आज कुछ बात मन को हिलाकर रख दिया
बीते लम्हों को उमंगित कर मजबूर कर दिया
सोचा नहीं था मुलाकात होगी तुमसे आज ” गांवली ”
पास जाकर यकीन हुआ …
मेरा तुमसे मुलाक़ात होना
प्यार भरा वो पल
केवल प्रेम और केवल प्रेम था
आज कुछ बात मन को हिलाकर रख दिया
बीते लम्हों को उमंगित कर मजबूर कर दिया
सोचा नहीं था मुलाकात होगी तुमसे आज ” गांवली ”
पास जाकर यकीन हुआ …
मेरा तुमसे मुलाक़ात होना
प्यार भरा वो पल
केवल प्रेम और केवल प्रेम था
स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान पत्रकारिता ने जन-जागरण में अहम भूमिका निभाई थी लेकिन आज यह जनसरोकारों की बजाय पूंजी व सत्ता का उपक्रम बनकर रह गई है। मीडिया दिन-प्रतिदिन जनता से दूर हो रहा है। ऐसे में मीडिया की विश्वसनीयता पर सवाल उठना लाजिमी है। आज पूंजीवादी मीडिया के बरक्स वैकल्पिक मीडिया की जरूरत रेखांकित हो रही है, जो दबावों और प्रभावों से मुक्त हो। प्रवक्ता डॉट कॉम इसी दिशा में एक सक्रिय पहल है।