—विनय कुमार विनायक
कुमारगुप्त के नालंदा विश्वविद्यालय के तर्ज पर
आठवीं ईस्वी सदी में पालवंश के संस्थापक
बंगाल बिहार के प्रथम पाल शासक गोपाल ने
अपनी राजधानी उदंतपुरी संप्रति बिहारशरीफ में
बौद्ध धर्म,ज्ञान दर्शन पठन पाठन के हित में
उदंतपुरी विद्या महाविहार किया था स्थापित!!
उदंतपुरी मगध के पंचानन नदी के किनारे
हिरण्य प्रभात पर्वत शिखर पर था अवस्थित!
यह उदंतपुरी भाषागत उच्चारण भेद से
ओदन्तपुरी उद्दण्डपुर कहलाने लगा था!
ग्यारह सौ बेरानबे ई. में पृथ्वीराज चौहान से
तराईन में युद्ध विजेता आक्रांता मु गोरी का
एक तुर्क गुलाम गुमाश्ता बख्तियार खिलजी ने
नालंदा विश्वविद्यालय को दहन करने के पूर्व
उदंतपुरी विश्वविद्यालय को जला खाक किया!
ज्ञान को अंधकार में ढकेलने को संकल्पित
तीन हजार भिक्षु हजारों हजार छात्रों के कातिल
जाहिल खिलजी का कोई नहीं विरोध करनेवाला
तमसो मां ज्योतिर्गमय लक्ष्य का निकला दिवाला!
आखिर में खल बुजदिल बख्तियार खिलजी ने
उदंतपुरी का नाम बदलकर बिहारशरीफ कर डाला!
आज बिहारशरीफ है मुख्यालय नालंदा जिला का
कोई नहीं इस महा अपमान का बदला चुकानेवाला
बिहारशरीफ का नाम फिर से उदंतपुरी करनेवाला!
—विनय कुमार विनायक