नए नियमों के तहत खेला जाएगा अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट

  • योगेश कुमार गोयल
    क्रिकेट को और ज्यादा रोमांचक बनाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में अब कई नियमों में बदलाव होने जा रहा है, जिनमें अक्तूबर 2017 में बनाए गए कुछ नियम भी शामिल हैं। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के लिए नियम बनाने वाली संस्था ‘मेरिलबोन क्रिकेट क्लब’ (एमसीसी) के कानून प्रबंधक फ्रेजर स्टीवर्ट का कहना है कि 2017 कोड के आने से खेल के कई नियम बदल गए हैं। उनके मुताबिक 2019 में आए उस कोड का दूसरा संस्करण ज्यादातर स्पष्टीकरण और थोड़ा बहुत संसोधन था किन्तु 2022 कोड बड़ा बदलाव करता है। दरअसल एमसीसी ने अब क्रिकेट के कई नियमों में बदलाव किए हैं, जो ऑस्ट्रेलिया में इसी साल होने वाले टी20 विश्व कप से पहले लागू किए जाएंगे और 1 अक्तूबर 2022 से अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में प्रभावी होंगे। इनमें से कुछ नियम इंग्लैंड के द हंड्रेड लीग में लागू किए गए थे। उल्लेखनीय है कि एमसीसी के सुझाव पर ही अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल (आईसीसी) नियमों को लागू करती है।
    एमसीसी द्वारा अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में लागू किए जा रहे नए नियमों को आधुनिक क्रिकेट में नवीनता लाने वाला कदम माना जा रहा है। एमसीसी ने जिन नियमों में बदलाव किया है, उसमें सबसे महत्वपूर्ण बदलाव कैच आउट होने वाले खिलाड़ी को लेकर है। नए नियम के तहत अब कैच आउट होने पर उस खिलाड़ी की जगह आने वाला नया बल्लेबाज ही स्ट्राइक लेगा, बशर्ते वह ओवर की अंतिम गेंद न हो। इससे पहले जब स्ट्राइक पर मौजूद बल्लेबाज का कैच लिया जाता था तो उस दौरान क्रीज पर मौजूद बल्लेबाज रन लेने के लिए दौड़ते थे। अगर कैच लेने से पहले नॉन स्ट्राइक बल्लेबाज हॉफ पिच क्रॉस कर जाता था तो वह अगली गेंद पर स्ट्राइक लेता था। नियम 18.11 में बदलाव के बाद यदि कोई बल्लेबाज कैच आउट हो जाता है तो नया बल्लेबाज अगली गेंद का सामना करने के लिए स्ट्राइक पर आएगा, जब तक कि वह ओवर खत्म नहीं हो, भले ही बल्लेबाजों ने खिलाड़ी के आउट होने से पहले अपने छोर बदल लिए हों। एमसीसी के सुझाव पर इस नियम को पिछले साल इंग्लैंड तथा वेल्स क्रिकेट बोर्ड ने द हंड्रेड टूर्नामेंट में ट्रायल किया था।
    एमसीसी द्वारा नियमों में बदलाव के तहत नियम 41.3 में परिवर्तन करते हुए गेंद पर थूक लगाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, साथ ही फील्डरों के भी मीठी चीजें खाकर लार को गेंद पर लगाने पर रोक लगा दी गई है। गेंदबाज अब गेंद की चमक को बरकरार रखने के लिए लार का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे और गेंद पर लार का इस्तेमाल अब गेंद की स्थिति में बदलाव के अन्य अनुचित तरीकों की तरह ही माना जाएगा। दरअसल कोरोना काल में दोबारा से क्रिकेट का नया दौर शुरू होने के बाद क्रिकेट में कई चीजें बदली थी, जिनमें से एक गेंदबाज द्वारा गेंद पर थूक लगाने पर पाबंदी भी शामिल थी। एमसीसी द्वारा इस पर की गई रिसर्च में पाया गया कि गेंद पर थूक नहीं लगाने से गेंदबाजों को मिलने वाली स्विंग पर प्रभाव नहीं पड़ा। हालांकि कोरोना काल में गेंदबाज गेंद की चमक बनाए रखने के लिए पसीने का इस्तेमाल करते रहे हैं, जो समान रूप से प्रभावी है लेकिन एमसीसी द्वारा गेंद पर लार लगाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
    नियमों में तीसरा बड़ा बदलाव डेड बॉल को लेकर नियम 27.4 और 28.6 में बदलाव है। दरअसल डेड बॉल कभी-कभी मैच में काफी अहम भूमिका निभाती है। नए नियम के तहत मैदान पर अचानक किसी प्रशंसक, जानवर या अन्य किसी वस्तु के आ जाने पर अब अम्पायर को यह अधिकार होगा कि वह खेल में व्यवधान उत्पन्न होने की स्थिति में यदि किसी टीम को उस वजह से नुकसान होता है तो उस गेंद को ‘डेड बॉल’ करार दे सके। अभी तक क्रिकेट के किसी भी प्रारूप में फील्डिंग करने वाली टीम के किसी सदस्य की अनुचित मूवमेंट को डेड बॉल से दंडित किया जाता था लेकिन अब ऐसा होने पर बल्लेबाजी करने वाली टीम को पांच पेनल्टी रन मिलेंगे, जिससे गेंदबाजी करने वाली टीम के सदस्य ज्यादा सतर्क रहेंगे। एमसीसी के नए नियमों में वाइड गेंद तय करते समय भी नियम अलग निर्धारित किया गया है। नए नियम के तहत यह ध्यान रखा जाएगा कि गेंदबाज के रनअप लेने के समय बल्लेबाज कहां खड़ा था। इसे लेकर एमसीसी का कहना है कि उस गेंद को वाइड कहना अनुचित होगा, जो उस जगह पर पड़ी है, जहां गेंदबाज के एक्शन में आने के समय बल्लेबाज खड़ा था। इसी प्रकार नियम 25.8 में बदलाव के बाद अब पिच छोड़ने को मजबूर करने वाली गेंद नो बॉल मानी जाएगी। दरअसल अब अगर गेंद पिच के बाहर गिरती है तो नए नियम के तहत बल्लेबाज के बल्ले का कुछ हिस्सा या उसके पिच के भीतर रहने पर उसे गेंद खेलने का अधिकार होगा और उसके बाहर जाने पर अंपायर डेड बॉल का इशारा करेंगे।
    मांकडिंग आउट को लेकर भी एमसीसी ने अपने नियम 38.3 में संशोधन किया है। गेंदबाजी छोर पर खड़े बल्लेबाज को गेंद फैंकने से पहले आउट किए जाने वाले रन आउट को मांकडिंग कहा जाता है और 74 साल बाद मांकडिंग को अनुचित खेल की श्रेणी से हटाया गया है। 1974 में पहला ऐसा वाकया हुआ था, जब भारत के वीनू मांकड़ ने आस्ट्रेलिया के बिल ब्राउन को दूसरे छोर पर आउट किया था। तब मांकड़ के नाम पर ही क्रिकेट जगत में इसे नकारात्मक तौर पर ‘मांकडिंग’ नाम दिया गया था। हालांकि सुनील गावस्कर इत्यादि भारतीय खिलाडि़यों ने इसे वीनू मांकड़ के प्रति अपमानजनक बताते हुए इसका कड़ा विरोध किया था। अब इसी मांकडिंग को एमसीसी द्वारा वैध आउट के रूप में स्वीकार किया जाना भारत के लिए बड़ी राहत का विषय है। एमसीसी द्वारा अब दूसरे छोर पर खड़े बल्लेबाज को रन आउट करने संबंधी नियम 41.16 को नियम 41 (अनुचित खेल) से हटाकर नियम 38 (रन आउट) में डाल दिया गया है, जिसमें नॉ स्ट्राइक छोर के बल्लेबाज को रन आउट करने का प्रावधान है। नए नियम में अब मांकडिंग को अनुचित की श्रेणी से हटा दिया गया है और अब यदि नॉन स्ट्राइक पर खड़ा बल्लेबाज गेंद फैंकने से पहले क्रीज से बाहर निकल जाता है तो गेंदबाज गिल्लियां बिखेरकर उसे रन आउट कर सकता है। अभी तक इसे खेल भावना के विपरीत माना जाता था और ऐसा किए जाने पर काफी हो-हल्ला होता था। मांकडिंग को लेकर बने नए नियम के बाद अब बल्लेबाज क्रीज नहीं छोड़ेंगे और इससे रनों और रन आउट होने की संख्या पर भी असर पड़ेगा। बहरहाल, मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर सहित क्रिकेट जगत के अधिकांश दिग्गज एमसीसी के इन नए नियमों को स्वागत योग्य कदम बता रहे हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि नए नियमों के बाद खेल प्रेमियों का आकर्षण क्रिकेट के प्रति और ज्यादा बढ़ेगा।

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