911 और टिक- टिक

कहते हैं कि देश पर वार और क्रिकेट में हार भारतीयों को असहनीय लगती है।विश्वकप के सेमीफाइनल में  क्रिकेट टीम क्या हारी ,देश -विदेश में तमाशा शुरू हो गया।जितने मुंह उतनी बातें।सारे लोग हार का ठीकरा फोड़ने के लिये एक सर खोज रहे हैं और सर ऐसा हो कि पलट के जवाब ना दे।सारे सर एक जैसे नहीं होते,कुछ सर “,सर जडेजा” जैसे भी होते हैं जो बर्दाश्त नहीं करते,पलट कर जवाब भी दे देते हैं ,जुबान से भी और प्रदर्शन से भी ।इस बार सर जडेजा ने मांजरेकर को अपनी गुगली से ट्विटर पर और मैदान पर बैट को तलवारनुमा घुमाकर निशाना बनाया। एक नजीर दी  कि एक्स क्रिकेटर वही बोलें,उतना ही बोलें जितना उन्होंने खुद प्रदर्शन किया हो।सो सबने हार का ठीकरा धोनी पर फोड़ दिया।वैसे भी धोनी मिस्टर कूल हैं, कभी हॉट परफॉरमेंस नहीं देते ना सोशल मीडिया में और ना ही मैदान में।धोनी के धैर्य का लोगों ने राज पूछा तो उन्होंने बताया कि टिक टिक और चुप्पी उन्होंने” द वाल”  कहे  जाने वाले राहुल द्रविड़ से सीखी थी और दो हजार सात के क्रिकेट वर्ल्ड कप में जब भारत पहले दौर में बाहर हो गया था तब  मिस्टर कूल ने  द वाल से यही सीखा था कि भले ही कितनी घिसाई हो,आलोचना हो मगर पहली बात तो टिक टिक नहीं छोड़ना,दूसरी बात मुंह नहीं खोलना।फिर अब तो उन्हें टिक टिक बल्लेबाजी के खुदा रवि शास्त्री का समर्थन,सानिध्य और आशीर्वाद प्राप्त है।ये बात फिलहाल अनोखी कमेंट्री करने वाले आकाश चोपड़ा सभी को बता रहे हैं।”रबाड़ा ने किया कबाड़ा,चहल ने काटी फसल ” जैसी क्रांतिकारी कमेंट्री करने वाले आकाश चोपड़ा इस बात से खासे गदगद हैं कि उनकी जो टिक -टिक बल्लेबाजी इंडिया को मैच जिताने के काम आती थी और जिसकी  टिक टिक की वजह से वो टीम से बाहर कर दिए गए थे।वही टिक टिक अब टीम के अंदर बने रहने और टीम की हार को रणनीति का मुलम्मा पहनाने के काम आती है ।अक्सर हारी  हुई बाजी जीतने वाले और क्रिकेट में मुकद्दर का सिकंदर कहे जाने वाले धोनी के बारे में कुछ लोग कहते हैं कि  अब हार ही इनका इस्तकबाल करती है।अभी आइपीयल का फाइनल हारे,फिर वर्ल्ड कप का सेमीफाइनल भी हार गए।एक क्रिकेट कमेंटेटर ने तो  धोनी को” मिस्टर कूल एंड कंसिस्टंट “तक कहा है।चार साल पहले वो जितने फिट थे,आज भी वो उतने ही फिट हैं।चार साल पहले वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में उन्होंने जितनी धीमी बल्लेबाजी की थी ,इस सेमीफाइनल में भी उन्होंने उतनी ही धीमी बल्लेबाजी की ,बन्दा वाकई कालजयी है।एक दूसरे शायर नुमा कमेंट्रेटर ने तो इनको सलाह दे डाली “धोनी जी अब निकल लो टीम से,इस टीम से दिल को लगाना क्याजब किसी को तुम्हारी जरूरत नहीं,तो जोगी की तरह हाथ फैलाना क्या “।कभी इनके प्रशंसक इनकी तुलना विष्णु भगवान से करते थे ,कि धोनी सर्वशक्तिमान हैं ,भगवान रूपी फोटो पर विवाद इतना बढ़ा कि मामला अदालत तक पहुंच गया।अब धोनी का जिक्र दूसरी वजहों से अदालत में हो रहा है ,अब ये पनौती वाली कम्पनियों से जुड़ने के मसले में अदालतों में चर्चित हो रहे हैं।कभी अमिताभ बच्चन तक का फोन ना उठाने वाले धोनी आज अमिताभ की राह पर हैं लोगों को कर्जा लेने की जुगत और फायदे बता रहे हैं वो भी किसी ख़ास कम्पनी से ।एक ऐसी कम्पनी से जितनी की उसकी बिल बुक है ,उतने हजार के घोटाले का उस पर आरोप लगा है।कर्ज से बेजार हो चुके अमिताभ खुद तो कभी कर्जा नहीं लेते मगर अतीत में  कर्जा लेने के बाद हुई अपनी थुक्का फजीहत के कसीदे  ऐसे गढ़ते हैं जैसे वो बलि के बकरे हों, उनका मीडिया मैनेजमेंट अमिताभ के लिये कर्जों के ऋणमुक्त होने को ऐसे दिखाता है मानो उन्होंने अपना कर्जा नहीं बल्कि देश का कर्जा चुकाया हो।सुपर हीरो से आजकल कपड़े धोने वाले व्यक्ति का किरदार अदा कर रहे  अमिताभ सबको कर्ज लेने के लिये अंदर की बात बता रहे हैं  ।अमिताभ ने अपना फोन ना उठाने के बाद धोनी को जान अब्राहम के जरिये सन्देश भिजवा दिया है कि कर्ज बांटने के इश्तहार करते रहो। समय ही बताएगा कि धोनी की लोगों को कर्ज लेने की प्रोत्साहन की बातें क्या गुल खिलाएंगी।क्रिकेट भी अजीब खेल है यहां खेलने वाले बोलते नहीं,और क्रिकेट से रिटायर हो चुके लोग चुप नहीं बैठते ,कौन क्या बोले कि उसको मिले।लगता है क्रिकेटरों के दिन अच्छे नहीं चल रहे हैं ,इमरान खान पाकिस्तान नहीं चला पा रहे,सिद्द्धू अपना मंत्रालय नहीं चला पा रहे और जहीर खान के सारे होटल बन्द हो जाने के कगार पर हैं।एक्स क्रिकेटर उस एजेंसी के हिसाब से बोलते हैं जो क्रिकेट में भुगतान करती है।उसी का मुंह देखकर ही क्रिकेटर मुंह खोलते हैं ,अब हर बन्दा चचा योगराज तो हो नहीं सकता ,जो धोनी की उतनी ही आलोचना करते हैं जितनी की कॉंग्रेस प्रवक्ता सरकार की ।सब टीम की खिंचाई करना चाहते हैं मगर कोई भी पूर्व क्रिकेटर ठीक से मुंह नहीं खोल रहा है कि  बोलने से वो विनोद काम्बली जैसे बहिष्कृत हो सकते हैं और सुर में सुर मिलाये रहने से वो सात करोड़ी रवि शास्त्री बन सकते हैं ,क्या पता कब बुलावा आ जाये चयन समिति में जाने का ।जो अंदर हैं वो इतने चुपचाप हैं कि चुप रहकर अपना कार्यकाल पूरा कर लें वरना अनिल कुंबले की तरह चुप रहने की ताकीद कर दी जायेगी ।सबको अपने अपने फायर खोलने के मौके मिल गए हैं ,सौरभ गांगुली का लोग मजाक उड़ाते थे कि वो फाइनल नहीं जिता पाते थे,19 फाइनल हारने वाले बाबू मोशाय  इस वक्त टीम की हार से दुखी तो हैं मगर थोड़ा मजा ले रहे हैं कि हम भला फाइनल तक पहुंचते तो थे ,यहां तो सेमीफाइनल से ट्रेन आगे नहीं बढ़ रही है।इधर टाइगर के उपनाम वाले हंसमुख और अब संसद की शोभा बढ़ा रहे गम्भीर साहब ,टी 20 वर्ल्डकप और अब विश्व कप के सेमीफाइनल हारने के बाद उन्होंने आईपीयल में विराट से हुए अपने पंगे को याद किया और आजकल मन्द मन्द मुस्करा रहे हैं और भोजपुरी गाने सुन रहे हैं और  धीरे से कहते हैं कि “रन चाहे जितने बनाओ विराट,टूर्नामेंट ना जीते तो कोई मतलब नहीं “।सेमीफाइनल में हारने से कम्पनियों के कर्ता-धर्ता भी बहुत दुखी हैं ,उनकी बिग डील मिस हो गयी।पुराने जमाने में एक कहावत थी कि “बेटा ,बाप का अनुसरण करता है”नये जमाने में ये कहावत उलटी हो गयी है कि “बाप ने बेटे का अनुसरण कर लिया “यानी पाकिस्तान को बेटा बेटा कहकर उसकी खिल्ली उड़ाने वाले बाप जी भारत भी हार गए।फर्क सिर्फ ये है कि  वो सेमी फाइनल के पहले हारे,ये सेमीफाइनल में हारे ।इसे ही कहते हैं “बाप का बेटा,सिपाही का घोड़ा कुछ भी नहीं तो थोड़ा थोड़ा वैसे इस हार पर पाक की जनता को तो सन्तोष है ही पर वहां के खिलाड़ियों को काफी सुकून है ,कि जब भारत हार गया और उसके खिलाड़ी नहीं पिट रहे हैं तो हम ही हार कर क्यों पिटें।सरफराज ने इस बाबत टीम इंडिया को शुक्रिया कहा है कि वो हार गए तो पाकिस्तानी खिलाडियों की कम खिंचाई होगी।  वैसे भी पाकिस्तान के एक्स क्रिकेटर्स ने दिल खोल कर भारतीय खिलाड़ियों की तारीफ़ शुरू कर दी है ताकि उन्हें भारत के टीवी चैंनलों पर आने का मौका मिल सके।इसी बीच कुछ ज्योतिषियों ने अपना बयान दिया है कि सेमीफाइनल में विराट के एक रन पर आउट होने की वजह वही ग्रह दशा है जो चार साल पहले सिडनी में थी ,फर्क सिर्फ इतना है कि तब विराट ने तेरह गेंदों में एक रन बनाए थे ,अबकी पांच गेंदों में ही एक रन बना दिए।इसी बीच गम्भीर ने टीवी पर विराट को 911 कह दिया ,ये सुनकर  दुनिया के नंबर एक बल्लेबाज की धर्मपत्नी अनुष्का निहाल हो उठी और उन्होंने विराट से कहा कि उनकी तुलना न्यूयॉर्क पुलिस से की जा रही है । विराट ने ये सुनकर ,उस जगह से हटकर एकांत में आकर वो महत्वपूर्ण शब्द बोले ,जो वो प्रायः कैच आउट करने के बाद बल्लेबाज के बारे में बोलते हैं और वापस लौट कर उन्होंने दुखी होकर बताया कि 911से उनकी ये तुलना न्यूयॉर्क पुलिस से नहीं,बल्कि पिछले तीन विश्वकप में उनके द्वारा सेमीफाइनल में बनाये गये रनों की गिनती है।2011 में 9,2015 में 1,2019 में एक।तब तक किसी ने दिखाया कि मिस्टर कूल  विराट को चीकू नाम देने वाले आम्रपाली वृक्ष के नीचे बैठकर उन्हें खुद की तरह कछुवा की गति से बल्लबाज़ी की सीख और खरगोश वाला चीकू नाम त्यागकर ,उन्ही की तरह खेलने की सलाह देते हुए बोल रहे हैं “स्लो एंड स्टीडी विन्स द रेस”यानी बहुत विश्वकप पड़े हैं अभी।तुम मेहनत करो चीकू।मुझे क्या है टिक टिक से निकलूंगा तो टिक-टाक पर चला जाऊंगा।फिलहाल ड्रीम इलेवन की टीम बनाने में व्यस्त हूँ।तब तक  योगराज चच्चा आते दिखे ,उन्हें देखते ही मिस्टर कूल किसी कोल्ड्रिंक का प्रचार करने के लिए खिसक लिये 

?

समाप्त ,कृते–दिलीप कुमार ,

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

16,602 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress