दूर नदी में
निरंतर बहती जलधारा
आकाश में तैरते
छोटे सफ़ेद -काले बादल
उड़ते छोटे- बड़े पक्षी
दूर तक फैली हरियाली
झोला उठाए,
कलरव करते
बच्चों का पाठशाला जाना
गाय- बकरियों का
उनके साथ-साथ
आसपास चलना
युवा किसान का
अपने चौड़े कंधे पर
हल रखकर
बैलों के पीछे-पीछे
खेत की ओर बढ़ना
पीछे से,
घूँघट काढ़े
नई नवेली दुल्हन का
झटकते हुए आना
पास आकर
ठिठकना, फिर शरमाना
भोजन की पोटली थमाना
और
लौटते हुए
मुड़ – मुड़ कर अपने
‘ए जी’ को देखना
शाम को चौपाल में
सबका आपस में
खुल कर बतियाना …
यहाँ का यह सब कुछ
मुझमें ताजगी भरते हैं
शहर से इस और
खीचते हैं हमेशा !
ग्रामीण वातावरण का सुन्दर शब्द चित्र
यह किस काल और देश का खाका खींचा है ,कवि भाई आपने? कम से कम आज तो इस देश यानि इंडिया यानि भारत में ऐसा कुछ देखना तो बिरले नसीब हो.