श्री जी राधारानी

तर्ज – मेरे सर पै रख दो बाबा…..

मु : तेरे दर पै आया हूँ राधा, सुन लो मेरी अरदास,
बार बार मोहि दीजिये, बरसाने कौ वास (श्री चरनों में वास)|
बार बार मोहि दीजिये, श्री चरनों में वास|

अ १: जब जब मै कोई जन्म है पाऊँ, बरसाने में ही मैं आऊं – 2
नित दिन तेरे दर्शन करके, तेरी ही मैया महिमा गऊ
मि : तेरे भजनों से मिट जाये – 2, मेरी जन्म जन्म की प्यास
बार बार मोहि दीजिये…………. 2

अ २: चाहे मानव जन्म मिले, या मिले कोई पशु-पक्षी का -2
चाहे कीट – पतंगा बनू मैं – २ , या धुल बनू बृज मंडल का
चाहे कीट – पतंगा बनू मैं – २, या धुल बनू तेरे चरणों का
मि : उड़ उड़ लिपटू तेरे मुखड़े से – 2, हरदम रहू तेरे पास
बार बार मोहि दीजिये …………. २

अ ३: मोर-पपीहा मृग बनकर, बरसाने में ही भ्रमण करूँ – 2
मधुर-मधुर अपनी बोली से, तेरा ही पल-पल गान करूँ
मि: एसी कृपा हो जाये तेरी – 2, हो सब पापों का नाश
एसी कृपा हो जाये तेरी – २, मेरी पुरी हो अरदास
बार बार मोहि दीजिये…………. २

अ ४: नन्दों भैया मैया चरणों का है चेरा, राकेश ने है तुमको मैया हेरा – 2
भक्त तेरे दर आस लगा कर आते हैं, खली झोली भर कर ले जाते हैं.
भक्त तेरे दर आशा लगा कर आते हैं, मन वांछित फल मैया तुमसे पाते हैं
डोर हमारी बंधी रहे २ , श्याम-सुन्दर के साथ
मि : अपने भक्तो को मैया २, करती नहीं कभी उदास
बार बार मोहि दीजिये …………. २

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