
जुल्फ लगा घनेरी है।
रात ज्यों अंधेरी है।।
ठीक सब कुछ हम समझे,
जबकि हेरा फेरी है।
हम समझे गुलजाफरी,
हालाँकि झरबेरी है।
लाल लाल बंगाल में,
हुआ गंदुम खेरी है।
पंछी का दल पेड़ पर,
जाल लिए अहेरी है।
किस्से औ कहानी में,
दीनार की ढेरी है।
भूख कुलाँचे गर भरे,
खाना तब महेरी है।
अविनाश ब्यौहार
रायल एस्टेट कटंगी रोड
जबलपुर।