डॉ आंबेडकर के जातिप्रथा विरोधी विचार को चरितार्थ करने में सहयोगी हो सकती है सनातन हिंदू एकता पदयात्रा

 सौरभ तामेश्वरी

कटेंगे तो बटेंगे हो या जात-पात की करो विदाई हम सब हिन्दू भाई-भाई का नारा। बीते दिनों में यह खूब चर्चा में हैं। पहला नारा राजनीतिक मंच से भारतीय जनता पार्टी की ओर से उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाराष्ट्र चुनाव के समय दिया। वहीं दूसरा अभी देश-दुनिया में प्रसिद्ध संत बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने अपनी सनातन हिंदू एकता पदयात्रा के दौरान दिया। देश भर में लोगों के जहन में यह नारे पहुंच चुके हैं। इन पर खूब राजनीति भी हो रही है। 

कई विद्वान इन दोनों के अर्थ निकालकर इन्हें लोगों को तोड़ने के उद्देश्य से बोले गए कह रहे हैं….. लेकिन यह लोग भोपाल में दुनिया के सबसे बड़े इज्तिमा पर कुछ नहीं बोल पाए हैं। ऐसे में यह निर्धारित करना थोड़ा चुनौतीपूर्ण है कि उन विद्वानों की हिंदुओं को एक करने के विरोध की आखिर मंशा क्या है। 

दरअसल यात्राएं निकालना हो या फिर धर्म का प्रचार-प्रसार करने के लिए शांतिपूर्ण तरीके से कोई और निर्णय लेना हो, यह कोई गलत बात नहीं है। अपने देश के संविधान में ऐसी बातों को स्थान दिया गया है। संविधान में धर्म का प्रचार-प्रसार करने की भरपूर स्वतंत्रता है। अपने धर्म के लोगों को एक करने की पहल इसमें शामिल मानी जा सकती है। कई लोगों का तो यह तक कहना है कि अगर इस प्रकार की यात्राएं पहले ही निकाल दी गई होतीं तो देश में अब तक बड़ा परिवर्तन आ गया होता। खैर जब जागो तभी सबेरा….

यात्रा पर सवाल उठाने वालों पर भी सवाल

मौलाना शाहबुद्दीन रिजवी ने धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की सनातन को लेकर निकाल जा रही यात्रा से हिंसा होने और सांप्रदायिक दंगे होने की आशंका जताई है। हालांकि यात्रा में अब तक इस तरह से कोई भी इस तरह की घटना सामने नहीं आई है।

मौलाना शाहबुद्दीन रिजवी : मुस्लिम पक्ष की ओर से जब कुछ अलग घटनाएं की जाती हैं उस समय शांति का संदेश लेकर समाज का शांतिप्रिय मुखौटा धारण कर एक शख्स आता है, रिजवी जी वही हैं। हाल ही में मुस्लिम पक्ष की ओर से उत्तरप्रदेश के संबल का उदाहरण ही ले लीजिए। जामा मस्जिद में सर्वे के लिए गई टीम पर पथराव जब किया गया तो रिजवी साहब की ओर से शांति की अपील की गई। लेकिन उनकी अपील का असर क्या हुआ अभी कहा नहीं जा सकता क्योंकि वहां हुई हिंसा में पुलिस के कर्मचारी-अधिकारी के घायल होने सहित क्षेत्र की स्थिति काफी खराब हुई है। ऐसे में सवाल करने वालों पर ही सवाल खड़ा होता है।

संविधान में धर्म के प्रचार-प्रसार का अधिकार सभी को 

बागेश्वर धाम के धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री 21 से 29 नवंबर 2024 तक बागेश्वर धाम से ओरछा रामराजा सरकार मंदिर तक सनातन हिंदू एकता पदयात्रा जब निकाल रहे हैं। उसी समय भोपाल के ईंटखेड़ी में दुनिया के सबसे बड़े आलमी तब्लीगी इज्तिमा की तैयारी चल रही हैं। प्रशासन भी इसकी तैयारियों में जुटा हुआ है। चार दिनों तक यहां दुनिया भर से आए मुस्लिम समाज के लोग यहां पर एकजुट होकर अपने धर्म पर चर्चा करेंगे। अल्लाह की इबादत  करेंगे।

इस तरह के आयोजन का सीधा अर्थ मुस्लिम समाज को एकजुट करना रहता है। धर्म के लोगों को एक करने के लिए जब एक स्थान पर इतना भव्य आयोजन हो रहा है। ऐसे में इस तरह की यात्रा पर सवाल उठाने का कोई औचित्य समझ नहीं आता है। वो भी उस समय जब अन्य चीजों के उदाहरण सामने हो और उन पर सभी ने चुप्पी साधी हो।

जानकारी हो कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 से लेकर 28 तक सभी को धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का प्रावधान है। जिनमें 25 वें अनुच्छेद में धर्म को मानने, आचरण करने, और प्रचार करने का अधिकार है। ऐसे में सिर्फ यात्रा को लेकर ही सवाल उठाने का कोई औचित्य नहीं।

डाॅ भीमराव आम्बेडकर के मन की बात 

भारतीय संविधान निर्माण के लिए बनाई गई प्रारूप समिति के अध्यक्ष और देश के पहले कानून मंत्री डॉ भीमराव आम्बेडकर जातिप्रथा के विरोधी थे। उस कालखण्ड में जिस तरह के अनुभव उनके जीवन आए उनके बाद से ही वह जातियों में बंटे हिंदुओं को एक करने के प्रबल पक्षकार थे। वर्तमान परिपेक्ष्य में अगर देखें तो हिंदुओं को एकजुट करने के लिए निकाली जाने वाली डॉ अंबेडकर की बात के विचार को चरितार्थ कर सकती है क्योंकि इन यात्राओं में जातियों में बंटे हिंदुओं को एकजुट करने की प्राथमिकता ही बताई जा रही है।

यह यात्राएं चर्चा में

जातियाें में बंटे हिंदुओं को एक करने के लिए देश में कई यात्राएं निकाली जा रही हैं। पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री बागेश्वर धाम से ओरछा रामराजा सरकार मंदिर तक सनातन हिंदू एकता पदयात्रा निकाल रहे हैं। दीपांकर महाराज ने देश भर में घूमकर भिक्षा मांगी, जिसमें उन्होंने हिंदुओं से एक होने की अपील की। वह समाज में अलग–अलग लोगों के साथ मिले उनसे बातें कीं। विश्व हिंदू परिषद ने इसी माह सामाजिक समरसता यात्रा निकाली इसके माध्यम से भी उन्होंने जातियों में बंटे लोगों को एक करने का आव्हान किया। इस यात्रा में भी तमाम साधु संतों ने सहभागिता की, जिनका सभी ने स्वागत किया।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here