
रात लगभग आठ बजे कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन के 13 डब्बे जाजपुर रेलवे स्टेशन के पास पटरी से उतर गए। केंद्रीय रेल राज्य मंत्री आर वेलु ने आज सुबह दुर्घटनास्थल का दौरा कर स्थिति की समीक्षा की है। साथ ही दुर्घटना की उच्चस्तरीय जाँच कराने के आदेश दिए हैं।
जानकर ताज्जुब होगा कि कोरोमंडल एक्सप्रेस के दुर्घटनाग्रस्त होने के महज 12 घंटों के भीतर एक अन्य दुर्घटना में बिहार में पैसेंजर ट्रेन और इंजन के बीच टक्कर में 15 लोग घायल हो गए हैं। दुर्घटना मोतिहारी के पास शनिवार सुबह साढ़े पांच बजे एक इंजन के गोरखपुर-मुज़फ्फ़रपुर इंटरसिटी एक्सप्रेस ट्रेन से टकरा जाने से हुई।
इस हादसे में लगभग 15 लोग घायल हो गए हैं। घायलों को नज़दीक के अस्पताल में भर्ती करा दिया गया है।
हावड़ा-चेन्नई कोरोमंडल सुपरफास्ट एक्सप्रेस ट्रेन जिस समय दुर्घटनाग्रस्त हुई, उस समय ट्रेन की रफ़्तार ज़्यादा थी और यह जाजपुर रोड रेलवे स्टेशन से आगे बढ़ी ही थी। दुर्घटना में रेल इंजन समेत 13 डब्बे पटरी से उतर गए. इनमें 11 डब्बे सामान्य शयनयान श्रेणी (स्लीपर) के और दो सामान्य श्रेणी के डब्बे थे।
ट्रेन में सवार यात्रियों के मुताबिक दुर्घटना से पहले कई बार तेज़ झटके महसूस किए गए। दुर्घटना होने के तत्काल बाद आस-पास के स्थानीय लोग भारी संख्या में वहां पहुँच गए और घायलों को डब्बे से बाहर निकालने का काम शुरू कर दिया।
शनिवार सुबह तक सभी घायलों को अस्पताल पहुँचाया जा चुका था और रेल लाइन पर यातायात सामान्य बनाने की कोशिश की जा रही है। यहां महत्वपूर्ण सवाल यह उठता है कि रेल मंत्री अपने मंत्रालय को जमीन से आसमान पर उठाने की बात कर रहे हैं, लेकिन उन्हें एक सामान्य यात्रियों की जान की परवाह है, ऐसा कम ही नजर आता है।
क्या मृतकों के परिजनों को बतौर मुआवजा रूपये देने या नौकरी देने का वादा करने मात्र से पीड़ित लोगों का दर्द कम हो जाएगा ?
हालांकि, उन्होंने घटना पर गहरा खेद व्यक्त करते हुए मृतकों और घायलों के परिजनों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की है। लेकिन यदि रेल मंत्रालय के लाभ में चलने का मुख्य कारण मंत्री महोदय खुद को बताते हैं तो घटना की जिम्मेदारी उन्हें लेनी चाहिए।*