तुम मिली जब मुझे दुनिया की भीड़ में,
अपनी सुध-बुध गवाना जरुरी लगा,
आस जागने लगी प्रीत की शब तले,
हमको सपने सजाना जरुरी लगा,
नींद छिनी रात की दिन का चैन लूटा,
हाल तुमको बताना जरुरी लगा,
चाहत की गलियों में हाँ संग तेरे,
प्रेम दीपक जलाना जरुरी लगा,
तेरे पहलू में सर को रख कर,
हमें कुछ सुनना-सुनाना जरुरी लगा,
बात जब ये ख्वाब में मिलने की,
हमको पलकें झुकाना जरुरी लगा,
राधा बन आई तुम यमुना तीर पर,
तेरी पायल छनकना जरुरी लगा,
रास फिर से रचा, वंशीवट के तले,
हमको बंसी बजाना जरुरी लगा I