ये मौसम भी बेईमान है

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ये हवाएं भी बदचलन हैं ,
पहले जैसी चलती नहीं।
ये भी रुख बदल देती हैं,
हमारी बाते कहती नहीं।।

चलो इन हवाओं का रुख मोड़ दे,
और प्यार भरी बाते हम करे
कब ये रूख बदल दे अपना,
हमे पता लगने देती नहीं।।

बेबस हो जाती है धड़कने,
जब ख्याल मेंआ जाते हो ।
कहने को तो बहुत कहना है,
पर कुछ तुमसे कहती नहीं ।।

मांग लूं रब से यह मन्नत,
हर जन्म में तूही मिले ।
कर ली मिन्नते बहुत मैंने,
रब से इजाजत मिलती नहीं ।।

ये मौसम भी बेईमान है,
किसी की सुनता नहीं ।
प्यार के मौसम के हिसाब से,
अब ये ऋतुएं बदलती नहीं ।

चारो तरफ फैला है डर
प्यार अब कैसे करे कोई ।
ये हवाएं और ये फिजाएं ,
क्यो नही है समझती नहीं।।

ये लॉक डाउन भी अब,
कितना कमिना हो गया ।
डर के मारे मेरी महबूबा ,
घर से अब निकलती नहीं ।।

आर के रस्तोगी

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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