मोदी जी नियरे निन्दक

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1डॉ. मधुसूदन(एक)लेखनी वीरों को अवसर ही अवसर:
जबान फडफडाकर या लेखनी घिसड घिसड कर आलोचना करने में क्या जाता है?
आलोचना आसान है। आराम कुर्सी में मेंढक (प्रेक्षक)बन बैठे रहो;और टर्राते रहो।
अपने व्यवसाय में डूबे पैसा कमाने से जिन्हें फुरसत नहीं, वे दूर से मज़ा देखकर जबान की चर्पट पंजरी चलाते रहते हैं,और मोदी की कार्यवाहियों में मीन मेख निकालते रहते हैं; मार्गदर्शन करते हैं। जानते नहीं, कि, नरेन्द्र मोदी के सामने अनगिनत समस्याएँ हैं;काफी गम्भीर समस्याएँ! टंगी तलवारों-सी लटकती गम्भीर समस्याएँ-जो दशकों से लटकी पडी हैं।
फिर भी, यह भारत माता का विनम्र सेवक दुर्दम्य ऊर्जा से दिन-रात माँ की सेवा में, लगा हुआ है। जो इसे अंतरबाह्य जानना चाहें, वें इसकी लिखी कविताओं की(गुजराती)पुस्तक *साक्षी भाव* पढें। भारतीय संस्कृति में श्रद्धा रखनेवाला, और उसके लिए दिन-रात कर्मठता से प्रयास करनेवाला, कर्मयोगी प्रधान मंत्री,आज तक के भारत के इतिहास में देखा नहीं; झूठ बोले कौआ काटे।

(दो)भारत माँ का लाल:
यह भारत माँ का लाल,प्रति दिन,४-५ घण्टे सोता है; योग-ध्यान भी करता है; अम्बा माँ का भक्त है।अम्बा माँ को लिखी इसकी गुजराती कविताएँ जिन्हों ने पढी होगी, वें जानते हैं। इसे, तितर-बितर करके घोंसला सौंपा गया था; उसे ही ठीक करने में लगा है।सारे चूहे जहाज डुबाकर भाग गए; और उपर से राष्ट्र की प्रगति में, बाधाएँ खडी कर रहें हैं। साथ साथ,अनपढ जनता को भरमा रहे हैं। बिकाउ मीडिया भी साथ दे रहा है।
पर, डूबते जहाज को बचाने ये भगीरथ अथक प्रयास कर रहा है। यह शुद्ध चारित्र्य वाला बन्दा योग करता है; शराब नहीं पीता; शाकाहारी है; और *कृण्वन्तो विश्वमार्यम* का आदर्श ले के चलता है। जानता है, भारत की वैश्विकता, विश्वगुरूता आधिपत्यवादी, संघर्षवादी  या वर्चस्ववादी नहीं है, समन्वयवादी है, सुसंवादवादी है। यही भारत की विशेषता है।
दुर्भाग्य है, संघर्षवादी शक्तियाँ भी भारत को अपने दर्पण में, स्वयं के संघर्षवादी प्रतिबिम्ब की भाँति देखती है।
पर मोदी, भारत में भी सभीका साथ चाहता है, सभी के विकास के लिए।
डाक्टर की औषधि भी पथ्यापथ्य में साथ दिए बिना परिणाम करती नहीं; तो यहाँ साथ दिए बिना,
सभी का विकास कैसे होगा? फिर यही लोग पूछेंगे कि, सबके  विकास का क्या हुआ? सारे बालटी में अपना पैर गाडकर मोदी से बालटी उठवा रहें हैं।और उपरसे पूछेंगे कि सबके विकास का क्या हुआ?
साथ काला धन वाले भ्रष्टाचारी, साथ देंगे नहीं, और कहेंगे, कि,मोदी तू विकास कर के तो दिखा।

(तीन)किस कलंक पर लिखोगे?
रक्षात्मक उपायों से उसने,अपने चारित्र्य पर,आक्रात्मकता से (?) बचने के लिए, स्वयं को किलेबन्द कर सुरक्षित कर लिया है। अरे, जिन कार्यकर्ताओं और मित्रों ने दिनरात घूम घूम कर चुनाव में प्रचार किया था; उनसे भी मिलता नहीं है। मित्र भी समझदार है। समझते हैं, कि, भय है,कहीं विरोधक उंगली उठाएंगे तो?

(चार)पर कौनसे कलंक पर आप उंगली उठाओगे?
भ्रष्टाचार के? तो टिकेगा नहीं।
भाई भतिजावाद के?
परिवार के सदस्यों से भी दिल्ली में मिलता हुआ सुना नहीं।
काला धन आरोप ?
विशेष सफेद धन भी पास नहीं है।
स्विस बँक अकाउण्ट का आरोप ?
कोई प्रमाण नहीं।
कांचन और कामिनी?
न कांचन है, न कामिनी है।

(पाँच)भगवान बुद्धका आदर्श:
इसने भी भगवान बुद्ध की भाँति विवाहित जीवन का त्याग किया है।
बुद्ध ने तो पुत्र जन्म के बाद विवाहित जीवन का त्याग किया था।
इसने उसके पहले ही।
और, महाराष्ट्र के स्वामी रामदास ने भी विवाह के मंत्रोच्चारण में *शुभ मंगल सावधान* सुनकर सावधान हो कर,पलायन किया था।
तब विवाह के समय नरेंद्र की आयु भी(सुना है) १७ की ही थीं-नाबालिग और निर्दोष था। उसको विवश करनेवालों को दोष देना छोडकर नरेंद्र को ही दोषी मानना गलत है।
(छः)सूट पर कव्वालियाँ:
पर, जब टिकाकारों को कुछ हाथ नहीं लगता; तो फिर उसके सूट पर कव्वालियाँ लिखते हैं।और दुनिया भर के प्रवास पर संपादकीय (एडिटोरियल),लिखे जाते हैं।
पर, परदेश से निवेश की संभावना और सांख्यिकी अंधों को दिखती नहीं है।
इसने दो ही वर्षॊं में, दुनियाभर में भारत का सर ऊंचा उठा दिया है। जिस अमरिका ने बरसों तक प्रवेश (विसा) नहीं दिया था; उसने लाल दरी बिछाकर स्वागत किया था। (पर इन निन्दकों को यह दिखता नहीं है।}

(सात) नरेन्द्रके दोष:
कालाधन जिस शासन के रहते हुए स्विस बँन्क में पहुंचा था; उनका कोई दोष नहीं माना ? पर इस नरेन्दरवा का दोष है; क्यों कि, उसने काला धन  वापस नहीं लाया।  उसी पर लिख्खो और उसी काले धन का हिस्सा पाओ।यह बिका हुआ मीडिया भी एक दिन पकडा जाएगा-भगवान करे, ऐसा ही हो।

(आठ)असहिष्णुता?
 जिस सेक्युलर पार्टी नें अनुनय का आश्रय लेकर देशको बांट दिया; उसका दोष नहीं।असहिष्णुता का झूठा आधार लेकर, मोदी शासन का दोष प्रमाणित करने अवार्ड वापस हुए। ऐसी विभाजनवादी विचारधारा ने, सहिष्णुता का प्रमाण पत्र देने,राष्ट्रीय निष्ठा को असहिष्णु  बना दिया।
भारत को चाहनेवालों को समझना होगा; कि, हिन्दुत्व के वट वृक्ष तले ही सभी सुरक्षित रह पाएंगे। सहिष्णुता हिन्दुत्व की ही देन है।
जरा निम्न समीकरण का उत्तर दीजिए।
(नौ)भारत – हिन्दुत्व = ?
 भारत – हिन्दुत्व = ?
भारत से हिन्दुत्व हटा तो सहिष्णुता समाप्त हो जाएगी।
बिना हिन्दुत्व का भारत भारत ही नहीं होगा।
युनानो मिस्रो रूमा जैसे भारत भी मिट जाएगा।
भारत की पहचान हिन्दुत्व से ही है। बिना हिन्दुत्व भारत एक जमीन का टुकडा रह जाएगा।

(दस) मोदी को श्रेय:

दूर सुरक्षित और आरक्षित स्थान पर बैठे बैठे,आप मोदी को, प्रमाण पत्र देते रहिए।और कहीं उसकी गलती होने पर, अपनी ही पीठ ठोकते रहिए।अकर्मण्य मूर्ख तालियाँ बजानेवाले स्वयं को उस भगीरथ से बडा समझते हैं। और बताते हैं,कि कैसे (परिश्रमी भगीरथ की ठोकरों की)इन्होंने  पहले ही  भविष्य़वाणी की थी।बिलकुल प्रेडिक्ट कर दिया था।पर, श्रेय आपका नहीं, श्रेय(क्रेडिट) उसका है, जो रणक्षेत्रमें जूझ रहा है।

(ग्यारह)रूजवेल्ट का कथन:
रूजवेल्ट===>कुछ अलग शब्दों में यही कहते हैं। जिसका चेहरा धूल, पसीने और खून से लथपथ  है; जो वीरता  का परिचय दे रहा है। उससे  गलतियाँ भी हो सकती हैं। क्योंकि
त्रुटि और क्षतियों  के बिना कोई प्रयास होता ही नहीं । लेकिन बंदा फिरसे
अपने आप को सुधार भी लेता है। यह मौलिक नेतृत्व है। किसी सुनिश्चित रेखापर चलकर कोई
मौलिक नहीं हो सकता। ईश्वर करे, मोदी सफल हो; जो इस भगीरथ अभियान में स्वयं को खपा रहा है। धन्य है। क्या मोदी को भी स्विस अकाउण्ट में काला धन जमा करना है?

आराम से बैठे बैठे कभी तालियाँ बजाकर तालियों को ही सफलता का श्रेय देनेवाले सज्जनों और यदि असफल हुआ, तो उसका  ठीकरा मोदी के सर फोडनेवाले वाकपटुओं को रुझवेल्ट का उद्धरण देख लेना चाहिए। कहते हैं, जो क्रियावान है, वही पण्डित है । (यः क्रियावान् स हि पण्डितः)
भारत में आलोचकों की त्रुटि नहीं। पैसे के पसेरी मिल जाएँगे। पहलवान कैसे हारा का,विश्लेषण करनेवाले को कोई श्रेय नहीं दिया जा सकता।
(बारह)मूल अंग्रेज़ी:
It is not the critic who counts; not the man who points out how the strong man stumbles, or where the doer of deeds could have done them better. The credit belongs to the man who is actually in the arena, whose face is marred by dust and sweat and blood; who strives valiantly; who errs, who comes short again and again, because there is no effort without error and shortcoming; but who does actually strive to do the deeds; who knows great enthusiasms, the great devotions; who spends himself in a worthy cause; who at the best knows in the end the triumph of high achievement, and who at the worst, if he fails, at least fails while daring greatly, so that his place shall never be with those cold and timid souls who neither know victory nor defeat.

(बारह)साथ किसका?
 साथ तो उसका दिया जाए, जो अथाह  परिश्रम  कर रहा है। दिनरात भारत के भव्य स्वप्न को सामने रख कर जूझ रहा है। ऐसे कर्म योगी भगीरथ पर मैं मेरी सारी साख दाँव पर लगाने के लिए सिद्ध हूँ।
दो वर्ष पूर्व अमावस्या की अंधकारभरी दारूण निराशा को इस लाल ने  आज आशा में बदल दिया है। यह किसी भी चमत्कार से कम नहीं।
इस सच्चाई को अस्वीकार करनेवाले पूर्वाग्रह दूषित, कालाधन वाले, भ्रष्टाचार से लिप्त लोग हैं। सारे विरोधक अपने अपने स्वार्थ से प्रेरित हो, छद्म विरोधका चोला ओढे हैं।
दुर्भाग्य है, कुछ अज्ञानी जनता को, उकसाकर अपना स्वार्थ सिद्ध करनेवाले, और देश को गर्त में ढकेलनेवाले नाटकी नौटंकीबाज भी साथ है।
महा-भ्रष्टाचारी कांग्रेस और सटरं-पटरं  पार्टियों की देश-घातकी अदूरदर्शी घोर स्वार्थी नीतियों से भी उसे निपटना है। देश विरोधी एन जी ओ ज़ भी इनके साथ है। एन जी ओ तो छद्म रीतिसे भारत को खोखला करने सुसज्जित है। साथ है, अज्ञानी अनपढ जिन्हें भ्रष्ट नेता उकसाकर राजनीति कर रहे हैं।

(तेरह) संसार की पाँच शक्तियाँ 

संसार की  बडी पाँच शक्तियाँ  दोहरी नीतियाँ अपनाती रहेंगी। अंतर्राष्ट्रीय कूट नीति की पुस्तकें स्पष्ट कहती हैं। ये पांच हमारी (कॉम्पिटिटर) स्पर्धक भी हैं, और हमारी समृद्धि से लाभ उठाने के लिए लालायित भी, इस लिए मित्रता का दिखावा भी करती रहेंगी। जब साथ देंगी तो शब्दों के फूल बिखेरेगी। यह हृदय परिवर्तन नहीं है।  जब साथ नहीं होगी, तो, फिलॉसॉफी झाड कर उदासीनता (Neutrality) का अभिनय करेंगी। जिससे उनका अपना कम से कम नुकसान होगा। Politics Among Nations नामक हॅन्स मॉर्गन्थाउ लिखित Text book पाठ्य पुस्तक ऐसा ही कहती है।
(चौदह) कृष्ण की चतुराई

पर हमारे बंदे को, कृष्ण की चतुराई से काम लेना है। राम के आदर्श को सामने रखने का यह अवसर नहीं है। उसे चतुर भी होना है। सभीका साथ भी चाहिए। और सभीका विकास भी चाहिए।
इस घोर कलियुग में भ्रष्ट भारतीय राजनैतिक परिस्थिति में, अकेला  भगीरथ जूझ रहा है।
सामने सांडों का संगठित विरोध है। साथ घर के भेदी भी हैं। अपनत्व की छद्म पहचान  बनाकर  भी आए हैं।
आश्चर्य है, कि,मोदी सभी पर भारी है।एक मित्र मोदी की टिका कर रहे थे। मैंने पूछा आप के मत में मोदी से अच्छा चुनाव जीतने की क्षमता वाला कौन सा नेता है?
उन्होंने बहुत सोचा। कोई उत्तर नहीं दे पाए।

 मैं इस भारत माँ के पुत्र पर दाँव लगाने तैयार हूँ।

 

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डॉ. मधुसूदन
मधुसूदनजी तकनीकी (Engineering) में एम.एस. तथा पी.एच.डी. की उपाधियाँ प्राप्त् की है, भारतीय अमेरिकी शोधकर्ता के रूप में मशहूर है, हिन्दी के प्रखर पुरस्कर्ता: संस्कृत, हिन्दी, मराठी, गुजराती के अभ्यासी, अनेक संस्थाओं से जुडे हुए। अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति (अमरिका) आजीवन सदस्य हैं; वर्तमान में अमेरिका की प्रतिष्ठित संस्‍था UNIVERSITY OF MASSACHUSETTS (युनिवर्सीटी ऑफ मॅसाच्युसेटस, निर्माण अभियांत्रिकी), में प्रोफेसर हैं।

15 COMMENTS

  1. ૬૭ સાલ પહલે એક ગુજરાતી
    ને દેશ કો અંગ્રેજોં સે મુક્ત
    કિયા થા…..
    અબ ૬૭ સાલ બાદ એક ગુજરાતી
    ને દેશ કો કાંગ્રેસ સે મુક્ત
    કિયા હૈ……
    પહલે વાલા ગુજરાતી ‘નોટો’ પર
    છા ગયા,
    અભી વાલા ગુજરાતી ‘વોટોં’ પર
    છા ગયા..
    ઐ દોસ્ત ખિડકિયા ખોલ
    કે દેખને દે મુઝે……. .
    મેરે વતન કી નઈ તસ્વીર બન
    રહી હૈ…….
    આજ ભારત ફિરસે આજાદ
    હુઆ…… પહલા ઇગ્લેડ કી
    રાની સે….. ઔર આજ
    ” ઇટલી કી નૌકરાની ” સે…..
    જો પઢ઼ સકે ન ખુદ, કિતાબ માંગ રહે હૈ,
    ખુદ રખ ન પાએ, વે હિસાબ માંગ રહે હૈ.
    જો કર સકે ન સાઠ સાલ મેં કોઈ વિકાસ દેશ કા, વે ૧ સાલ મેં જવાબ માંગ રહે હૈ.
    આજ ગધે ગુલાબ માંગ રહે હૈ, ચોર લુટેરે ઇન્સાફ માંગ રહે હૈ.
    જો લુટતે રહે દેશ કો ૬૦ સાલોં તક,
    સુના હૈ આજ વો ૨સાલ કા હિસાબ માંગ રહે હૈ?
    યે???
    વર્ષોં બાદ એક નેતા કો માઁ ગંગા કી આરતી કરતે દેખા હૈ,
    વરના અબ તક એક પરિવાર કી સમાધિયોં પર ફૂલ ચઢ઼તે દેખા હૈ.
    વર્ષોં બાદ એક નેતા કો અપની માતૃભાષા મેં બોલતે દેખા હૈ,
    વરના અબ તક રટી રટાઈ અંગ્રેજી બોલતે દેખા હૈ.
    અબ તક એક પરિવાર કી મૂર્તિયાં બનતે દેખા હૈ.
    વર્ષોં બાદ એક નેતા કો સંસદ કી માટી ચૂમતે દેખા હૈ,
    વરના અબ તક ઇટૈલિયન સૈંડિલ ચાટતે દેખા હૈ.
    વર્ષોં બાદ એક નેતા કો દેશ કે લિએ રોતે દેખા હૈ,
    વરના અબ તક “મેરે પતિ કો માર દિયા” કહ કર વોટોં કી ભીખ માંગતે દેખા હૈ.
    પાકિસ્તાન કો ઘબરાતે દેખા હૈ,
    અમેરિકા કો ઝુકતે દેખા હૈ.
    ઇતને વર્ષોં બાદ ભારત માઁ કો ખુલકર મુસ્કુરાતે દેખા હૈ.
    લેખક:અજ્ઞાત

  2. श्रीमान मधुसूदन जी,

    आपसे ज्यादा मोदी जी को नजदीक से कौन जनता होगा ? वैसे ज्यादातर लोग जो ई-मेल पर बाते करते रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे, सभी अच्छे खाने-पीने बाले लोग ही हैं / मोदी जी स्वयं भी सरकारी पैसों पर ही जी रहे हैं / परन्तु भारत देश का गरीब वैसे ही भूखे पेट पहले भी सोता था और आज भी उनकी संख्या कम नहीं हुई है / कुछ बाते सुन कर मनन करने बाली होती हैं, ऐसा ही एक वीडियो लिंक भेज रहा हूँ /

    https://www.youtube.com/watch?v=rW97RQMqr34&list=PLKD9IRjNEpXtEOmhS9gCzTA1qIxPCu9IW&index=4

    शुभकामनायें –

    डॉ. कुमार अरुण

    • डॉ. कुमार अरुण जी –समय लगेगा। कुछ धैर्य की अपेक्षा है। आप के तथ्यों से सहमति।पर मोदी का कोई स्वार्थ आप दिखा नहीं पाएंगे। मुझे मोदी का और कोई पर्याय निश्चित नहीं दिखता। मैं मोदी का मौलिक नेतृत्व बिलकुल गहराई से पहचानता हूँ। यह सामान्य दिखनेवाला सन्यासी है।
      अपने भाई को भी दिल्ली में मिलता हुआ सुना नहीं। परिवादों से दूरी बनाना चाहता है।
      भ्रष्टाचार लिप्त विरोधक Do or Die (मरो या मारो) की स्थिति में हैं। और (१)हमारी जनता भरमा जाती है। (२) जातीय समीकरणों से मत देती है। (३) शासकीय भ्रष्टाचार समाप्त है। (४)छुट पुट भ्रष्टाचार पर मोदी अंकुश नहीं लगा सकता।पर, देनेवाला ना हो तो लेनेवाला कहाँसे लेगा। देनेवाला भी कुछ तो दोषी है ही।
      लोग देते भी हैं और परिवाद भी करते हैं।
      प्रवक्ता पर आते रहिए। और अलग पहलुओं का योगदान देते रहिए। सच्चाई को उजागर करने में सहायता के लिए धन्यवाद।

  3. WE need more article on Mr Modi’s positive side. 67 yrs of congress rule has made many with slave mentality .

  4. मधुसूदन जी
    मैंने आपका पूरा आलेख पढा। सौ प्रतिशत सहमत हूँ । आपको ग्यात है मै मोदी वादी हूँ ।चरित्र व कर्मठता मै उसका कोई शानी नहीं । बडे भाग्य से ऐसा प्रधान मंत्री भारत को मिला है ।
    हम कह सकते हैं,अकेला चना भाड नही फोड सकता। किंतु सुना है भारत मै, रिश्वत खोरी वही की वही है । चपरासी से लेकर साहब तक कोई जेल नही गया । मेरे सोच से दो साल में भारत के जेलों मै सैलाव आ जाना चाहिये था। शेर को दहाडना भी चाहिये । न दहाडने से लालू जैसे भेडिये चुनाव जीत्त् गये । बिहार में एक तरह से लालू की सरकार है, उसका बेटा उपमुख्य मंत्री है । कंग्रेसी भ्रश्ह्ट नेता सब वही के वही है । इटेलियन को चाटने वाले अभी भी वहिकररहेहै । दो साल का काफी लम्बा वक्त है । फिल्म मै केवल एक दिन के मुकाविले ।

    मेरे पहले कटु कटाक्ष का तात्पर्य यही है ।

    Hari B. Bindal, P.E.
    301- 262-0254

  5. पराजय का दुःख काफी समय तक सालता है —————-

  6. धन्यवाद नागदाजी। आप की टिप्पणी ने सब कुछ कह दिया। मत्सर, द्वेष,कालाधन वालोंका विरोध, भ्रष्टाचारियों का विरोध, और एन जी ओज़ का विरोध है।
    पर जब अपना काला अपराध छुपाना है; तो विरोध को छद्म तरिके से प्रस्तुत करते हैं।
    सारे विरोधक बहुत बहुत डरे हुए हैं। अंदर से चड्डी गिली है। पर जोर शोर से चिल्ला रहे हैं। फिर सारी मण्डली अकेले मोदी के विर्रोध में बिना सिद्धान्त का संगठन बना रही है।
    —————————————————
    भारत यह अवसर गँवा कर और पीछे चला जाएगा। जन तंत्र की ऐसी त्रुटियाँ भी है।

  7. I notice Modiji speaks from his life experience and not from the Degrees obtained from the College or University (which some people think is necessary). He is efficient and is ably supported by a select team of loyal associates (unlike the friends in prosperity attitude). The media will publish anything if you pay them well. But to shut the mouths of the dogs we have to publish periodically the achievements ourselves.

  8. Thank you, Dr. Madhusudan ji. You are right on money. People in India are suffering from jealousy or phobia that others may not excel. That is why they can’t digest the good someone does. In today’s time I don’t see any better person than Modi ji, hence learned people like Subramanian Swamy and others are joining hands in the nation development. I wish they all teach a lesson to all criminals no matter how high they sit in Indian parliamentary, judiciary or administration.

    When will Indian media be honest? When will Indian politicians, judges, and IAS/ICS be corruption free? When will India be corruption free? Hope, wish and pray Modi ji shall make a dent which we all and the next generation shall remember.

    • नागदाजी धन्यवाद।
      टिप्पणी ने सब कुछ कह दिया। मत्सर, द्वेष,कालाधन वालोंका विरोध, भ्रष्टाचारियों का विरोध, और एन जी ओज़ का विरोध है।
      पर जब अपना काला अपराध छुपाना है; तो विरोध को छद्म तरिके से प्रस्तुत करते हैं।
      सारे विरोधक बहुत बहुत डरे हुए हैं। अंदर से चड्डी गिली है। पर जोर शोर से चिल्ला रहे हैं। फिर सारी मण्डली अकेले मोदी के विर्रोध में बिना सिद्धान्त का संगठन बना रही है।
      —————————————————
      भारत यह अवसर गँवा कर और पीछे चला जाएगा। जन तंत्र की ऐसी त्रुटियाँ भी है।

  9. बहुत सुंदर
    लगता है उथले और निम्न स्तर की नरेंद्र भाई पर की हुई आलोचनाओं से आख़िर लेखक को भी कुछ कड़ा लिखने को बाध्य होना पड़ा।
    जब अपने ही देश के लोग स्वार्थ वश एक ऐसे माँ के सेवक को तंग करते रहेंगे तो उन्हें शालीनता और freedom of speech जैसे धूमिल आधार पर चुपचाप सहने में कोई महानता नहीं।
    अपने दूसरे गाल को आगे ना करते हुए उनके दूसरे गाल पर जिसमें उनकी बेलगाम जीभ है, ज़ोर का तमाचा उनुपयुक्त नहीं होगा।
    यदि चाण्क्य इस समय होते तो वे सम्भवतह आंतरिक शत्रुओं को पहले सफ़ाया करने की सलाह देते जो राष्ट्र को दुर्बल बनाने पर तुले हैं।

    Sent by
    Dr. Choudhary B S Patel

  10. प्रभावी एवं सुप्रमाणित आलेख । सत्यमेव जयते , नाsनृतम् ।। क्योंकि ” विघ्नै: पुन: पुनरपि च प्रतिहन्यमाना: , प्रारभ्य चोत्तमजना: न परित्यजन्ति ।।” विद्वद्वर मधुसूदन भाई को अनेकानेक साधुवाद !!

    • ब. शकुन्तला जी–आपने संस्कृत उक्तिका उचित और सहज प्रयोग कर आलेख को सम्मानित ही किया है। प्रोत्साहन के लिए धन्यवाद।

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