बुखार की दवा

कुत्ता बोला,बिल्ली दीदी, मुझको चढ़ा बुखार|

यदि हो सके संभव तो ,कोई दवा करो तैयार||

बिल्ली बोली ,भौंक भौंक कर, तुम होते बीमारा|

बंद रखोगे मुँह तो होगी , बीमारी की हार||

यदि छोड़ दो पीछा करना,तुम निरीह लोगोंका|

कुत्ता भाई निश्चित तुम पर ,कभी न ताप चढ़ेगा||

 

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प्रभुदयाल श्रीवास्तव
लेखन विगत दो दशकों से अधिक समय से कहानी,कवितायें व्यंग्य ,लघु कथाएं लेख, बुंदेली लोकगीत,बुंदेली लघु कथाए,बुंदेली गज़लों का लेखन प्रकाशन लोकमत समाचार नागपुर में तीन वर्षों तक व्यंग्य स्तंभ तीर तुक्का, रंग बेरंग में प्रकाशन,दैनिक भास्कर ,नवभारत,अमृत संदेश, जबलपुर एक्सप्रेस,पंजाब केसरी,एवं देश के लगभग सभी हिंदी समाचार पत्रों में व्यंग्योँ का प्रकाशन, कविताएं बालगीतों क्षणिकांओं का भी प्रकाशन हुआ|पत्रिकाओं हम सब साथ साथ दिल्ली,शुभ तारिका अंबाला,न्यामती फरीदाबाद ,कादंबिनी दिल्ली बाईसा उज्जैन मसी कागद इत्यादि में कई रचनाएं प्रकाशित|

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