है धनियों से भी श्रेष्ठ धनी तू

हे मानव ! बैठ अकेले में,
चिंतन कर कुछ चिंतन कर,
में कौन कहां से आया हूं ?
मंथन कर कुछ मंथन कर।।

आने से पहले जगती में,
जो वचन दिया था ईश्वर को।
वचन का सुमिरण कर प्यारे ,
क्यों मूर्ख बनाता है नर को ?

यह देह अनमोल मिला तुझको,
श्वासों का कोष मिला अनुपम।
क्यों खर्च रहा, तू व्यर्थ इसे –
इस पर भी कभी मंथन कर।।

है धनियों से भी श्रेष्ठ धनी तू,
यह देह अनमोल आवास तेरा।
जिसने तुझको सब दिया बावरे,
उस पर कितना है विश्वास तेरा ।।

डॉ राकेश कुमार आर्य

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राकेश कुमार आर्य
उगता भारत’ साप्ताहिक / दैनिक समाचारपत्र के संपादक; बी.ए. ,एलएल.बी. तक की शिक्षा, पेशे से अधिवक्ता। राकेश आर्य जी कई वर्षों से देश के विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में स्वतंत्र लेखन कर रहे हैं। अब तक चालीस से अधिक पुस्तकों का लेखन कर चुके हैं। वर्तमान में ' 'राष्ट्रीय प्रेस महासंघ ' के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं । उत्कृष्ट लेखन के लिए राजस्थान के राज्यपाल श्री कल्याण सिंह जी सहित कई संस्थाओं द्वारा सम्मानित किए जा चुके हैं । सामाजिक रूप से सक्रिय राकेश जी अखिल भारत हिन्दू महासभा के वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और अखिल भारतीय मानवाधिकार निगरानी समिति के राष्ट्रीय सलाहकार भी हैं। ग्रेटर नोएडा , जनपद गौतमबुध नगर दादरी, उ.प्र. के निवासी हैं।

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