संविधान दिवस के अवसर पर केंद्र सरकार ने गांव-गांव संविधान का संदेश पहुंचने का निर्णय लिया है,यह बहुत महत्वपूर्ण है। भारतवर्ष गांवों का देश है। इन गांवों में रहने वाला सामान्य नागरिक भी देश का महत्वपूर्ण अंग है। एक ओर वह चुनावों में मतदान के माध्यम से सरकार चुनकर भूमिका निभाता है तो वहीं दूसरी ओर अपने कार्य- व्यवसाय अथवा परिश्रम के द्वारा राष्ट्र निर्माण में भी योगदान करता है। विगत कुछ समय से भारतीय राजनीति में विपक्षी दल संविधान को हथियार बनाकर भिन्न-भिन्न प्रकार के भ्रम फैला रहे हैं। संविधान खतरे में है, संविधान खत्म कर दिया जाएगा, संविधान बचाओ अभियान आदि अनेक मुहिम विपक्ष की राजनीतिक लोलुपता के कारण निरंतर चल रही हैं। आज यह समझने की आवश्यकता है कि संविधान एक ऐसा ग्रंथ है जो भारतवर्ष की समुचित शासन व्यवस्थाओं को निर्देशित और नियंत्रित करता है। यह कोई खिलौना या वस्त्र नहीं है, जिसे कोई खत्म कर दे अथवा खतरे में डाल दे। आज यह आवश्यक है कि गांव में रहने वाला एक सामान्य व्यक्ति भी संविधान के सही अर्थों को समझे, संविधान की उद्देशिका का क्या संदेश है? इसकी जानकारी उसे भी हो। साथ ही संविधान में प्रत्येक नागरिक के लिए विभिन्न अधिकारों और कर्तव्य का प्रविधान है। गांव का व्यक्ति भी उनसे परिचित हो सके इस निमित्त यह गांव-गांव संविधान का निर्णय अथवा अभियान महत्वपूर्ण है। समाचारों के अनुसार ऐसा पहली बार होने जा रहा है जब संविधान दिवस पर देश की सभी ग्राम पंचायतों में संविधान दिवस मनाने का निर्णय लिया गया है। पंचायती राज मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों में विशेष ग्राम सभाओं सहित अन्य गतिविधियों को लेकर दिशा निर्देश जारी किए हैं। ध्यातव्य है कि 26 नवंबर को देशभर में संविधान दिवस मनाया जाएगा। इस अवसर पर राजधानी दिल्ली में अनेक कार्यक्रम होने सुनिश्चित हुए हैं। पंचायती राज मंत्रालय ने सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को इस संबंध में पत्र लिखकर आयोजन संबंधी दिशा निर्देश दिए हैं। संविधान को लेकर इस दिन सभी ग्राम पंचायतों में विशेष ग्राम सभा आयोजित की जाएंगी। संबंधित पंचायत के ग्रामीण ही ग्राम पंचायत सदस्य होते हैं इसलिए उन सभी को आमंत्रित कर संविधान की शपथ दिलाई जाएगी। स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान कर देश की स्वतंत्रता में उनके योगदान का उल्लेख वक्तागण करें। ग्राम पंचायत क्षेत्र के स्कूल-कॉलेजों में संवैधानिक मूल्यों पर प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन होगा। राष्ट्र निर्माण में महिलाओं की भूमिका पर सभी ग्राम पंचायतों व स्वयं सहायता समूहों को साथ जोड़कर चर्चा करने के लिए कहा गया है। आदिवासी बहुलता वाले अधिसूचित राज्यों के गांवों में अलग से कार्यक्रम करने के निर्देश हैं। यह बड़ा विचार और संकल्प है।
मेरे सपनों का भारत नामक पुस्तक में गांधी जी ने गांवों की ओर, ग्राम स्वराज, पंचायत राज, ग्रामोद्योग, ग्राम प्रदर्शनियां, गांवों की सफाई, गांवों का आरोग्य,गांवों का आहार व ग्राम सेवक आदि अनेक महत्वपूर्ण विषयों पर विस्तृत चिंतन और लेखन किया है। यह भी सर्वविदित है कि दसता के कालखंड में सर्वाधिक शोषण व अत्याचारों के शिकार गांववासी ही हुए और स्वतंत्रता संग्राम में भी सर्वाधिक भूमिका गांवों की ही रही। स्वतंत्रता के बाद 26 जनवरी 1950 में संविधान लागू होने के बाद पंचवर्षीय योजनाएं तो चली, लेकिन गांव उपेक्षित ही रहे। अनेक योजनाएं व्यवस्थित भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई। गांव उत्पादन और निर्माण तो करते रहे, लेकिन विकास की मुख्य धारा से दूर ही रहे। शासन व्यवस्था में बैठे लोगों ने लोकतंत्र को परिवारतंत्र बना दिया। केवल चुनाव के समय ये गांव राजनीतिक टूरिज्म का केंद्र बनते रहे। केवल चुनाव के समय उनकी बदहाली पर आंसू बहाए जाते थे। अधिकांश नेता गांवों से दूर महानगरों में ऐश्वर्य का जीवन जीते रहे और चुनाव के समय भोली जनता को मोहक नारों से छलते और गुमराह करते रहे।
विगत कुछ वर्षों में ज्ञान-विज्ञान और सूचना-तकनीक का तेजी से विकास और विस्तार हुआ है। आज सुदूर गांव देहात में भी टेलीविजन, कंप्यूटर और मोबाइल जैसी सुविधाएं उपलब्ध हो रही हैं। फलस्वरूप अब गांव की जड़ता टूट रही है। गांव में रहने वाला सामान्य व्यक्ति भी मुख्य धारा से जुड़ना चाहता है। विगत कुछ वर्षों में राजनीतिक नेतृत्व में परिवर्तन के साथ-साथ गांव की स्थिति में भी बदलाव आ रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ग्रामोदय से भारतोदय के संकल्प को तेजी से आगे बढ़ाते हुए काम कर रहे हैं। अब देश के लाखों गांव बिजली, पानी, सड़क, स्कूल, शौचालय, उन्नत कृषि, पशुपालन व मधुमक्खी पालन आदि से जुड़कर जहां मूलभूत सुविधाएं पा रहे हैं वहीं रोजगार के नए अवसरों तक भी पहुंच रहे हैं। देश की विभिन्न पंचायतें इंटरनेट से जुड़ रही हैं। अनेक गांव स्वयं के प्रयासों से और सरकारी सहायता से उन्नत हो रहे हैं। ऐसे में संविधान का संदेश ग्रामवासियों को भ्रम- भय से दूर करके नवजागरण हेतु प्रेरित करेगा। समाचारों के अनुसार खेल व युवा मामलों के मंत्रालय द्वारा भी संविधान दिवस के अवसर पर दिल्ली में हमारा संविधान, हमारा स्वाभिमान पदयात्रा और विभिन्न कार्यक्रमों के आयोजन की योजना बनाई गई है। इस कार्यक्रम में हजारों युवा संविधान की प्रस्तावना का सामूहिक पाठ करेंगे, ऐसे भी समाचार हैं। इस प्रकार के कार्यक्रम सराहनीय तो हैं ही लेकिन यह भी आवश्यक है कि संविधान की प्रस्तावना के सही अर्थ जन-जन तक पहुंचे। यह विडंबना ही है कि विगत कुछ वर्षों से राजनीतिक स्वार्थों की पूर्ति हेतु कुछ लोग युवाओं और सामान्य लोगों को देश के विरुद्ध खड़ा करने का भी प्रयास कर रहे हैं। ऐसे में युवाओं में संविधान की प्रस्तावना का पाठ और गांव-गांव संविधान का संदेश जन जागरण के साथ-साथ राष्ट्र शक्ति को संगठित करने का भी काम करेगा।
डॉ.वेदप्रकाश