धर्म-अध्यात्म वेद ही मनुष्य मात्र के परम आदरणीय व माननीय धर्म ग्रन्थ क्यों? May 8, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment वेदों की उत्पत्ति और उनके विषय में कुछ तथ्यों पर भी दृष्टिपात कर लेते हैं। सृष्टि के आरम्भ काल में ईश्वर ने मनुष्य आदि प्राणियों को अमैथुनी सृष्टि अर्थात् बिना माता-पिता के संसर्ग हुए उत्पन्न किया था। यह सभी स्त्री व पुरुष युवावस्था में उत्पन्न किये गये थे। यदि ईश्वर इन्हें शैशवास्था में उत्पन्न करता तो इनके पालन करने के लिए माता-पिता की आवश्यकता होती और यदि इन्हें वृद्ध बनाता तो इनसे मैथुनी सृष्टि न चल पाती और वहीं समाप्त हो जाती। अमैथुनी सृष्टि में उत्पन्न इन युवा स्त्री पुरुषों को बोलने के लिए भाषा और पदार्थों के नाम व क्रिया पद आदि का ज्ञान चाहिये था। Read more » प्राचीन भाषा वेद वेद वेद अर्वाचीन ग्रन्थों में सबसे उन्नत वेद का ज्ञान
धर्म-अध्यात्म वेद स्वतः प्रमाण धर्म ग्रन्थ और अन्य सभी ग्रन्थ वेदानुकूल होने पर ही परतः प्रमाण April 20, 2017 / April 28, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य का जन्म वाद-विवाद के लिए नहीं अपितु सत्य व असत्य का निर्णय कर सत्य का ग्रहण व उसका पालन करने क लिए हुआ है। सत्य का निर्णय करने का साधन व कसौटी क्या है? इसका उत्तर धर्म व सत्य की जिज्ञासा होने पर ईश्वरीय ज्ञान चार वेद की मन्त्र संहिताओं के […] Read more » प्राचीन भाषा वेद वेद वेद अर्वाचीन ग्रन्थों में सबसे उन्नत वेद का ज्ञान
धर्म-अध्यात्म वेद का ज्ञान और भाषा प्राचीन व अर्वाचीन ग्रन्थों में सबसे उन्नत November 29, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment संसार में प्रचलित विकासवाद के सिद्धान्त के अनुसार संसार का क्रमिक विकास होता है। उनके अनुसार एक प्रकार के जीवाणु ‘अमीवा’ से मुनष्य व अन्य प्राणी बने हैं। भौतिक जगत व अमीवा किससे बने, इसका समुचित उत्तर उनके पास नहीं है। सूर्य, चन्द्र, पृथिवी व हमारे ब्रह्माण्ड का विकास नहीं अपितु विकास से ह्रास हो रहा है, अतः इस कारण विकासवाद का सिद्धान्त पिट जाता है। Read more » प्राचीन भाषा वेद वेद वेद अर्वाचीन ग्रन्थों में सबसे उन्नत वेद का ज्ञान