रवीश कुमार को रामकिशोर की चिट्ठी

डिअर रवीश कुमार पांडे जी

  बेरोजगारों के पक्ष में प्रधान मंत्री जी को पत्र लिखने और समाप्त होती पत्रकारिता पर शोक व्यक्त करने के लिए आभार | जानकर प्रसन्नता हुई कि देश-विदेश के युवा बेरोजगार अपनी समस्याएँ लेकर आपके पास आते हैं | कन्हैया कुमार, उमर खालिद,सरजील इमाम से लेकर दिशा रवि तक सैकड़ों बेरोजगार युवक-युवतियां सहायता हेतु  आपकी ओर निहार रहे हैं | इतने सारे युवाओं का बोझ एक अकेले आप के कन्धों पर है ! तो आपका कमजोर होना,दम उखड़ना स्वाभाविक ही है | धन्य हैं आप जो ये सब कर लेते हैं, आप न होते तो इन बेचारों का क्या होता ? संभव है ये भी कहीं शासकीय नौकरी करके भारतमाता की जय बोल कर अपना भेट पालकर गुम नाम जीवन जी रहे होते | आप पत्रकारिता के मरजाने का शोक बिल्कुल मत कीजिएगा, इन भटके हुए बच्चों को दिशा देने में  ,इन्हें पालते पोषते यदि पत्रकारिता मर गई तो कोई बात नहीं |  आप तो जिन्दा हैं ! हमें इसी बात की प्रसन्नता है | आप हैं तो रैमॉन मैगसेसे अवार्ड है, समय आने पर यह अवार्ड भी हथियार की भाँति वापस फेकने के काम आ सकता है  | आप तो ग्लोवल पर्सनालिटी हैं अब आप देश तो क्या विदेशों तक के बच्चों जैसे ग्रेटा,मिया खलीफा,रिआना आदि के भी रोल मॉडल हो सकते  हैं | आप चाहते तो पाकिस्तना, तुर्की, चीन के प्रधानमंत्री को भी ख़त लिख सकते थे जैसा विपक्षी सांसदों ने लिखा था अवार्ड वापसी वाले सीजन में, पर आपने ऐसा नहीं किया ये आपकी महानता है |  आप इतनी बड़ी पर्सनालिटी हैं कि कई देशों के लोग आपको अपने राजदूत की भाँति प्यार करते हैं |

     आपने युवाओं के लिए अनेक अच्छे कार्य किए हैं,अभी बैलेंटाइन डे पर आपने  देश के बेरोजगार युवाओं को सही मार्ग दिखने के लिए ‘इश्क़ में शहर होना’ पुस्तक लाँच की थी | यह तो आपकी उदारता है कि अमेजन से 20 रुपये का स्पेशल डिस्काउंट भी दिलवाया केवल इसीलिये कि देश का युवा इश्क करना सीख सके | मैं समझ नहीं पा रहा हूँ कि आपको इस दुर्लभ सृजन के लिए इशकजादा कहूँ या इश्क का खलीफ़ा | माननीय प्रधानमंत्री जी तो अभी भी युवाओं को कौशल विकास, स्किल डवलपमेंट, स्वरोजगार जैसी फालतू की बातों में उलझाना चाहते हैं | किन्तु ये आप ही हैं जो जानते हैं कि इश्क के आगे ये सब व्यर्थ है | इश्क अपने आप में सबसे बड़ा रोजगार है | हमें चाहिए इश्क की आजादी, अगले आन्दोलन के लिए ये स्लोगन ठीक रहेगा |

       आपने स्मार्ट सिटी जैसे पिछड़े विचार को नकारते हुए शहरों को इश्क के लायक कैसे बनाया जाए इस बात पर अधिक बल दिया है | आपने कहा भी है कि यह किताब शहर को इश्क़ के लायक बनाती है | युवा इसे अप्रिशिएट भी कर रहे होंगे कि शहर भले ही लोगों के रहने लायक न बनें  किन्तु इश्क के लायक तो बनने ही चाहिए | युवाओं को अब पता चला है कि शहरों में प्रदूषण, यातायात, लूटपाट, बेरोजगारी की भाँति इश्क की भी बड़ी समस्या है | गाँव,देहात से लाखों बच्चे शहरों में प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने आते हैं उन्हें जब पता चलेगा कि अब शहर इश्क के लायक बनाए जाएँगे तो कितने प्रसन्न होंगे | उनके अभिभावक जिनमे अधिकांश किसान होंगे, वे तो आपका माथा ही चूम लेंगे,विश्वास न हो तो खाप पंचायतों में इश्क की किताव पर चर्चा कर आइयेगा, किसान आन्दोलन और इश्क आन्दोलन एक साथ हो जाएँ तो क्रांति तय निश्चित जानिए | अभी, कहीं पुलिस वाले इश्क नहीं करने देते तो कहीं सामाजिक कार्यकर्त्ता प्रेमी युगलों को खदेड़ देते हैं | मुझे ये सरकार इश्क विरोधी भी जान पड़ती है |

         इस बार प्रधान मंत्री जी से आपने राम मंदिर की रसीद अपने अनुयायिओं को देने का आग्रह किया है किन्तु मेरे विचार से ये सलाह ठीक नहीं है |  इसके स्थान पर आपकी इश्क की किताब बिचवाने का काम अधिक ठीक रहेगा | एक तो इससे बेरोजगारों को कमीशन के रूप में धन मिलेगा और दूसरा डिलीवरी वॉय के रूप में काम भी | मेरे विचार से आप अपने प्राइम टाइम में इश्क पर भी चर्चा किया करें क्योंकि गोदी मीडिया तो नफ़रत पर ही चर्चा करती है | आपकी पुस्तक से योन हिंसा,बलात्कार,छेड़-छाड़ आदि को रोकने में भी सहायता मिल सकती है | अब बृजेश पांडे को ही लीजिये उनपर नाबालिग दलित बच्ची के साथ दरिन्दगी का आरोप है, सुना है पास्को एक्ट भी लगाया गया…अब ऐसे लोगों को इश्क की सही तालीम मिले और शहरों को इश्क करने के लिए प्रोपर डिजाइन किया जाए तो ऐसी घटनाएँ क्यों हों ? पता नहीं क्यों गोदी मीडिया बृजेश पाण्डे वाली खबर ही दबा गया | लगता है आईटी सैल ने भी कुछ सांठ-गाँठ कर ली अन्यथा एक दलित बेटी के उत्पीडन की घटना को ऐसे नहीं दबाया  जाना चाहिए था | आप इस घटना की सत्यता अपने चैनल पर दिखा दीजिएगा मरी हुई पत्रकारिता को जिन्दा करने के लिए यह किया जा सकता है  | अन्यथा कुछ लोग आप पर भी आरोप लगा देंगे कि  कि बृजेश पांडे आपके भाई हैं ? मुझे भी सही नहीं पता कि हैं | कमबख्त व्हाट्स ऐप्प यूनिवर्सिटी से पढ़े लोग कुछ भी कह  देते हैं |  

पुनश्च : आपने युवाओं से कहा है कि उनकी जवानी और कहानी दोनों ख़त्म की जा चुकी है | यह बहुत ही चिंता का विषय है | सुनने में आया है कि देश में अति नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या 40 से घटकर 35 रह गई है | कई जगह विदेशों से फंड भी नहीं आ पा रहा | कई एंजियो बंद कर दिए गए हैं, कुछ पर जाँच बिठा दी गई है | नक्सलियों के भर्ती अभियान प्रभावित हो रहे हैं,कई लेखक,पत्रकारों के काम धंधे ठप्प पड़े हैं,कुछ पर देश द्रोह के मुकद्दमे चल रहे हैं |  युवाओं का नक्सलवाद से मोह भंग होता जा रहा है यह बहुत ही चिंता की बात है | आप सही कह रहे हैं कि यदि यही स्थिति रही तो कई मित्रों की कहानी और जवानी ख़त्म हो सकती है | इससे पूर्व कि धारा 370 की भाँति नक्सलवाद  भी समाप्त हो जाए, सरकार को आपकी चिंता समझनी ही चाहिए | मेरा प्रधानमंत्री जी से निवेदन है ऐसे ग्लोवल पत्रकार की बात को गंभीरता से सुनें |

आपकी कुशलता की कामना में,

 बेरोजगार लेखक

डॉ.रामकिशोर उपाध्याय

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

15,444 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress