कहानी साहित्य दंगा February 29, 2016 by विजय कुमार सप्पाती | Leave a Comment कल से इस छोटे से शहर में दंगे हो रहे थे. कर्फ्यू लगा हुआ था. घर, दूकान सब कुछ बंद थे. लोग अपने अपने घरो में दुबके हुए थे. किसी की हिम्मत नहीं थी कि बाहर निकले. पुलिससडको पर थी. ये शहरछोटा सा था, पर हर ६ – ८ महीने में शहर में दंगा […] Read more » short story on riots दंगा
कविता दंगा बना देश का नासूर June 25, 2014 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment -रवि श्रीवास्तव- क्यों होता है दंगा फसाद, कौन है इसका ज़िम्मेदार ? छोटी-छोटी हर बातों पर, निकल आते हैं क्यों हथियार। आक्रोश की आंधी में, लोग बहक जाते हैं क्यों ? एक दूसरे के आखिर हम, दुश्मन बन जाते हैं क्यों ? लड़कर एक दूसरे से देखो, करते हैं हम खुद का नुकसान। दंगा भड़काने […] Read more » एकता कविता दंगा दंगा बना देश का नासूर
महत्वपूर्ण लेख विविधा दंगों का व्याकरण / शंकर शरण October 30, 2013 by शंकर शरण | 3 Comments on दंगों का व्याकरण / शंकर शरण विभाजन के बाद बचे कटे-छँटे भारत में भी सांप्रदायिक दंगों में सामुदायिक वाद-प्रतिवाद की वही कहानी है। दंगों की दबी-ढँकी रिपोर्टिंग, सरकारी जाँच और न्यायिक आयोगों की रिपोर्टें भी यही बताती हैं कि सांप्रदायिक हिंसा का आरंभ प्रायः मुस्लिमों की ओर से होता है। इस के उलट पाकिस्तान या बंगलादेश में कभी किसी हिन्दू द्वारा […] Read more » दंगा मुसलमान हिंदू
विविधा असम में हिंसाचार : एक स्थायी उपाय / मा.गो. वैद्य August 8, 2012 / August 10, 2012 by मा. गो. वैद्य | 1 Comment on असम में हिंसाचार : एक स्थायी उपाय / मा.गो. वैद्य मा. गो. वैद्य असम के कोक्राझार जिले में फूटा हिंसाचार अब रूका है. ‘अब’ यह शब्द महत्त्व का है. वह फिर कब फूट पड़ेगा इसका भरोसा नहीं. दोनों पक्ष के लाखों लोग निर्वासित शिविरों में रह रहें हैं. कई गांव बेचिराख हुए हैं. अंतर इस हिंसाचार में एक पक्ष ‘बोडो’ जनजाति का है, तो दूसरा […] Read more » असम में हिंसा दंगा