पाकिस्तान का नया दांव है डिजिटल घुसपैठ 

सुनील कुमार महला


भारत एक ऐसा देश है जो सदियों से पंचशील के सिद्धांतों का पालन करता आया है। एशिया और अफ्रीका के विभिन्न देशों के गुलामी की जंजीरों से मुक्त होने के बाद उनके समक्ष अनेक प्रकार की चुनौतियां विद्यमान थीं जैसे कि अपनी आजादी को स्थायित्व प्रदान करने, विकास की प्रक्रिया को निरंतर आगे बढ़ाने, अपनी संप्रभुता की रक्षा करने, अपनी राजनीतिक सीमाओं की रक्षा करने और अंतरराष्ट्रीय राजनीति का शिकार होने से बचने जैसी अनेक चुनौतियां विद्यमान थी, भारत भी इनमें से एक रहा है और इसी क्रम में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने पंचशील के सिद्धांतों को अपनाया था। वास्तव में भारत द्वारा यह सिद्धांत मूल रूप से अपने चिर-परिचित पड़ोसी चीन द्वारा उत्पन्न की जाने वाली भावी चुनौतियों से निपटने के लिए अपनाया गया था लेकिन न केवल चीन बल्कि पाकिस्तान व अन्य देशों के साथ आज भी भारत पंचशील सिद्धांतों का अनवरत पालन करते हुए विश्व को लगातार शांति,संयम,आपसी सौहार्द, मेल-मिलाप को वरीयता देते हुए काम कर रहा है।

 उल्लेखनीय है कि एक दूसरे की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के प्रति सम्मान, सहयोगात्मक अहिंसा, घरेलू मामलों में सहयोगात्मक अहस्तक्षेप, पारस्परिक लाभ के लिए न्याय और सहयोग, तथा शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व पंचशील समझौते के प्रमुख सिद्धांत हैं। वास्तव में, पंचशील सिद्धांतों के माध्यम से ऐसे नैतिक मूल्यों का समुच्चय तैयार करना था, जिन्हें प्रत्येक देश अपनी विदेश नीति का हिस्सा बना सके और एक शांतिपूर्ण वैश्विक व्यवस्था का निर्माण कर सके, लेकिन आज पाकिस्तान भारत के जम्मू कश्मीर में लगातार यहां की शांति, सौहार्द को भंग करने में लगा हुआ है। कहना ग़लत नहीं होगा कि  भारत ने पाकिस्तान के प्रति सदैव एक बहुत ही सुसंगत और सैद्धांतिक नीति का पालन किया है, अर्थात्: अपनी ‘पड़ोसी पहले नीति’ को ध्यान में रखते हुए, भारत पाकिस्तान के साथ आतंक, शत्रुता और हिंसा से मुक्त वातावरण में सामान्य पड़ोसी संबंध चाहता है।

सच तो यह है कि भारत किसी भी मुद्दे को द्विपक्षीय और शांतिपूर्ण तरीके से हल करने के लिए हमेशा से प्रतिबद्ध है। यहां तक कि भारत ने रूस-यूक्रेन युद्ध के संबंध में भी समय-समय पर दोनों देशों से शांति, सौहार्द,संयम व आपसी बातचीत से आपसी मुद्दों को सुलझाने की अपील की है। भारत कभी भी किसी भी देश के साथ हिंसा व युद्ध नहीं चाहता है और वह शांति और संयम का पुरजोर समर्थक है। आज पाकिस्तान भारत के जम्मू कश्मीर व घाटी की शांति, सौहार्द भंग करने के लिए लगातार आतंकियों व आतंकवाद का सहारा ले रहा है क्योंकि वह भारत से प्रत्यक्ष लड़ाई करने की स्थिति में नहीं है, इसलिए वह चोरी-छिपे अमेरिका, चीन जैसे देशों की मदद से (हथियार, गोला-बारूद) भारत में समय-समय पर अशांति फैलाने की फिराक में रहता है और अब इसी क्रम में धारा-370 हटने के बाद वह बुरी तरह से तिलमिला उठा है और आतंकवाद के लिए नये-नये हथकंडे अपना रहा है। कहना ग़लत नहीं होगा कि डिजिटल घुसपैठ वर्तमान में पाकिस्तान का एक नया पैंतरा है और वह डिजिटल घुसपैठ के जरिए लगातार भारत में अशांति, उपद्रव और हिंसा फैलाने की फिराक में है। पाकिस्तान स्थित विभिन्न आतंकवादी समूह आज डिजिटल यानी कि विभिन्न आनलाइन गतिविधियों के जरिए भारत विरोधी भावनाओं को बढ़ावा देने में लिप्त है हालांकि भारतीय सुरक्षा एजेंसियां, हमारे देश की साइबर टीम और हमारे तमाम सुरक्षा बिल इसको लेकर पहले से ही बहुत सतर्क और मुस्तैद हैं। बावजूद इसके भारत को पाकिस्तान द्वारा की जा रही डिजिटल घुसपैठ को रोकने के लिए और बड़े कदम उठाने की जरूरत इसलिए है क्योंकि आज का जमाना सूचना क्रांति का है। आनलाइन माध्यमों से पलों में भारत विरोधी कंटेंट को इधर से उधर पहुंचाया जा सकता है।

आज पाकिस्तान डिजिटल गतिविधियों के जरिए नफ़रत फैलाने वाले भाषणों, चरमपंथी कंटेंट को लगातार बढ़ावा देने में लगा है. हमारी सुरक्षा एजेंसियों को इसे रोकने के लिए मिलकर एकजुट होकर काम करना होगा और चरमपंथी कंटेंट,नफरती भाषणों के आडियो-विडियो को तेजी से पहचानना होगा। हमें हमारे देश में तकनीकों को और अधिक विकसित व समृद्ध करने की जरूरत है। आज इंटरनेट और सोशल मीडिया की हर कहीं बहुत व्यापक व आसान पहुंच है। आज इंटरनेट व सोशल मीडिया के जरिए पाकिस्तान के आतंकी संगठन कट्टरपंथी कंटेंट, नफरती भाषणों को फ़ैलाने का ही काम नहीं कर रहे हैं, बल्कि मीडिया में आई खबरें बतातीं हैं कि वे नये लोगों का रिक्रूटमेंट तक कर रहे हैं। सच तो यह है कि इंटरनेट के माध्यम से आज  पाकिस्तान आभासी कट्टरपंथ पैदा कर रहा है। इससे विशेषकर जम्मू-कश्मीर व घाटी में शान्ति व्यवस्था बाधित हो सकती है। इसके लिए हमें एक मजबूत नेटवर्क के साथ ही इन सभी पर कड़ी निगरानी रखने की जरूरत है। मीडिया, साइबर क्राइम आदि के बारे में आम लोगों को ज्यादा से ज्यादा जागरूक व सचेत करने की जरूरत है।

हमें देश से बेरोजगारी, ग़रीबी को भी दूर करना होगा क्योंकि बेरोजगार व गरीब युवा बहुत बार इनके चक्कर में आ जाते हैं और फिर इससे निकलने का रास्ता उन्हें नहीं सूझता है। हमें देश में विकास को बढ़ावा देना होगा, शिक्षा का उजियारा सब तक फैलाना होगा। इतना ही नहीं, हमें हमारे देश में सहयोगात्मक ऑनलाइन पुलिसिंग को भी बढ़ाना होगा। तकनीकी विकास तो करना ही होगा ताकि ऐसे कट्टरपंथी कंटेंट पर लगाम लगाई जा सके। डिजिटल घुसपैठ(कट्टरपंथी कंटेंट) किसी भी राज्य, संस्थाओं और नागरिकों को विभाजित कर सकती है, हिंसा फैला सकती है। डिजिटल घुसपैठ अराजकता और झूठी सूचनाएं फैला सकती है।

यहां यह कहना ग़लत नहीं होगा कि डिजिटल घुसपैठ और वास्तविक दुनिया का आतंकवाद दोनों ही खतरे पैदा करते हैं। पाकिस्तान के प्रसिद्ध अंग्रेजी अखबार  डॉन के हवाले से यह खबर आई थी कि पाकिस्तान इंटरनेट पहुंच और डिजिटल गर्वनेंस के मामले में दुनिया के सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले देशों में से एक है। बावजूद इसके पाकिस्तान के आतंकी संगठन डिजीटल घुसपैठ करने में कामयाब हो रहे हैं। एक रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि पाकिस्तान में इंटरनेट की पहुंच में वृद्धि के बावजूद लगभग 15 प्रतिशत आबादी के पास अभी भी इंटरनेट और मोबाइल या दूरसंचार सेवाओं तक पहुंच नहीं है, तो ऐसा कैसे संभव हो पा रहा है कि वहां स्थित आतंकी संगठन डिजिटल घुसपैठ कर पा रहे हैं. भारत को इन सभी कारणों का पता लगाने के लिए पूरी तह में जाने की जरूरत है और इस पर अंकुश लगाने की दिशा में प्रभावी कदम उठाने की भी सख्त जरूरत है। तभी हम डिजिटल घुसपैठ कर लगाम लगा पाएंगे और अपने देश को तरक्की, प्रगति व उन्नयन के पथ पर अग्रसर करते हुए अपने भारत को सपनों का भारत बना पाएंगे।

सुनील कुमार महला

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here