अखंड भारत के मुगल व ब्रिटिश शासन में देश के मूल निवासियों (भूमि पुत्रो) के शोषण व अत्याचारों का इतिहास भरा पड़ा है। देश के लगभग 800 वर्षो के इस परतंत्रता काल में भारत के भूमि पुत्रो के मानवीय मूल्यों का घोर हनन हुआ था। आज भी वही बहुसंख्यक या हिन्दू विरोधी मानसिकता की भूमिका देश की लोकतांन्त्रिक राजनीति से अभी पृथक नही हो पाई है। परिणामस्वरुप स्वतंत्र भारत में संगठित अल्पसंख्यक मुस्लिम वोटों के लालच में बहुसंख्यक हिन्दुओ का ही शोषण होता आ रहा है। सत्तर वर्षो के आधुनिक भारत में भारतीय ऋषि मुनियों की संस्कृति के वाहकों को अपमानित होना पड़े और उन्हें आक्रान्ताओं के आगे दब्बू बनने को या आत्मसमर्पण करने को विवश होना पड़े , तो इससे बडा हिन्दुओं का दुर्भाग्य और क्या होगा ? एक विडम्बना यह भी है कि अल्पसंख्यक आयोग व इनके मंत्रालय आदि को हम कब तक “धर्मनिरपेक्ष” भारत में स्वीकार करते रहेंगे ?
“सबका साथ व सबका विकास” का नारा देने वाली वर्तमान मोदी सरकार भी अपने को अल्पसंख्यकवाद से पृथक नही रख पाई है। मोदी सरकार में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के संदर्भ से नई दिल्ली से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्रों में 12 मई के ‘पायनियर’ में छपे समाचार व 13 मई के “न्यू ऑब्ज़र्वर पोस्ट” में छपा लेख “मोदी-मुख्तार अल्पसंख्यक सशक्तिकरण” से ज्ञात होता है कि मुख्तार अब्बास व मोदी जी दृढ़ता से मुस्लिम सशक्तिकरण के कार्यो में लगे हुए है। इसके अनुसार 2014 से 2017 तक केवल 3 वर्षों में ही मोदी सरकार ने अल्पसंख्यको के लिये अनेक लाभकारी योजनाओं से विशेष रुप से मुसलमानो को सशक्त करके उनका विश्वास जीतने का प्रयास किया है । इसके लिए अल्पसंख्यकों के विकास के लिए मोदी सरकार की मुख्य योजनाओं के नाम निम्न है…
▶गरीब नवाज कौशल विकास केंद्र , उस्ताद, नई मंज़िल, नई रोशनी, नई उड़ान, सीखो और कमाओं , पढ़ो परदेस , तहरीके तालीम, प्रोग्रेस पंचायत , हुनर हाट , सद्भाव मंडप, बेगम हजरत महल छात्रा छात्रवृति, बहुक्षेत्रीय विकास कार्यक्रम व प्रधानमंत्री का नया 15 सूत्री कार्यक्रम आदि। इनके अंतर्गत पिछले 3 वर्षों में निम्न लाभकारी कार्य हुए है…
➖ 4740 करोड़ रुपये छात्रवृति के रुप मे 1.82 लाख छात्रों को दिए गये ।
➖116 करोड़ रुपये 32705 मुस्लिम युवाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए दिए गये ।
➖120 करोड़ रुपयों के व्यय से 70 हज़ार स्कूल ड्राप आउट बच्चों को पुनः स्थापित किया गया ?
➖44 करोड़ रुपयों द्वारा “नई रोशनी” कार्यक्रम में 1.98 लाख मुस्लिम युवतियों को लाभ हुआ ।
➖31 करोड़ रुपये 2.34 लाख मुस्लिम युवाओं पर व्यय करके उनको रोजगार दिलवायें ।
➖ “नई उड़ान” योजना में 50 हजार रुपये की छात्रों को अतिरिक्त सहायता दी गई है।
➖ अल्पसंख्यक (मुस्लिम) बहुल क्षेत्रो में 33 डिग्री कालेज, 1102 स्कूल भवन, 15869 नये कक्षा कक्ष, 676 छात्रावास, 97 आई टी आई, 16 पॉलिटेक्निक व 223 सद्भावना मंडप भी बनाये गये है।
➖ कौशल विकास की योजना से 5.2 लाख से अधिक मुस्लिम युवा व युवतियों ने लाभ उठाया है।
➖2016-17 में एनएमडीएफसी के द्वारा स्वरोजगार व व्यापार के लिए 108588 अल्पसंख्यको की आर्थिक सहायता की गई।
➖कई वर्षों बाद इस वर्ष 34005 हज यात्रियों की भी वृद्धि होने से कुल 170025 मुसलमान हज यात्रा के लिए सऊदी अरब जाएंगे।
➖ इसके अतिरिक्त मुस्लिम बहुल क्षेत्रो में 100 से अधिक नवोदय विद्यालय जैसे स्कूल खोले जाएंगे ।
➖साथ ही मोदी जी की इच्छा है कि मौलाना आज़ाद फाउंडेशन द्वारा 5 उच्च शिक्षण संस्थान खोले जाये जिनमें अल्पसंख्यको को अच्छी “परंपरागत” व आधुनिक शिक्षा मिलें।
▶ इसके अतिरिक्त आपको पिछले 6 वर्षों में अल्पसंख्यको के लिए आवंटित बजट में निरंतर बढ़ोत्तरी का निम्न विवरण देखकर कुछ आश्चर्य अवश्य होगा….
वर्ष…………………………बजट राशि
2012–13 ………….. 3135 करोड़ रुपये (सोनियानीत संप्रग सरकार)
2013–14 ………….. 3511 # ( # )
2014–15 …………. 3711 # ( # )
2015–16 ………….. 3713 # ( मोदीनीत राजग सरकार )
2016–17 ………….. 3800 # ( # )
2017–18 …………. 4195 # ( # )
▶संप्रग सरकार और राजग सरकार के कार्यो का एक और नीचे दिया गया तुलनात्मक विवरण देखे और समझें कि कैसे मुसलमानों का तुष्टिकरण या सशक्तिकरण हो रहा है..?..
वर्ष… 2006–14 2014–17
केंद्र में शासन कांग्रेसनीत संप्रग बीजेपीनीत राजग
स्कूल भवनो का निर्माण 654 1161
छात्रावासो का निर्माण 334 680
उपरोक्त दोनों ही स्थितियों में राजग सरकार में लगभग 2 गुना बढ़ोत्तरी हुई है…जबकि संप्रग सरकार ने यह कार्य 8 वर्ष में किया परंतु राजग सरकार ने अति शीघ्रता दिखाते हुए 3 वर्षो में ही कर दिया। आप स्वयं देख सकते है कि अल्पसंख्यक मुसलमानों का सशक्तिकरण करके भी मोदी सरकार “मुस्लिम तुष्टीकरण” की राजनीति से अपने को दूर रखते हुए नारा लगाती है कि “सबका साथ और सबका विकास” ।
यह कैसी विडंबना है कि 2007 में मुस्लिम आधारित सच्चर कमेटी की जिस रिपोर्ट का बीजेपी ने अत्यधिक विरोध किया था आज वही उसकी शेष रह गई सिफारिशों को पूरा करने के साथ साथ और भी नये नये ढंग से मुसलमानों को लाभान्वित कर रही है।
आज संभवतः विश्व में भारत ही एक ऐसा देश होगा जहां उसके भूमि पुत्रो का सरकारी व समाजिक शोषण का सिलसिला अभी भी जारी है। ध्यान रहें कि विश्व में कही भी अल्पसंख्यकों के अनुसार पृथक योजनायें नहीं बनायी जाती। अधिकांश योजनायें वहां के मूल बहुसंख्यक निवासियों के मौलिक अधिकारों पर आधारित होती है ।परंतु इसके विपरीत हमारे सत्तालोलुप राजनेता वोटो के लिये अल्पसंख्यको को नये नये ढंग व अनेक असंवैधानिक कार्यो से लुभाने में लगे रहते है । इस प्रकार हमारे देश मे सामाजिक भेदभाव होने से अनेक समस्याऐं बढ़ रही है। अतः आज “सबका साथ और सबका विकास ” को सार्थक करने के लिए विभाजनकारी व राष्ट्रघाती “अल्पसंख्यकवाद” पर एक बड़ी बहस की आवश्यकता है। वैसे भी वर्तमान राजनैतिक वातावरण ने यह प्रमाणित कर दिया है कि बहुसंख्यकों की राजनीति सर्वथा सुरक्षित व प्रभावी होती है, उसमें किसी के तुष्टिकरण की आवश्यकता ही नही , तो फिर धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में धर्म आधारित “अल्पसंख्यकवाद” की क्या सार्थकता ?
विनोद कुमार सर्वोदय