प्रेम के इक गीत पर मैं
आज तेरा नाम लिख लूँ
पंछियों की चहक मीठी
शहद जैसे मन में घोले
कोकिला की मृदु कुहुक पर
आज तेरा नाम लिख लूँ
रंग हर ऋतु का अलग है
ढंग भी उसका नया है
धूप के हर क़तरे पर मैं
आज तेरा नाम लिख लूं
फूल बागों में खिले हैं
जैसे मधुऋतु आ गयी है
मैं गुलाबों पर सुनहरा
आज तेरा नाम लिख लूँ
जगमगाता चाँद पूरा
व्योम का सिंगार हो ज्यों
छिटकी – छिटकी चाँदनी पर
आज तेरा नाम लिख लूँ
श्वेत चंपा औ चमेली
हैं धवल मनमोहनी सी
इनकी भीनी खुशबुओं पर
आज तेरा नाम लिख लूँ
पेड़ कितने ही यहाँ पर
नाम जिनके हैं अजाने
उनके पत्ते – पत्ते पर मैं
आज तेरा नाम लिख लूँ
ज़िन्दगी की ताल मीठी
और उसका सुर निराला
जी में आता है कि उस पर
मै आज तेरा नाम लिख लूँ।