डिजिटल अरेस्ट और फ्रॉड से सावधान‍

डॉ. नीरज भारद्वाज

इंटरनेट की इस युग में सूचनाओं की बाढ़ आ गई है, यह विचार हमें बहुत बार सुनाई देता है। विचार करें तो बाढ़ अपने साथ सभी कुछ बहा कर ले जाती है. जो नहीं बहा, वह नष्ट हो जाता है। ठीक इसी प्रकार सूचनाओं के दौर में सूचना तंत्र से केवल लाभ ही नहीं है, हानि भी बहुत तेजी से हो रही है। डिजिटल युग में एक नया शब्द डिजिटल अरेस्ट भी जुड़ गया है। इस डिजिटल अरेस्ट में हर एक वर्ग का व्यक्ति फंस रहा है। ‍

मजाक में ही सही लेकिन बात सत्य भी है कि आज किसी की हिस्ट्री देखनी है तो उसकी गूगल हिस्ट्री देख लो। हमारे फोन में हमारा स्क्रीन टाइम आ जाता है और हमने क्या-क्या देखा, वह भी पता लग जाता है। जो व्यक्ति जितना फोन से चिपका हुआ है, उसका डिजिटल अरेस्ट होना उतना ही आसान है क्योंकि फोन को ही उसने अपनी दुनिया समझ लिया है, इसी में जीवन को भोगना चाह रहा है। डिजिटल अरेस्ट करने वाले हैकर व्यक्ति का डिजिटल स्क्रीन टाइम और उसके मोबाइल उपयोग की सारी जानकारी जुटा लेते हैं। यहीं से खेल शुरू होता है डिजिटल अरेस्ट का। ‍

डिजिटल अरेस्ट के कई सारे पक्ष हैं, इसमें किसी को डरा-धमकाकर पैसा मांगा जाता है। किसी से बीमारी या आपके रिश्तेदार को अस्पताल पहुंचाने के नाम पर गलत-सही संदेश भेजकर पैसा मांगा जाता है। कई बार मैसेज भेज कर आपको मैसेज बॉक्स में दिखा दिया जाता है कि आपके खाते में मैंने पैसे डाल दिए हैं, आप इसे वापस कर दें। हम जल्दबाजी में अपने बैंक अकाउंट को नहीं देखतें और उस टेक्स्ट मैसेज के आधार पर पैसे भेज देते हैं। कई बार अधिकारी बनकर आपसे आपकी बैंक डिटेल मांग ली जाती है और हम साधारणः दे भी देते हैं। कई बार ओटीपी आपसे जान लिया जाता है। ऐसी छोटी-छोटी असावधानी हमारे डिजिटल अरेस्ट और फ्रॉड के कारण बन जाते हैं।

डिजिटल अरेस्ट में युवाओं को भी निशाना बनाया जाता है। लड़का है तो लड़कियां उनसे वीडियो कॉल पर बात करती हैं, लड़कियां हैं तो उनसे लड़का बात करता है। इस बातचीत में लड़के से बात करते-करते लड़कियां वीडियो कॉल पर अपने कपड़े उतार देती हैं, किसी लड़की से बात होती है तो लड़का उसके साथ अभद्र बातचीत करता है और उसे वीडियो कॉल पर अभद्र कार्य करने की कहते हैं। यह सभी रिकॉर्ड कर लिया जाता है। इसके बाद पैसे की मांग की जाती है। बालक कई बार बदनामी के डर से पैसे भी दे देते हैं। पैसे देने के चक्कर में वह कर्ज भी ले लेते हैं, चोरी भी कर लेते हैं और कई बार तो बालक आत्महत्या तक की हद तक पहुंच जाते हैं, जो की बहुत ही गलत है। हमें अपने बच्चों से इन सभी विषयों पर बात जरूर करनी चाहिए। ‍

इस डिजिटल अरेस्ट में फ्रॉड कॉल विदेशी नंबरों से की जाती है। सोचने की बात यह है कि वहां के लोग इतनी अच्छी हिंदी या अन्य भारतीय भाषाएं कैसे बोल लेते हैं। विदेश में नौकरी लगने के लालच में लोग यहां से गलत लोगों के हाथ में लग जाते हैं और वहां विदेश में जाकर फंस जाते हैं। फिर ज्यादा प्रेशर होने पर वह यह सब काम करने में लग जाते हैं। कुछ विदेशी शरारती तत्व भी इस पूरी प्रक्रिया में शामिल रहते हैं। ‍

हमें छोटी-छोटी सावधानियों के साथ ध्यान रखते हुए काम करना चाहिए। हमें डिजिटल अरेस्ट और फ्रॉड से बचना चाहिए। हमें अपने बच्चों और परिवार के लोगों से इस विषय पर खुलकर बात करनी चाहिए। समाज में भी लोगों के बीच ऐसे विषय पर जागरूकता के साथ चर्चा में लाना चाहिए। देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने मन की बात कार्यक्रम में डिजिटल अरेस्ट की बात कही थी। सरकार भी बार-बार विज्ञापनों के माध्यम से डिजिटल अरेस्ट से सावधान रहने और उससे बचने की, उससे बचाव की बात करती रहती है। हमें भी जागरूक और सतर्क रहना चाहिए। हमेशा सावधानी से बात करनी चाहिए।

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