ये है दिल्ली मेरी जान

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 लिमटी खरे

टीम राहुल जल्द ही दिखाएगी कमाल

कांग्रेस की नजर में भविष्य के वजीरे आजम राहुल गांधी की कोर टीम शनैः शनैः देश की सत्ता पर कब्जा जमाने की तैयारी में जुट गई है। राहुल गांधी ने आग और पानी का जिस तरह से संतुलन बनाया है उससे लगने लगा है कि राहुल को प्रशिक्षण अब सही व्यक्तित्व द्वारा दिया जा रहा है। राहुल ने अपनी कोर टीम को अब कांग्रेस के महासचिव राजा दिग्विजय सिंह के साथ ही साथ सिंह के घुर विरोधी सोनिया के राजनैतिक सचिव अहमद पटेल के हवाले भी कर दिया है। सियासी हल्कों में इस बात को लेकर शोध जारी है कि आखिर राहुल कौन सा तीर चला रहे हैं कि एक तरफ राजा दिग्विजय सिंह गुरू द्रोणाचार्य की भूमिका में तो दूसरी तरफ अहमद पटेल टीम राहुल को आकार देंगे। राजनैतिक वीथिकाओं में अब राहुल को इस तरह का अचूक मंत्र देने वाले चाणक्य की खोज आरंभ हो गई है।

बिहार से मन भरा लालू का

इक्कीसवीं सदी के पहले दशक में देश की राजनीति में धूमकेतू की तरह उभरे स्वयंभू प्रबंधन गुरू लालू प्रसाद यादव का अब बिहार से मोहभंग होता नजर आ रहा है। मौका चाहे उनके अपने जन्म दिवस का हो या फिर बिहार के महात्योहार छट पूजा का हर बार लालू बिहार से गायब रहकर दिल्ली में ही दिखाई दिए। गौरतलब है कि लगातार दूसरी मर्तबा बिहार में मरणासन्न स्थिति को पा चुकी है। बिहार में लालू को शायद अब कोई भविष्य नहीं दिखाई पड़ रहा है। लालू के करीबी लोगों का दावा है कि लालू यादव ने अब अपना ठौर दिल्ली को ही बना लिया है। उनके समर्थकों की मानें तो वे अब पश्चिम दिल्ली से लोकसभा चुनाव लड़ने पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं। गौरतलब है कि पश्चिम दिल्ली लोकसभा क्षेत्र में पूर्वांचली विशेषकर बिहारी मतदाताओं की तादाद अधिक है।

मीडिया को कब्जाने की जुगत में मनमोहन

देश के गैर नेहरू गांधी परिवार (महात्मा गांधी नहीं) के वजीरे आजम डॉ.मनमोहन सिंह इन दिनों मीडिया को अपने पक्ष में करने की जुगत लगा रहे हैं। मनमोहन चाह रहे हैं कि घपले, घोटाले और भ्रष्टाचार के ईमानदार संरक्षक का उन पर लगा अघोषित तमगा वापस हो जाए। मनमोहन जुंडाली इन दिनों मीडिया से पींगे बढ़ाने में जुटी हुई है। सूचना और प्रसारण मंत्रालय के आला अधिकारियों को भी इस हेतु पाबंद किया जा रहा है। मनमोहन जल्द ही अपनी पीआर ठीक करने के लिए निजी एजेंसियों की शरण में जाने हेतु गंभीरता से विचार कर रहे हैं। हाल ही में सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अधीन काम करने वाले पत्र सूचना ब्यूरो (पीआईबी) में आवासों की संख्या बढ़ाने का प्रस्ताव अस्तित्व मे आया है। पीआईबी में आवासों की संख्या साठ से बढ़ाकर सौ की जाना प्रस्तावित है। मतलब साफ है कि चालीस पत्रकारों को जल्द ही रियायती दरों पर घर देने का वायदा किया जाएगा।

गणतंत्र दिवस पर नहीं दिखेगा अपना एमपी

इस बार गणतंत्र दिवस पर राजपथ पर मध्य प्रदेश की झांकी शायद ही देखने को मिले। केंद्र सरकार ने मध्य प्रदेश की थर्ड ग्रेड झांकी को नकार दिया है। इस बार कुल अठ्ठाईस राज्यों ने अपनी झांकियों के प्रस्ताव भेजे थे, पहली छटनी के बाद ये महज डेढ़ दर्जन ही रह गए हैं। रक्षा मंत्रालय के भरोसेमंद सूत्रों ने बताया कि इस बार गुजरात में नरेंद्र मोदी और तमिलनाडू में जयललिता सरकार ने तो झांकी का प्रस्ताव ही नहीं भेजा है। इस बार कुल 28 राज्यों के प्रस्ताव आए हैं। रक्षा मामलों की विशेषज्ञ समिति ने इनमें से 16 प्रस्तावों को मंजूरी दी है। एमपी द्वारा बड़ी राशि खर्च कर राजा भोज की थीम पर आधारित प्रदर्शनी तैयार करवाई गई थी। भोज नगरी की यह झांकी विशेषज्ञ समिति द्वारा सिरे से खारिज कर दी गई है।

विकास के मामले में पिछड़ा हृदय प्रदेश

पीएचडी चेंबर ऑफ कामर्स एण्ड इंडस्ट्रीज के एक प्रतिवेदन ने मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार की कलई खोलकर रख दी है। इस प्रतिवेदन में शीर्ष स्थान दिल्ली ने पाया है, दिल्ली 65.15 अंक के साथ पहली, हरियाणा 53.61 के साथ दूसरी तो पंजाब 52.21 के साथ तीसरी पायदान पर है। चौथे मुकाम पर उत्तराखण्ड है जिसका विकास सूचकांक 45.19 है, तो इसके बाद नंबर आता है हिमाचल का जो 44.49 के साथ पांचवे स्थान पर है। छत्तीसगढ़ की रमन सिंह सरकार 44.13 के साथ छटवें तो जम्मू काश्मीर 42.55 के साथ सातवें स्थान पर है। इसके बाद उत्तर प्रदेश का नंबर आता है जो 42.54 तो उसके बाद राजस्थान 42.34 के साथ नौवें स्थान पर है। दसवें स्थान पर शिवराज सिंह चौहान हैं जिन्होंने 38.34 नंबर लिए हैं।

सीएजी रहेगी सरकार के कब्जे में

घपलों और घोटालों से आजिज आ चुके प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह भ्रष्टाचार के ईमानदार संरक्षक की छवि से बाहर निकलने बुरी तरह छटपटा रहे हैं। कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी को लगने लगा है कि मनमोहन के नेतृत्व में कांग्रेस 2014 के आम चुनाव में शायद ही केंद्र पर काबिज हो पाए। यही कारण है कि वे मनमोहन से छुटकारे का ताना बाना बुन रही हैं। मनमोहन जुंडाली ने उन्हें मशविरा दिया है कि अगर नियंत्रक एंव महालेखा परीक्षक यानी सीएजी को काबू में कर लिया जाए तो घपले घोटाले मीडिया में जाने से बच सकते हैं। मनमोहन को यह बात जंची और उन्होंने इसके लिए ग्रीन सिग्नल दे दिया। अब सीएजी को शासन के अधीन लाने का प्रयास जारी है। मनमोहन जुंडाली इसके लिए विपक्ष को भी साधने का प्रयास अवश्य ही करेगी। अगर विपक्ष सैट नहीं हुआ तो सीएजी स्वतंत्र संस्था ही रहेगी।

आरटीओ का खौफ नहीं मोबाईल कर्मियों को

मशहूर उद्योगपति आदित्य बिरला के स्वामित्व वाली निजी क्षेत्र की मोबाईल सेवा प्रदाता कंपनी आईडिया सेल्यूलर के कारिंदों ने परिवहन और यातायात पुलिस को जेब में रखने का नया आईडिया निकाला है। देश भर में अनेक जिलों में आईडिया के सेल प्रमोशन के चलते दो पहिया वाहनों पर आईडिया के कर्मचारी नंबर प्लेट पर आईडिया के स्टीकर लगाकर यातायात नियमों का सरेआम माखौल उड़ाते नजर आ रहे हैं। आईडिया के जिलों में तैनात कर्मचारियों ने परिवहन विभाग और यातायाप पुलिस की आंखों में भी धूल झोंकने का काम किया जा रहा है। आईडिया के अधिकांश कर्मचारियों की निजी दो पहिया वाहनों पर भी नंबर प्लेट पर आईडिया का ही स्टीकर चस्पा मिलता है।

क्या है जोशी पर मेहरबानी का शिव ‘राज‘

देश की राजनैतिक राजधानी दिल्ली में इन दिनों छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष डॉ.प्रदीप जोशी को एमपी की आर्थिक राजधानी इंदौर में सरकारी आवास देने का मामला छाया हुआ है। एमपी काडर के अखिल भारतीय सेवा के कुछ अधिकारी इसके निहितार्थ खोजने में जुटे हुए हैं। दरअसल शिवराज सिंह चौहान ने मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष रहे डॉ.जोशी जो अब छग के लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष हैं को इंदौर स्थित आयोग के अध्यक्ष का सरकारी आवास अगले साल 15 मई तक रखने के आदेश जारी कर दिए हैं। जोशी का इंदौर प्रेम तो समझ में आता है, किन्तु शिव के जोशी प्रेम का ‘राज‘ किसी को समझ में नहीं आ पा रहा है। गौरतलब है कि जोशी का नया कार्यक्षेत्र छत्तीसगढ़ है और उनका मुख्यालय रायपुर है, जहां उनके लिए एक बंग्ला अलग सजकर तैयार है।

क्या एसपीजी सरकार से झूट बोल रही है!

दिल्ली में मीडिया हैरान है कि सूचना के अधिकार के तहत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी के विदेश दौरों के बारे में जब किसी भी मंत्रालय को जानकारी नहीं है। सोनिया के साथ चोबीसों घंटे साए की तरह रहने वाले स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप के जवान और अधिकारी अखिरकार यात्रा भत्ता और वेतन तो भारत सरकार के गृह मंत्रालय से ही पा रहे हैं। इस परिस्थिति में एसपीजी ने अपने विभाग को तो सोनिया के दौरों के बारे में बताया ही होगा। वैसे भी सोनिया गांधी व्हीव्हीआईपी की फेहरिस्त में सबसे अव्वल हैं अतः विदेश दौरा उनका निजी हो या सरकारी, उनके लिए प्रोटोकाल की व्यवस्था तो भारत सरकार द्वारा ही की जा रही होगी। अब यही हो सकता है कि मनमोहन सरकार अपनी राजमाता के बारे में जानकारी सार्वजनिक ही न करना चा रही हो।

मामा के राज में भानजे हैं खौफज़दा!

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने आप को सूब के बच्चों का मामा बताते हैं, दरअसल वे मामा बताते नहीं बनाते हैं सबको। नेशलन क्राईम ब्यूरो और एनजीओ का प्रतिवेदन तो कमोबेश यही कह रहा है। नेशनल क्राईम ब्यूरो द्वारा जारी वर्ष 2009 – 2010 के प्रतिवेदन में मध्य प्रदेश को बच्चों के लिए सबसे असुरक्षित बताया गया है। इस अवधि में इंदौर में बच्चों के साथ हुए अपराधों की तादाद 337, जबलपुर में 257 तो भोपाल में 127 पाई गई। बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराधों में भी मध्य प्रदेश पहली पायदान पर है। एमपी में इस अवधि में शिवराज सिंह चौहान की 1071 भानजियों के साथ बलात्कार के मामले पंजीबद्ध किए गए। एमपी के बाद उत्तर प्रदेश में 625 तो महाराष्ट्र में 612 मामले बलात्कार के दर्ज हुए। बच्चों की हत्या के मामले में सूबे में इस अवधि में 115 अपराध दर्ज किए गए।

जनसेवकों को नहीं फिकर रियाया की

मध्य प्रदेश के 11 राज्य सभा और 29 लोकसभा सदस्यों को अपने प्रदेश की सुध लेने की फिकर नहीं है। एमपी के सांसदों ने अपने सूबे के मामले में लोकसभा या राज्य सभा में आवाज उठाने की जहमत तक नहीं उठाई है। उत्तर को दक्षिण से जोड़ने वाली रेल की जीवन रेखा इटारसी से झांसी के बीच बढ़े रेल यातायात के चलते इस मार्ग पर दो और रेल की पातों की आवश्यक्ता महसूस की जा रही है। आलम यह है कि छोटे से छोटे स्टेशन पर भी थ्रू लाईन छोड़कर शेष में माल गाड़ियां खड़ी रहती हैं। मध्य प्रदेश से कमल नाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया केंद्र में मंत्री हैं और सुषमा स्वराज लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष, फिर भी किसी को इस बात की परवाह ही नहीं है। सुषमा का संसदीय क्षेत्र विदिशा तो इस मेन ट्रेक पर ही है।

तीन लोगों को महिमामण्डित करती कांग्रेस

सवा सौ साल पुरानी और इस देश पर आधी सदी से ज्यादा राज करने वाली कांग्रेस ने देश में नेहरू गांधी परिवार (महात्मा गांधी नहीं) ने अपने और अपने वारिसान को महिमा मण्डित करने की गरज से सियासी धुरी तीन लोगों के इर्द गिर्द ही घुमाई हुई है। इस परिवार के तीन सदस्यों ने देश की दिशा और दशा बदल दी। इनके अलावा आजादी के उपरांत भारत गणराज्य की स्थापना के बाद सभी का योगदान नगण्य ही है। यही कारण है कि अब नेहरू गांधी परिवार से इतर सात साल प्रधानमंत्री की कुर्सी संभालने वाले अर्थशास्त्री वजीरे आजम डॉक्टर मनमोहन सिंह की रूखसती का ताना बाना बुना जाने लगा है। इतिहास इस बात का साक्षी है कि कांग्रेस ने नेहरू गांधी परिवार के तीन लोगों को ही महिमा मण्डित करने का जतन पूरे जोर शोर से किया है। आजाद भारत के पहले वजीरे आजम पंडित जवाहर लाल नेहरू, उनकी पुत्री श्रीमति इंदिरा गांधी और फिर नवासे राजीव गांधी। इसके अलावा देश के लिए सभी नेता गौड ही हैं।

पुच्छल तारा

देश की बागडोर इस समय मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी, राहुल गांधी, दिग्विजय सिंह के हाथों में ही दिख रही है। इस चौकड़ी के आगे सब बेबस हैं। मंहगाई सुरसा की तरह मुंह फाड रही है। इस पर मध्य प्रदेश से नरेंद्र ठाकुर ‘‘गुड्डू‘‘ ने ईमेल से एक कविता भेजी है। गुड्डू लिखते हैं-

ये मनमोहन भी ले लो,

ये दिग्विजय भी ले लो!

भले ही छीन लो हमसे,

हमारी सोनिया गांधी!!

मगर लौटा दो हमको,

वो आटा, वो गैस!

वो बिजली, वो पानी!!

होगी आपकी बड़ी मेहरबानी!

ले ही लो अब हमसे यह कुर्बानी!!

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लिमटी खरे
हमने मध्य प्रदेश के सिवनी जैसे छोटे जिले से निकलकर न जाने कितने शहरो की खाक छानने के बाद दिल्ली जैसे समंदर में गोते लगाने आरंभ किए हैं। हमने पत्रकारिता 1983 से आरंभ की, न जाने कितने पड़ाव देखने के उपरांत आज दिल्ली को अपना बसेरा बनाए हुए हैं। देश भर के न जाने कितने अखबारों, पत्रिकाओं, राजनेताओं की नौकरी करने के बाद अब फ्री लांसर पत्रकार के तौर पर जीवन यापन कर रहे हैं। हमारा अब तक का जीवन यायावर की भांति ही बीता है। पत्रकारिता को हमने पेशा बनाया है, किन्तु वर्तमान समय में पत्रकारिता के हालात पर रोना ही आता है। आज पत्रकारिता सेठ साहूकारों की लौंडी बनकर रह गई है। हमें इसे मुक्त कराना ही होगा, वरना आजाद हिन्दुस्तान में प्रजातंत्र का यह चौथा स्तंभ धराशायी होने में वक्त नहीं लगेगा. . . .

4 COMMENTS

  1. लिमटी खरे जी आपकी जितनी भी तारीफ की जाय कम ही रहेगी .

    आपके इस व्यंग लेख की अद्भुत सामग्री से कम से कम १० व्यंग पोस्टे तैयार की जा सकती है .
    शायद मुझ सहित प्रवक्ता के जागरूक पाठको की पाचन शक्ति कमजोर है जो आपके द्वारा बहुतायत में उपलब्ध करायी गयी उपयोगी किन्तु मुफ्त की जानकारी हजम नहीं होती .

    अस्तु आपसे सविनय अनुरोध है इतना सारा मसाला एक साथ ना देकर कृपया किस्तों में लेख लिखने की कृपा करे .जिससे सभी पाठक आपकी बहुमूल्य जानकारियों से अवगत हो सके .

    धन्यवाद

  2. आपसे ऐसी आशा नहीं थी. राहुल और सोनिया जी कुछ भी करले उनको आगे सत्ता मिलने वाली नहीं है. संपादक पब्लिक ऑब्ज़र्वर नजीबाबाद

  3. लिमटी खरे जी जैसा नाम वैसा आप का लेख खरा नही लगा। राहुल या राहुल के चचा, दादा परदादा, दादी ये सब के सब स्वर्ग से आकर जोर लगा ले कांग्रेस की आने वाली सात पुश्तो में से अब कोई प्रधानमंत्री बनने वाला नही। जिस देष के लोगो ने पचास साल तक काग्रेस को राज दिया, इज्जत दी उस काग्रेस ने देश के लोगो को क्या दिया। उन के मुॅह के साथ उन के बच्चे तक के मुॅह के निवाले छीन लिये। आज गरीब आदमी के घर परिवार की जाकर दशा देखिये उसे अपना परिवार चलाने और शाम को सिर्फ दो रोटी जुटाने के लिये अपने फूल से बच्चे से मेहनत मजदूरी करानी पड रही है। अपनी पत्नी से अमीरो के घर के बर्तन मझवाने पड रहे है। अपनी मासूम बेटियो से गैर लोगो के घरो में आया की तरह बच्चे खिलवाने पड रहे है। और आप और आप जैसे लोग इस के बाद भी ये कयास लगा रहे हो कि देष के अगले प्रधानमंत्री राहुल गांधी बनेग।े मुझे तो शर्म और हंसी आती ऐसी सोच वाले देश के बुद्विजीवियो पर।

  4. ये मनमोहन भी ले लो,

    ये दिग्विजय भी ले लो!

    भले ही छीन लो हमसे,

    हमारी सोनिया गांधी!!

    मगर लौटा दो हमको,

    वो आटा, वो गैस!

    वो बिजली, वो पानी!!

    होगी आपकी बड़ी मेहरबानी!

    ले ही लो अब हमसे यह कुर्बानी!!

    ये महज़ कविता नहिओ आम आदमी का दर्द है ………..

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