कविता नारी October 7, 2020 / October 7, 2020 by डॉ. ज्योति सिडाना | Leave a Comment उठो, जागो और लड़ोखुद के आत्मसम्मान के लिएखुद के अस्तित्व के लिए।सुना है न, भगवान भीउनकी मदद करता हैजो अपनी मदद खुद करते है।तो फिर इंतजार क्योंकिसी और से उम्मीद क्योंबहुत बनी तू सीता, द्रोपदीनिरीह बना तुझे लाज सौप दीजब चाहा प्यार कर लियाजब चाहा तलवार घोंप दी।कठुआ, दिल्ली, उन्नाव, हाथरसबहुत हुआ ये चीत्कार बसरूक […] Read more » poem on women नारी
कविता एक नारी के मन की पीड़ा June 17, 2019 / June 17, 2019 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment आर के रस्तोगी पास रह कर भी तुम,मुझसे दूर क्यों चले जाते हो ?बिना कसूर बताये मेरा, नाराज क्यों हो जाते हो ? करती हूँ तुम्हारी पूजा,तुम्हे अपना भगवान समझ कर |फिर भी किसी के और के मंदिर क्यों चले जाते हो ? मरती तुम्ही पर जीती तुम्ही पर ख्याल तुम्हारा रहता |फिर भी किसी […] Read more » female mind wound poem poem on women poetry
कविता साहित्य मै एक महिला हूँ ?? December 19, 2015 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment बचपन की आनाकानी में, या हो बेबस जवानी में। लुटती हर वक्त है वो, कश्मीर चाहे कन्याकुमारी में। यूँ तो वह माँ होती हैं, या होती है बहन किसी की, निकलती है जब दुनिया देखने, बन जाती हैं हवस किसी की। पुरुष प्रधान इस देश की, बस इतनी यहीं कहानी हैं, लालन के लिये माँ […] Read more » Featured poem on women मै एक महिला हूँ ??