
-सिद्धार्थ शंकर गौतम-
मोदी सरकार के एक साल पूरे होने का जश्न शुरू हो चुका है। साथ ही, केंद्रीय मंत्रियों की टीम ने सरकार की जनपक्षीय योजनाओं को विभिन्न माध्यमों द्वारा जनता तक पहुंचना भी शुरू कर दिया है। पिछले दो-तीन दिनों से इलेक्ट्रॉनिक चैनलों पर भाजपा अध्यक्ष से लेकर तमाम मंत्रीगण सरकार के एक वर्ष के कामकाज को गिनाते नज़र आ रहे हैं। इस बीच कांग्रेस ने भी अपने नेताओं की फ़ौज को सरकार की नाकामयाबियों की फेहरिस्त जनता के बीच लाने का पैगाम दिया है जिसे वे बखूबी निभा रहे हैं। किन्तु इन सबके बीच को सुखद आश्चर्य है वो यह कि ऐसा शायद पहली बार हो रहा है कि किसी सरकार के एक वर्ष के कार्यकाल का मूल्यांकन इतने वृहद पैमाने पर हो रहा है। यह परिपाटी निश्चित रूप से लोकतंत्र को समृद्ध करने वाली है। वैसे किसी सरकार के कार्यों को एक वर्ष के कार्यकाल पर तोलना सरकार के साथ अतिश्योक्ति है; फिर भी ऐसा होने से सरकार के भविष्य का ब्लूप्रिंट जनता के सामने आ रहा है। विपक्ष जितने भी आरोप सरकार पर लगा रहा है, सरकार उसका कड़े और स्पष्ट शब्दों में प्रमाण सहित खंडन कर रही है गोयाकि कहा जा सकता है कि सरकार कमर कसकर तैयार है। फिर यह भी कहना गलत न होगा कि चूंकि सरकार अपनी उपलब्धियां जनता के बीच ला रही है तो वह सच ही हैं। एक वर्ष के कार्यकाल में मोदी सरकार ने जितने कार्य किए हैं; वे कांग्रेसशासित सरकार के बनस्बित उन्नीसे ही साबित हुए हैं। हां, इतना ज़रूर कहना चाहूंगा कि मोदी सरकार अर्थव्यवस्था और धार्मिक सहष्णुता की नीति पर आंशिक रूप से विफल रही है और भारत को वह सब मिल गया है जिसकी अपेक्षा थी। लेकिन देशहित को सर्वोपरि रखने वाली सरकार के होने से विश्वास बढ़ा है, जो एक बड़ी बात है।
जहां तक बात भ्रष्टाचार के मुद्दे पर मोदी सरकार की विफलता की है तो यह जहर समाज की नसों में खून बनकर दौड़ रहा है, जिसे एक सरकार समूचे रूप से खत्म नहीं कर सकती। हां, सरकारी क्षेत्र में सरकार भ्रष्टाचार को खत्म करने का प्रयास कर रही है और निजी क्षेत्र में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने हेतु कड़े क़ानून बनाए जाने चाहिए परन्तु सिर्फ केंद्र सरकार के भरोसे पर इस सामाजिक बुराई को जड़-समूल समाप्त नहीं किया जा सकता। इसके लिए राज्य सरकारों, निजी संस्थाओं, गैर सरकारी प्रतिष्ठानों इत्यादि को सरकार के साथ, सरकार को विश्वास में लेकर काम करना होगा, तभी सकारात्मक नतीजों की कल्पना की जा सकती है। मोदी सरकार की विदेश नीति को देखें तो इस मोर्चे पर सरकार भले ही राजनीतिक विरोधियों के निशाने पर रही हो किन्तु वैश्विक मीडिया में मोदी को जमकर भुनाया जा रहा है। टाइम के बाद अब मशहूर पत्रिका द इकोनॉमिस्ट ने मोदी को अपने कवर पेज पर स्थान देकर उन्हें भारत के विकास के लिए दृढ़ संकल्पित बताया है। हालांकि पत्रिका ने मोदी सरकार को कुछ सुझाव देने के साथ ही कुछेक मुद्दों पर उसकी आलोचना भी की है मगर यह आलोचना भी सारगर्भित है। पत्रिका ने महंगाई व मुद्रास्फीति को रोकने के लिए उठाए गए कदमों को मोदी सरकार की एक बड़ी सफलता बताया है। प्रधानमंत्री के सुधारवादी कदमों पर कहा गया है कि उन्होंने कुछ अच्छे कदम उठाते हुए भारत की अर्थव्यवस्था को बहुत हद तक स्थिरता दी है। नीतिगत निर्णयों के चलते जहां मुद्रास्फीति कम हुई है वहीं ब्याज दरें भी गिरी हैं। रुपए की दर में स्थिरता के साथ ही राजकोषीय व चालू खाता घाटा अब काफी नियंत्रित है। पत्रिका के अनुसार इन सुधारों से ऐसी उम्मीद जगी है कि भारत 7.5 फीसद की वृद्धि दर के साथ आने वाले समय में चीन को पीछे छोड़ देगा। कुल मिलाकर सरकार के अच्छे और जनहितैषी कार्य दिख रहे हैं और उनपर विरोधी दलों को राजनीतिक रोटियां सेंकने से बाज आना चाहिए। देश मोदी सरकार पर विश्वास कर रहा है और सरकार भी उसका विश्वास अभी तक कायम रखे हुए हैं।