मोदी जी, यह गांधी का भारत है हिटलर का जर्मनी नहीं

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निर्मल रानी

जैसे-जैसे 2014 में होने वाले लोकसभा चुनावों का समय क़रीब आता जा रहा है, सभी राजनैतिक दल अपनी-अपनी शतरंजी बिसातें बिछाने में लग गए हैं। देश में होने जा रहे राष्ट्रपति की उम्मीदवारी को लेकर भी विभिन्न राजनैतिक दलों द्वारा की जा रही ज़ोर-आज़माईश उसी 2014 के लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र है। मंहगाई व भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी यूपीए सरकार विशेष कर यूपीए के सबसे बड़े घटक दल कांग्रेस पार्टी के लिए भी यह समस्या है कि वह 2014 में मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री के रूप में जनता के बीच लेकर जाए या किसी अन्य जनस्वीकार्य चेहरे को आगे रखकर जनता से पुन: वोट तलब करे। इसी प्रकार नेतृत्व विहीन सी दिखाई दे रही भारतीय जनता पार्टी भी किसी ऐसे चेहरे की तलाश में है जिसे आगे कर अपने वोट तथा सीटों में इज़ाफा किया जा सके और 2014 में केंद्र की सत्ता हासिल की जा सके।

हालांकि भाजपा के वरिष्ठतम नेता लालकृष्ण अडवाणी अभी भी स्वयं को न तो राजनीति से अलग मान रहे हैं न ही वे सक्रिय राजनीति से सन्यास लेने या दूरी बनाए रखने की बात कर रहे हैं। फिर भी भाजपा का एक बड़ा वर्ग जिसमें कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का भी एक तबका शामिल है, गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को भारतीय जनता पार्टी की ओर से 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री पद का दावेदार पेश करने की कोशिश कर रहा है। ज़ाहिर है यह वही वर्ग है जिसने कि गुजरात को संघ की प्रयोगशाला के रूप में आज़माया है तथा नरेंद्र मोदी को इस कथित प्रयोगशाला का संचालक बनाया है। केवल भारतवर्ष के लोगों ने ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया ने यह बखूबी देख लिया कि नरेंद्र मोदी ने गोधरा हादसे व उसके पश्चात वहां के सांप्रदायिक दंगों के बाद किस प्रकार अपनी पक्षपातपूर्ण भूमिका निभाकर बड़ी ही चतुराई व सफलता के साथ हिंदू मतों का धु्रवीकरण अपने पक्ष में कराया है तथा तब से ही सत्ता पर अपनी पकड़ मज़बूत बनाई हुई है। अब मोदी समर्थक वही शक्तियां जो नरेंद्र मोदी की सांप्रदायिक राजनैतिक शैली की समर्थक हैं वही नरेंद्र मोदी को देश के भावी प्रधानमंत्री के रूप में पेश किए जाने की पक्षधर हैं। प्रश्र यह है कि क्या सांप्रदायकि राजनीति किए जाने का गुजरात जैसा फार्मूला पूरे भारत में भी चल सकता है? क्या नरेंद्र मोदी व उनकी समर्थक संघ परिवार की शक्तियां पूरे देश में गुजरात जैसा सांप्रदायिक वातावरण बना पाने में कभी सफल हो सकती हैं? क्या गुजरात की तरह पूरा देश कभी संघ की प्रयोगशाला के रूप में परिवर्तित हो सकता है?

यह जानने के लिए हमें धर्मनिरपेक्ष भारतवर्ष के प्राचीन, मध्ययुगीन तथा वर्तमान इतिहास एवं चरित्र पर नज़र डालनी होगी। गौरतलब है कि जहां हमारा देश भगवान राम और कृष्ण जैसे महापुरुषों का देश माना जाता है वहीं रहीम, रसखान, जायसी, संत कबीर जैसे महापुरुषों को भी इस धरती पर उतना ही सम्मान प्राप्त है जितना कि अन्य धर्मों के महापुरुषों को। भारतवर्ष अकबर महान तथा बहादुरशाह ज़फर जैसे शासकों का देश कहलाता है। ख्वाज़ा मोईनुद्दीन चिश्ती व निज़ामुद्दीन औलिया हमारे देश की सांझी विरासत के अहम प्रहरी हैं। यह देश अमीर खुसरो ,बाबा फरीद व बुल्लेशाह जैसे संतों व फकीरों का देश है। और वर्तमान समय में हमारे देश को महात्मा गांधी का देश अर्थात गांधीवादी धर्मनिरपेक्ष विचारधारा का देश जाना जाता है। आज भी एपीज अब्दुल कलाम जैसे महान वैज्ञानिक भारतीय युवाओं के सबसे बड़े आदर्श पुरुष समझे जाते हैं। ऐसे में यह कल्पना करना भी गलत है कि पूरा का पूरा देश नरेंद्र मोदी जैसे विवादित,सांप्रदायिक छवि रखने वाले तथा गोधरा व गुजरात दंगों में मारे गए हज़ारों बेगुनाह लोगों की हत्या का आरोप झेलने वाले मोदी को कभी देश के प्रधानमंत्री के रूप में स्वीकार करेगा। नरेंद्र मोदी के शासनकाल में गुजरात ने भले ही कितना ही विकास क्यों न किया हो लेकिन उनका यह विकास या विकास का ढिंढोरा उनकी सांप्रदायिक छवि व उनके राजनैतिक चरित्र को कतई बदल नहीं सकता।

नरेंद्र मोदी के समर्थक उनके पक्ष में यह तर्क देते हैं कि यदि वे योग्य नहीं तो टाईम मैगज़ीन ने उनका चित्र अपने कवर पृष्ठ पर क्यों प्रकाशित किया। नि:संदेह नरेंद्र मोदी की ‘योग्यता’ पर कोई संदेह नहीं किया जा सकता। गुजरात में सांप्रदायिक आधार पर मतों का ध्रुवीकरण कराना, गुजरात दंगों में अपनी पक्षपातपूर्ण भूमिका निभाना तथा अपने ऊपर लगे आरोपों को छुपाने हेतु उस पर विकास का लेप चढ़ाना निश्चित रूप से मोदी की ‘योग्यता’ का ही परिणाम है। और उनकी यही ‘योग्यता’ गुजरात में उनकी सत्ता वापसी सुनिश्चित करती है। परंतु यही मोदी के समर्थक इस बात का जवाब देने से परहेज़ करते हैं कि आखिर जिस मोदी ‘महान’ का चित्र टाईम मैगज़ीन के कवर पृष्ठ पर प्रकाशित हो चुका हो उस मोदी को अब तक अमेरिका में प्रवेश करने की इजाज़त आखिर क्यों नहीं मिली? क्या वजह है कि आज मोदी को अमेरिका में बैठे अपने समर्थकों को संबोधित करने हेतु वीडियो कांफ़्रेंसिंग का सहारा लेना पड़ रहा है। मोदी समर्थक यह भी दावा कर रहे हैं कि गुजरात में मोदी के शासनकाल में प्रशासनिक भ्रष्टाचार समाप्त हो गया है। बड़े आश्चर्य की बात है कि जिस गुजरात में सबसे अधिक प्रशासनिक व पुलिस अधिकारी विभिन्न जघन्य अपराधों के आरोपों में जेल की सलाखों के पीछे हों उसे अपराधमुक्त व सुशासित राज्य बताया जा रहा है। फर्जी मुठभेड़ों के मामले में तमाम आईपीएस अधिकारी गुजरात की जेलों में हैं। भाजपा के गुजरात के सांसद पर आरटीआई कार्यकर्ता की हत्या का आरोप है। गुजरात में शराब बंदी होने के बावजूद शराब मािफया व अधिकारियों की मिलीभगत के परिणास्वरूप ज़हरीली शराब पीने से तमाम लोगों की मौतें होती रहती हैं। उसके बावजूद गुजरात को स्वच्छ प्रशासन वाले राज्य के रूप में पेश करने का घृणित प्रयास किया जाता है। माया कोडनानी तथा अमित शाह जैसे मोदी सरकार के मंत्री सामूहिक हत्याकांड व हत्या जैसे आरोपों के कारण जेल की सलाखों के पीछे जा चुके हैं। इन सबके बावजूद स्वच्छ प्रशासन का तर्क दिया जाना हास्यास्पद नहीं तो और क्या है।

अब नरेंद मोदी ने गुजरात से बाहर अपनी राजनीति का विस्तार करने हेतु एक नया पासा यह फेंका है कि उन्होंने उत्तर प्रदेश व बिहार के नेताओं को तथा वहां फैले कथित जातिवाद को इन राज्यों के पिछड़ेपन का जि़म्मेदार बताया है। इस का जवाब भाजपा के विरोधी दलों ने क्या देना स्वयं बिहार में भाजपा के सत्ता सहयोगी व राज्य के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने दे दिया है। उन्होंने एक कहावत में मोदी के विषय में सबकुछ कह डाला है। नितीश कुमार ने कहा ‘सूप बोले सो बोले छलनी क्या बोले जिसमें 72 छेद’। इस कहावत के द्वारा नितीश कुमार ने मोदी को स्पष्ट रूप से संदेश दे दिया है कि सांप्रदायिकता को आधार बनाकर सत्ता हासिल करने वालों को दूसरों को जातिवादी कहने का कोई अधिकार नहीं है। नरेंद्र मोदी के कथन से और भी कई सवाल पैदा होते हैं। उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी कई बार सत्ता में भी रही है तथा सत्ता की सहयोगी भी रही है। तो क्या भाजपा भी उत्तर प्रदेश की कथित जातिवादी राजनीति की जि़म्मेदार नहीं है? इसी प्रकार बिहार में भी इस समय भाजपा सत्ता गठबंधन में सहयोगी है। फिर आखिर भाजपा ने गत् सात वर्षो में राज्य से जातिवाद समाप्त करने हेतु क्या ठोस कदम उठाए हैं? आख़िर 2014 कि चुनावों के पूर्व ही नरेंद्र मोदी को उत्तर प्रदेश व बिहार जैसे देश के दो सबसे बड़े राज्यों के पिछड़ेपन की चिंता क्यों सताने लगी है?

गुजरात के तथाकथित विकास को भी मोदी समर्थक नरेंद्र मोदी की महान उपलब्धियों के रूप में प्रचारित करने के पक्षधर है। इन्हें ऐसी ग़लतफ़हमी है कि नरेंद्र मोदी के गुजरात के विकास माडल को पूरे देश में प्रचारित कर उनके पक्ष में न केवल बेहतर वातावरण तैयार किया जा सकता है बल्कि भाजपा की सीटों व मतों में भी इज़ाफा किया जा सकता है। इन लोगों को भी यह बात भलीभांति समझ लेनी चाहिए कि बेगुनाहों के खून से लथपथ बुनियाद पर खड़ी किसी प्रकार की कथित विकास की इमारत को भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र की जनता कतई स्वीकार नहीं कर सकती। जर्मनी ने भी हिटलर के समय में बहुत अधिक विकास किया था। परंतु आखिरकार उस का भी हश्र बुरा ही हुआ। आज हिटलर को अच्छे शासक या विकास पुरुष के रूप में नहीं बल्कि दुनिया के सबसे क्रूर तानाशाह व बेगुनाहों के हत्यारे शासक के रूप में याद किया जाता है। फिर आख़िर हिटलर की राह पर चलने वाले या उससे प्रेरणा पाने वाले नरेंद्र मोदी को भारत की जनता कैसे स्वीकार कर सकती है? आखिरकार यह देश गांधी का भारत है न कि हिटलर की जर्मनी।

23 COMMENTS

  1. rahi baat gandhi ki to मानवतावाद मूर्खता और कायरता की अभिव्यक्ति है. मुझे ये नहीं समझ आता कि इंसान प्रकृति के जितना ही क्रूर क्यों नहीं हो सकता . संघर्ष सभी चीजों का जनक है . जानवरों की दुनिया में इंसान मानवता के सिद्धांत से जीता या खुद को बचाता नहीं है बल्कि वो सिर्फ क्रूर संघर्ष केमाध्यम से जिंदा रह पाता है . सफलता की सबसे पहली आवश्यकता हिंसा का नियमित और निरंतर नियोजन है . जो जीना चाहते हैं उन्हें लड़ने दो और जो अनंत संघर्ष वाली इस दुनिया में नहीं लड़ना चाहते हैं उन्हें जीने का अधिकार नहीं है .

  2. ye musalman kabhi bharat ke dost nahi ho sakte. ye bharat ko chaat gaye. aur shayad aapko pata nahi ki hitler bhi hindu the. une angrejo ne isliye villan banaya kyoki angrejo ko dar tha ki unke jesa koi tanashah bharat me bhi na khada ho jaye kyoki bharat bhi hindu desh tha. यूनीवर्सल एजुकेशन सबसे अधिक नुक्सान पहुंचाने वाला ज़हर है जिसका अंग्रेजो ने हमारे विनाश के लिए आविष्कार किया है . min kamf padiye. plz i riquast you.

  3. कुशल और निरंतर प्रचार के ज़रिये , कोई लोगों को स्वर्गभी नर्क की तरह दिखाया जा सकता है या एक बिलकुल मनहूस जीवन को स्वर्ग की तरह दिखाया जा सकता है . जो congres kar rahi he. किसी देश का नाश केवल जूनून के तूफ़ान से रोका जा सकता है , लेकिन केवल वो जो खुद जुनूनी होते हैं दूसरों में जूनून पैदा कर सकते हैं और मोदी मेँ बो जुनून है.

  4. गांधी का भारत ? गांधी खा गया देश को. satya ahinsa की पीप्डी बजा बजा के खा गया. आपको पता है बो क्यो मरा ? बो ansan पर बैठा था की पाकिसतान को 55 करोड (आज के 5000000000) दे दो. इस कारण nathuram godse का गुस्सा बाडक गया. और जिस हिटलर को आप गाली दे रहे है उसके कारण ही आप ये TOPIC लिख रही है वरना सायद आप किसी कोठे पर किसी अंग्रेज से….. aap samaj rahi he na mera kya matlav he ? plz bura mat maniyega.

  5. मोदी भारत का चमत्कार है|
    अषाढ़ चूकने का यह अवसर नहीं है|
    ६५ बरसों से सूरज उग नहीं सका, जो उगने की संभावना है|
    भारत के शत्रु ही मोदी का विरोध करेंगे|
    (१) टाटा जो भूमि ३ बरसों में कम्युनिस्ट सिंगूर में नहीं पा सके, वह ३ दिनमें सानंद में मिली|
    (२) सौर उर्जा लायी ,(३) नर्मदा जल,(४) कच्छ को हराभरा बनाया|
    (५) अहमदाबाद आँखों देखा की २४ घंटे नल में पानी आता है| (६)रास्ते चौड़े ६ लेनो वाले, बस सिस्टम,
    (७)मोदी को कोई भी मिल सकता है, वह भी बिना पूर्व नियोजित समय लेकर|
    क्या चमत्कार है?

  6. डॉ. मधुसुदन जी, सोनू क पास कुछ प्रमाण नहीं है….सारा का सारा अनर्गल प्रलाप है. यह सारे कांग्रेसी दलाल हैं और यह लेख भी कांग्रेस प्रायोजित है… हमेशा फालतू की बात करना और हिन्दू विरोधी विचारधारा को प्रोत्साहन देना इनका काम है … पाश्चात्य सभ्यता के यह लोग पुरोधा हैं और अगर बस चले तो देश को बेच दें ….. हिन्दू विरोध केर के मुसमानों का वोट बटोरने का इनका षड़यंत्र है…. बस चले तो देश का एक और विभाजन करा दें … अभी तक पाकिस्तान की शोचनीय हालत देख केर कुछ समझ नहीं आता इन लोगों को…..

  7. मोदी न विकासपुरुष है और न ही दंगो में बेक़सूर वो PM बन्ने के मुंगेरीलाल वाले सपने दिनदहाड़े देख सकता है सपना देखने पर रोक नही है लेकिन यद् रखो अभी उसके गुरु अडवाणी को २ बार पीअम बनने से रोका जा चुका है फिर मोदी की तो अभी औकात ही क्या है, उसे खुद भाजपा वाले ही तबाह करेंगे

    • iqbal हिन्दुस्तानी sabse pahle to apne नाम ke aage से हिन्दुस्तानी शब्द हटाओ इससे तुम सम्प्रदाईक लगते हो फिर कोई अच्छा सा नाम rakhna

    • इकबाल भाई, आपका बड़ा प्रशंशक हूँ…
      आपके लेख प्रवक्ता पर पढता रहता हूँ और आपके जिले का होने के कारण, नजीबाबाद में आपके शेरो शायरी के किस्से भी सुनता -पढता रहता हूँ..

      …पर आप इस मुद्दे को बिना प्रमाण के मत छुयिए.., मोदी की बुराई करना मुस्लमान(हिन्दू-स्तानी) भाईओं के लिए फैशन जैसा हो गया है.. मोदी ने काम किया है (जैसा की डॉ. मधुसुदन जी ने भी कहा है).. जिसको नाकारा नहीं जा सकता… और जितने मुस्लमान गुजरात में अपने को सुरक्षित महसूस करते हैं व जितने मुस्लमान वहां पर कामगार है.. उतने किसी और प्रदेश में नहीं.. छोटे मोटे दंगे…तो आपके पडोसी जिलों में भी होते रहते हैं.. तो क्या सपा (मुलायम) और कांग्रेसी दोषी नहीं हैं…पर सपा को मुस्लमान अपना मसीहा समझ रहे हैं.. यह उनका भुलावा है.. सब अपना भला करने के लिए देश का भविष्य ख़राब कर रहे हैं…इसमें कोई दोराय नहीं है…

      कृपया गुजरात भ्रमण पर जाइये और मोदी के बारे में वहां के लोगो से ही पूछिए… न की कान सुनी बातों पर विश्वाश करें..

      आर त्यागी
      स्योहारा , बिजनोर (उ० प्र०)

    • इकबाल भाई,

      इक बार मोदी को पीएम् बनाने के लिए आह्वान तो करिए… फिर आपको प्रदेश और देश की दशा में अंतर महसूस होगा.. .जो सपा के प्रदेश में सरकार बनाने के लगभग ६ माह बाद भी नहीं हो रहा… कोई चमत्कार नहीं करने वाली यह सपा सरकार और न है कांग्रेस… (महगाई, बिजली व्यवस्था, पानी, स्कूल, गावों को जोड़ने वाली सड़क, यहाँ तक की कई शहरों की मुख्य सड़कें आजादी के ६५ साल बाद भी उसी हाल में है..जिसमे से ५० साल कांग्रेस की ही सरकार रही है.. फिर भी यह “और पांच साल- और पांच साल” कर लोगों का मूर्ख बना रहे हैं) और तो और गरीब और गरीब हुआ है… मुसलमाओं की स्थिति भी इन तथाकथित धर्मनिरपेक्ष सरकारों ने कोई चमत्कारी नहीं कर दी है… तो फिर एक मौका गुजरात में प्रमाणित मोदी को क्यों नहीं…

      सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को भी आने दीजिये उसके बाद अपने फैसले भी सुना देना ‘सरकार’

      इकबाल भाई..आशा है.. गौर करेंगे..

      आर त्यागी
      बिजनौर (उ० प्र०)

      • सहमत हूँ।
        यदि इकबाल भाई मोदी जी से मिलकर साक्षात्कार करना चाहते हैँ, तो सम्पर्क करवा सकता हूँ। आँखो देखा हाल इकबाल भाई का मत परिवर्तन कर देगा।
        मोदी अकेला किसी वोट बँक को प्रोत्साहित नहीं करता।

        जब कोई मुसलमान पूछता है, तो कहता है, “सारे गुजरातियों के लिए काम करूंगा। आप उसीमें है।”
        वोट बॅन्क ने ही देश को विभाजित किया है।
        वोट बँक समाप्त (खतम) हो, तो देश चुटकी में उन्नति कर लेगा।
        धर्म, जाति, इत्यादि के आधार पर वोट देश को खोखला कर रहा है।
        गम्भीरता से कहता हूँ, कि इकबाल भाई जैसे ईमानदार व्यक्ति, सारों की भलाई के लिए एक बार गुजरात जाकर आएँ। मोदी से मिलकर आए। गुजरात देखकर आएं।

  8. Mujhe aisa lagta hai ki Nirmala Rani videshi Sonia ki ‘chamchi’ hain aur Congress, joki sabse communal aur deshdrohi party hai, ka mukhota hain.. Gujarat Bharateeya hai aur kendra sarkaar videshi hai..Is desh ka loktantra bhrashtaachaar ko bika hua hai aur saare netaon ne swiss bankon main tijorian bher rakhi hain….. Sonia , Rahul, Piyanka, Vadra, sabne akoot paisa loot ker bher rakha hai…. Shayad kuchh paisa aise lekhakon ko bhi congress chaare k roop main daal deti hogi..
    Gujaraat desh ka agranee pradesh hai aur sab pradeshon se aage hai aur yahan k Muslims bhi is baat ko maante hain..Yeh kyun bhool jaate ho ki Sabarmati Express gaadi ki sleeper bogie band kerke kin deshdrohi darindon ne kaar sevakon ko jalaa diya tha, voh to junglee BABAR aur CHANGEZ KHAN ki hi santaan the.. Aur Sikhon ko Delhi main 1984 k dangon main RAJIV GANDHI ne hi marvaaya tha na, lekin us paagal ko ‘Bharat ratna’ de diya..
    Is liye Congressee chaaploos munh band hi rakhain to achchha hai…..

    • अपनी दाग छुपाने के लिए लोग दुसरो को कहते है tumhare kapre me भी तो दाग है mera huwa तो keya huwa बिलकुल वही बात आप कर रहे हो उनको तो अपना राज्य धर्म निभाना चाहिए था जो की अटल जी ने भी कहा था वो तो अडवानी था जो बच गया नहीं तो मोदी जी की खैरिएत नहीं थी

  9. ==>गुजरात क्या हिटलर का है?<==
    रानी जी
    गांधी का भारत?
    और गुजरात क्या हिटलर का है?
    और गुजरात तो रानी जी गांधी का जन्म स्थान है| आपको पता नहीं क्या? गुजरात सभीसे अधिक शाकाहारी, और अहिंसक जैनियों की भी बड़ी संख्या वाला प्रदेश है|

    • मई मानता हूँ गुजरात साकाहारी है पर मोदी जी तो मांसाहारी हैं जिन्होंने २००० बेगुनाहों जान लेकर कुर्सी पर बैठे हैं……

      • वर्ष 2002 के गुजरात दंगों को लेकर मोदी के विरूद्ध बहुत कुछ अब तक प्रचारित किया जा रहा है। लेकिन यह बहुत बडी सच्चाई है कि सन1970 से लेकर 2002 के बीच 443 दंगों का इतिहास रखने वाला गुजरात पूरी तरह दंगा-मुक्त हो चुका है। अब इन दंगों में जो लोग मुस्लिमों की हत्या का आरोप लगाते है। उन्हे पता होना चाहिए कि इन दंगों में 662 मुस्लिमों के साथ 190 हिन्दू भी मारे गए, जिनमें 80 हिन्दू पुलिस की गोली से मारे गए। जबकि 1968 के अहमदाबाद के दंगों में ही 1800 लोग मारे गए थे। अब जिन्होने अपनी राजनीति या न्यस्त-स्वार्थो के तहत मोदी को अपराधी बताने की ठान ली हो, उनकी बात अलग है, वरना सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित एस.आई.टी. द्वारा यह कहे जाने के बाबजूद की मोदी के विरूद्ध दंगों मंे संलिप्तता को लेकर कोई भी प्रथम-दृष्टया साक्ष्य नही है, बांकी लोेगों के भ्रम का कुहांसा दूर हो जाना चाहिए। इसके पूर्व गुजरात दंगों के लिए गठित नानावटी आयोग भी इन दंगों में मोदी की किसी किस्म की संलिप्तता से इंकार कर चुका है।

  10. गाँधी का भारत जैसे गाँधी के आलावा किसी आदर्श व्यक्तितव का जन्म यहाँ हुआ ही न हो

    गाँधी इस देश का राष्ट्रपिता जैसे गाँधी से पहले ये देश था ही नहीं कभी वास्को डी गामा आकर इस देश की खोज कर देता है तो कभी गाँधी आकर पिता बन जाता है

    मोदीजी का नाम सुनकर सारे देशद्रोही भ्रष्टाचारी अत्याचारी और उनके समर्थक बोखला जाते है
    बोह्लाहत का एक नमूना लेखिका के द्वारा पेश किया गया है

  11. निर्मला जी, लेख काफी घटिया है… मोदी को गाली देनी थी सो दे दी… मोदी का मामला न्यायलय में है, लेकिन आपने फैसला सुना दिया…
    कृपा करके ये “राम-रहीम” वाला ढोंग अब बंद कीजिये… आपको भी पता है कि ये तरीका अब पुराना हो चूका है… आपको नहीं लगता कि आज भी इस देश में सम्राट अशोक, विक्रमादित्य, शिवाजी या महाराणाप्रताप को आज भी एक तबका वो सम्मान नहीं देता जो चंगेज खान को देता है… यकीन न हो तो दिल्ली में क़ुतुब मीनार जा कर लोगों कि बातें सुन लीजिए…

    मैं भाजपा या मोदी समर्थक नहीं हूँ, आपका लेख घटिया लगा सो बोल दिया…

  12. निर्मला जी,
    बहस के लिए काफी सही लेख लिखा है, एक बात और मोदी के कट्टर आलोचक भी उसके विकास पुरुष की भूमिका को स्वीकार करते है आपने भी ये माना उसके लिए धन्यवाद्
    अब आते है मोदी के कथित पक्षपात और फर्जी मुठभेड़ वाली बातो पर
    १) माननीय सोहराबुद्दीन साहब (??) के साथ जो भी हुआ उसपे मीडिया और मानवाधिकार वालो ने जो रोना रोया है उनसे एक प्रश्न पूछना चाहूँगा की गुजरात से ज्यादा एन्कौन्टर तो महाराष्ट्र और UP में होते है …. महाराष्ट्र पुलिस का एक अफसर इसी चीज के लिए प्रसिद्ध है तो क्या आपको लगता है की उसने सभी ……
    आगे कुछ लिखने की जरूरत नही है समझदार को इशारा काफी है
    २) ये मेरी व्यक्तिगत राय है — माना यह फर्जी था तो सोहराबुद्दीन कोनसा दूध का धुला व्यक्ति था ?? वह तो मालवा का दावुद था … उसपे सेकड़ो मुक़दमे चल रहे थे !!!

    सिर्फ वह एक मुस्लमान था और दूसरी और मोदी इसलिए इतना बड़ा मुद्दा बना ..
    आजतक कभी भी सिख विरोधी दंगे के लिए किसी मुख्यमंत्री को जिम्मेदार नही बनाया
    ऐसा ही है तो बटला हाउस के लिए शिला दीक्षित को आड़े हाथो लो …
    अभी थोड़े दिन पहले ही महाराष्ट्र की एक जेल में एक अल्प संख्यक को सिर्फ शक के आधार पर मार दिया गया लेकिन बीके हुए मीडिया और अ – मानवाधिकार वाले पता नही कहा गायब हो गए…??

  13. कुछ आवश्यक शुद्धीकरण –

    (मुझे मालूम नहीं उसका SCAN कैसे अटैच कर सकूँ).

    कहा जाता है “पीलिये के बीमार को दुनिया पीली नजर आती है .”
    आपने अपना सारा जखीरा मोदी जी से डरे आदमी की तरह खोल दिया
    ऐसे भी महान लोग बने जिन्होंने संसद एक दिन भी नहीं देखा, ऐसे भी हैं जो चुनाव बिना लोकसभा के लड़े बन जाते हैं

    ध्यान रहे देश गांधी का केवल नहीं था स्वयम गांधी भी राम ही के थे – यह देश राम और सीता का है और रहेगा

  14. यह देश गांधी का भारत नहीं है भारत में गांधी जरूर हुए थे और मैडम मोदी उसी गुजरत के हैं जहाँ गांधी हुए थे और वहां भी पोरबंदर में संतोख बेन का दबदबा अधिक था
    २९.७.१९९३ को गुजराती जनसत्तामे मेरा एक लघु लेख छापा था गुजराती में- गुजराती एक बिहारी नजरे ….(मुझे मालूम नहीं उसका सकें कैसे अटैच कर सकूँ)..अस्तु.. उसकी अंतिम लाइन थी.. “अब साबरमती ही नहीं गांधीवाद भी सुख गया है..”
    आपने इतने शब्द अन्वाश्यक खर्च किये – गांधी हिटलर , मोदी आई पर.. मैंने अपनी आत्मकथा में लिखा है की यदि गांधी और हिटलर एक टेबल पर बैठते तो एक ही समानता दोनों में थी की दोनों शाकाहारी थे .
    गांधीजी ने इंग्लैंड में अपने जीवन का पहला सार्वजानिक भाषण भी शाकाहार पर ही दिया था शायद आपको मालूम हो.
    आपको मोदी और गांधी में समानता खोजनी थी ? किन्तु पीलिये के बीमा रको दुनिया पीली नज र आती है . आपने अन्ना सारा जखीरा मोदी जी से डरे आदमी की तरह खोल दिया जबकि मोदी का विरोध उनके दल में, उनके प्रांत में ही बहुत हाई
    अब आइये और बताइए हिटलर का यह जर्मनी तो नहीं है माना पर क्या केवल गांधी नाम में जोड़ देने से किसी गांधी का है?
    प्रधान मंत्री तो कोई बनेगा ही – ऐसे भी महँ लोग बने जिन्होंने संसद एक दिन भी नहीं देखा, ऐसे भी हैं जो चुनाव बिना लादे बन जाते हैं
    देश की जनता जिन्हें चुन दे और जो चुनाएं जिन्हें चुन दे
    जनता तो गांधीजी की तरह लाचार हो किसी कमरे में वैसे ही सोयेगी जैसे बे १४७ बेलागातिया रोड कालकोता में उस समय सोये थे जब उनके नाम पर कोई झंडा दिल्क्ली में फहरा रहा था
    ध्यान रहे देश गांधी का नहीं था गांधी भी राम के थे -० यह देश राम और सीता का है और रहेगा

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