भारतीय जनता पार्टी की स्थापना व उसका  इतिहास 

पार्टी की स्थापना दिवस 6 अप्रैल पर विशेष 

भारतीय जनता पार्टी की स्थापना 6 अप्रैल 1980 को हुई, जिसके प्रथम राष्ट्रीय अध्यक्ष अटलबिहारी वाजपेयी सर्वसम्मति  से निर्वाचित हुए, परन्तु पार्टी का इतिहास 1925 मेँ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुडा हैं। संघ की स्थापना के 26 वर्षो के बाद संघ के दृतीय सरसंघ चालक माधवराव सदाशिव राव गोलवलकर की प्रेरणा से 21 अक्टूबर 1951 को पंडित श्यामाप्रसाद मुखर्जी की अध्यक्षता मेँ  भारतीय जनसंघ की स्थापना हुई। हालांकि गुरु जी व अन्य संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी  राजनितिक पार्टी बनाने के पक्ष मेँ नहीं रहे, परन्तु परिस्थितियाँ ऐसी निर्मित हो गई की उन्हें यह निर्णय लेना पडा। 1948 मेँ  राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या के बाद देश की राजनीती मेँ षड्यंत्र रचा जाने लगा। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पर प्रतिबंध लगा दिया गया। पंडित जवाहर लाल नेहरू का अधिनायकवाद देश मेँ पूरी तरह स्थापित हो गया था। मुस्लिम तुष्ठीकरण की पराकाष्ठा हो गई थी। भारत से अलग हुए बांग्लादेश व पाकिस्तान मेँ हिन्दुओं पर अत्याचार बढ़ने लगे थे, परन्तु भारत की सरकार पूरी तरह मौन थी। इसी को लेकर डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी नेहरू मंत्री मण्डल से इस्तीफा देकर गुरु जी की प्रेरणा से भारतीय जनसंघ की स्थापना की। इस के साथ ही पंडित दीनदयाल उपाध्याय,  अटल बिहारी वाजपेयी व नानाजी देशमुख जैसे विचारक औऱ चिंतक पार्टी मेँ शामिल हुए।

राष्ट्र की अखंडता के मुद्दे पर मुखर्जी ने जम्मू कश्मीर मेँ आंदोलन छेड़ दिया। उनका नारा था पुरे देश मेँ एक प्रधान, एक संविधान एक निशान होना चाहिए। जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा बर्दास्त नहीं होगा। कश्मीर भारत का अभिन्न अंग हैं। पंडित नेहरू की हठधर्मिता के कारण उन्हें बंदी बना लिया गया। जहां उनकी रहस्यमय परिस्थितियों मेँ  मृत्यु हो गई।

उसके बाद महान विचारक औऱ चिंतक   भारतीय जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने पंडित दीनदयाल उपाध्याय । उन्होंने भारतीय जनसंघ को बहुत तेजी से आगे बढ़ाने का कार्य किया। पंच निष्ठां औऱ एकात्ममानववाद का विचार उन्ही की देन हैं। 11 फरवरी 1968 को मुग़ल सराय स्टेशन पर उनकी निर्मम हत्या कर दी गई जिसका रहस्य आज तक बना हुआ हैं।

1951 से लेकर 1975 तक भारतीय जनसंघ ने अपनी वरिष्ठ विचार धारा औऱ अपने  निष्ठांवान मेहनती केडर के बल पर अपनी विशेष साख स्थापित कर ली थी।

1975 मेँ तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गाँधी ने अपनी सत्ता को बचाये रखने के लिए देश मेँ आपातकाल की घोषणा कर दी। सभी प्रमुख विपक्षी नेताओं को जेल मेँ बंद कर दिया गया। 1977 मेँ आपातकाल हटाना पड़ा औऱ आम चुनाव हुआ। देश के सभी प्रमुख विपक्षी नेताओं ने मिलकर लोकनायक जयप्रकाश के नेतृत्व मेँ जनता पार्टी की स्थापना की, जिसमे भारतीय जनसंघ घटक की महत्वपूर्ण भूमिका रही। मुरारजी भाई देसाई देश के प्रधान मंत्री निर्वाचित हुए, परन्तु जनता पार्टी सरकार लम्बे समय तक चल नहीं सकी। औऱ पार्टी का विघटन हो गया।

1980 मेँ अटलबिहारी वाजपेयी की अध्यक्षता मेँ  भारतीय जनता पार्टी का गठन हुआ। अपनी स्थापना के साथ ही पार्टी निरंतर आगे बढ़ती रही। पहली बार 1996 मेँ अटलजी के नेतृत्व मेँ भाजपा की सरकार बनी। परन्तु सरकार केवल 13 दिन ही चल पाई। 1998 के आम चुनाव मेँ भाजपा ने 182 सीटे हासिल की वाजपेई के नेतृत्व मेँ राष्ट्रीय जानतान्त्रिक सरकार का गठन हुआ। जय ललिता के समर्थन वापिस से एक वोट से सरकार गिर गई। तीसरी बार वे 2004 तक देश के प्रधान मंत्री रहे। अटलजी बिहारी वाजपेई विपक्ष  के ऐसे पहले प्रधान मंत्री थे जिन्होंने अपना पूरा 5 साल का कार्यकाल पूरा किया।

भाजपा नीत राजग सरकार ने अटलजी बिहारी वाजपेई सरकार ने विकास के अनेको प्रतिमान स्थापित किए।

अटलजी  की सरकार के समय अनेको उपलब्धियां हासिल हुई जिनमे प्रमुख रूप से भारत परमाणु शक्ति राष्ट्र बना। कारगिल युद्ध मेँ भारत की इतिहासिक विजय हुई। स्वर्णिम चतुर्भुज योजना को क्रियान्वित किया गया।

भारतीय जनता पार्टी की बड़ी उपलब्धि यह रही हैं की 2014 से लेकर आज तक लगातार तीसरी बार प्रधान मंत्री नरेंदर भाई मोदी के नेतृत्व मेँ भाजपा की सरकार देश को दुनिया का एक अग्रणी राष्ट्र बनाने की दिशा मेँ आगे बढ़ रही हैं। पार्टी को विश्व की सबसे बड़ी पार्टी बनने का गौरव प्राप्त हुआ।इन 11 वर्षो के कार्यकाल मेँ प्रधानमंत्री नरेंदर मोदी के नेतृत्व मेँ  राष्ट्रीय विकास को बहुत मजबूती औऱ गति मिली हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ़्तार तेज हुई हैं। भारत की जीडीपी की विकास दर बहुत तेजी से बढ़ी हैं।

सबका साथ सबका विकास औऱ सबका विश्वाश के आदर्श वाक्य के साथ आदर्श बदलाव की शुरुआत हुई हैं। प्रबल, समर्पित गतिशील प्रधान मंत्री के रूप मेँ नरेंदर भाई मोदी ने अपना एक वरिष्ठ स्थान बना लिया हैं।

सुरेश गोयल धूप वाला

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