को मानने का नतीजा है कि इन दलों की हिम्मत बढ़ती जा रही है। अभी हाल ही में कश्मीर में एक फिल्म की शूटिग के दौरान कश्मीरी छात्रों ने भारत का झंडा जलाया था जिन पर कॉलेज प्रशासन ने मामूली कार्रवाई करते हुये उन्हें छोड़ दिया था। यहीं नहीं भारतीय सेना हर मौकों पर चाहे वो भूस्खलन हो या अन्य आपदा हर मौके पर कश्मीरियों की सेवा करती है उनके खिलाफ भी ये पत्थरबाजी करने या गोलीबारी करने से बाज नहीं आते। अखिलेश सरकार की बुजदिली देखिये कि अभी हाल में कुछ मुस्लिम दबंगों ने गाये चराने गये हिंदुओं को किसी बात पर बहस छेड़कर दौड़ा-दौड़ा कर पीटा। यहीं नहीं जब इससे भी उनका मन नहीं भरा तो उन्होंने गाय चराने गये हिंदुओं की गायों की पूछ काट ली। इसके बाद उन लोगों ने हिंदुओं के घरों पर हमला बोलकर बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों को भी नहीं छोड़ा। इस घटना में पीड़ित अधिकांश लोग यादव समाज के हैं, जबकि स्वयं मुख्यमंत्री भी यादव हैं। अखिलेश जानते हैं कि यादव लोगों का वोट तो उनकी जेब में है। वो तो मिलेगा ही लेकिन मुस्लिमों को पटाना जरूरी है। वोटबैंक के लिये सरकार इतना गिर जायेगी ये यकीन नहीं होता। शर्म आती है ऐसी सरकार पर जो किसी दुर्घटना में मारे गए मुस्लिमों के घरों में जाने में अपनी शान समझती है। लेकिन हिंदुओं पर हो रहे इस जघन्य अपराध पर मौन साध लेती है। यहीं नहीं मीडिया ने भी इस न्यूज को दबा लिया। हो सकता है सरकार ने उसे मोटी रकम थमा दी हो। खैर सपा सरकार में अगर गैरत है तो उसे तत्काल इन लोगों पर कार्रवाई करके इन्हें कठोर दंड देना चाहिये अन्यथा आज की ये छोटी सी चिंगारी कल शोला भी बन सकती है। अखिलेश सरकार कोर्ट से लगातार डांट खाने में भी रिकार्ड बनाने में लगी है। कभी हाईकोर्ट तो कभी सुप्रीम कोर्ट से। कभी मुस्लिम आतंकियों की रिहाई तो कभी लालबत्ती बांटने का प्रकरण या अन्य कारणों से सरकार लगातार अपनी बचकानी हरकतों पर डांट खाया करती है।यहीं नहीं’ हमारी बेटी उसका कल’ योजना में भी अखिलेश सरकार का गंदा चेहरा बेनकाब हो चुका है जिसमें केवल मुस्लिम छात्राओं को ही वजीफा बांटते की बात की गयी है। ये क्या बात हुयी भाई। क्या ये सरकार केवल मुस्लिमों ने बनायी है? क्या हिंदुओं ने सपा सरकार को वोट नहीं दिया है? फिर सारी योजनायें मुस्लिमों को ध्यान में रखकर ही क्यों बन रही है। क्या कारण है कि इस सरकार में ही सबसे ज्यादा दंगे होते है। सरकार आरोपों से बचने के लिये इस मामले में विपक्षी दलों पर आरोप लगा देती है कि ये उसकी साजिश है। जबकि सच्चाई ये है कि इस सरकार में कटटर मुस्लिमों के हौंसले बुलंद हो जाते है और चुंकि ये लोग जानते हैं कि सरकार कुछ नहीं बोलेगी और अपनी आदतों के तहत वे दूसरे समुदाओं पर हमला बोलते हैं। अभी हाल में लखनऊ में जुमे की नमाज के बाद मुस्लिम समुदाय ने बुद्धा पार्क के पास स्थित गौतम बुद्ध की मूर्ति तोड़ दी थी। इस कृत्य में बूढ़े ही नहीं बल्कि बच्चे भी शामिल थे। सभी के हाथों में गुम्मा, पत्थर था। लेकिन सपा सरकार में पुलिस प्रशासन मौन साधे बैठा रहा। यहीं नहीं डेनमार्क में मोहम्मद साहब के कार्टून बनाने पर लखनऊ की सड़कों को मुस्लिमों ने पाट दिया था। और तो और भाजपा कार्यालय के अंदम बम भी फेंका था। गौर करने वाली बात है कि सपा सरकार द्बारा प्रचंड तुष्टीकरण करने का नतीजा है कि मुस्लिमों समुदाय रह-रह कर दूसरे समुदायों की भावनाओं को आहत करने का कोई मौका नहीं छोड़ता है। आखिर केंद्र या राज्य सरकारें इसकी तह में क्यों नहीं जातीं कि आखिर मुस्लिमों की इस कट्टरता का राज क्या है? कहीं इसका लिंक पाक में तो नहीं? मुजफ्फनगर दंगों के मामले में भी एक मुस्लिम युवक लगातार एक हिंदू लड़की को छेड़ता था और उसका जीना दुश्वार कर दिया था। इस मामले में एक छोटी सी चिंगारी शोला बन गयी। अभी हाल में आयी एक खबर ने चौंका दिया कि पाकिस्तान से आ रही ट्रेन में मुजफ्फरनगर दंगों का बदला लेने के लिये ट्रेन में भारी मात्रा में हभियारों की सप्लाई की जा रही थी जो समय रहते पकड़ ली गयी। अगर खुफिया विभाग ने समय रहते कार्रवाई ना की होती तो ना जाने कितने लोगों की जानें जातीं। खैर मेरे लेख का मुख्य लक्ष्य मुस्लिम विरोध नहीं है बल्कि मैं ये चाहता हूं कि अगर कहीं किसी समुदाय में कुछ गलत तत्व हैं तो बगैर वोटबैंक की परवाह किये उसपर कठोरतम कार्रवाई की जाये। सपा सरकार को वोटबैंक की राजनीति छोड़कर अब राष्ट्रहित व प्रदेश हित के बारे में सोचना चाहिये। अन्यथा स्थिति ये भी आ सकती है कि सरकार ना घर की रहे ना घाट की! क्योंकि सरकार के कृत्य पर मतदाताओं की नजर है।