आदरणीय भौजी,
सादर परनाम!
मैं यहां खैरियत से हूं और उम्मीद करता हूं कि अमेरिका से लौटने के बाद आपकी जर-बीमारी भी भाग गई होगी। पहले आपके बारे में चिंता-फ़िकिर लगी रहती थी, लेकिन जबसे मनमोहन चाचा प्रधानमंत्री बने, तबसे मन हल्का रहता है। वे आपका बहुते खयाल रखते हैं। बनाया तो प्रधान मंत्री आपने नरसिंहा राव को भी था लेकिन वह वफ़ादार नहीं था। बोफ़ोर्स की फाइल दिखा-दिखा कर आप ही को ब्लैक मेल कर रहा था। ई सरदार ठीक है। सारा इल्जाम अपने सिर ले लेता है। इसलिए अब हमको कौनो चिन्ता नहीं रहती। अब तो आप सर्दी-जुकाम का भी इलाज़ कराने अमेरिका या इटली जा सकती हैं। आ इहवां भी कौनो परेशानी थोड़े ही है। आपके एक इशारे पर आल इन्डिया मेडिकल इन्स्टीच्यूट से लेकर मेदान्ता तक डाक्टर-बैद १०, जनपथ में १२ बजे रात में भी लाइन लगा देंगे। इ सबके बावजूद भी मन में कभी-कभी खटका होने लगता है। आखिर कौन गुप्त बीमारी आपको लग गई है कि बार-बार अमेरिका का चक्कर लगाना जरुरी हो गया है। अडवनिया कौनो जादू-टोना तो नहीं करा दिया है। होशियार रहिएगा। इ भाजपाई कुछ भी कर सकते हैं। आपकी बीमारी की बात सुनकर कभी-कभी हम नरभसा जाते हैं। रोज़ टीवी देखते हैं और अखबार भी पढ़ते हैं, लेकिन कहीं से भी कोई जवाब नहीं मिलता है। स्विस बैंक के खातों के माफिक बेमरियो को गुप्त ही रखिएगा क्या? हम पर विश्वास कीजिए। सही-सही समाचार लौटती डाक से पेठाइयेगा। ई गुप्त बात हम ना तो अडवानी को बताएंगे और ना ही सुब्रह्मण्यम स्वामी को।
एगो बात हमारी मोटी बुद्धि में नहीं आ रही है। ई फ़ेसबुकवा क्या है? इसपर आपका कवनो कन्ट्रोल नहीं है क्या? जनवरी में स्विस बैंक की एक चिठ्ठी उसपर देखी। भारत सरकार के नाम वह चिठ्ठी बैंक के मनेजर मार्टिन डिसा पिन्टो ने लिखी थी। उसमें क्रमांक-एक पर राजीव भैया का नाम था और उनके खाता नंबर – IN-155869-256648-102011 में १९८३५६ करोड़ रुपया जमा दिखाया गया था। आपके भी कई खातों में कई लाख करोड़ रुपया जमा है, ऐसा रोज़े छपता है। विदेशी बैंक के मनेजरों को थोड़ा-थोड़ा घुड़की देना जरुरी है। अगर वो सब आपसे खौफ़ खाना छोड़ दिया हो तो ओबमवा से डंटवा दीजिए। कही सब खातन के जानकारी रामदेव बबवा को हो जाएगा, तो वह बवाल खड़ा कर देगा। उसकी दवा के कारखाना में दो-चार टन अफ़ीम या हिरोइन रखवा कर उसे गिरफ़्तार कर अंडमान काहे नहीं भेजवा देती हैं। हिन्दुस्तान में रहेगा, तो रोज़े अनशन करेगा। सफ़ेद कुर्ता-धोती और टोपी पहनकर वह बुढ़वा – क्या नाम है उसका………अन्ना हज़ारे, हां अन्ना हज़ारे ही नाम है; जब देखो रामलीला मैदान में रामलीला करने लग जाता था। ऐसा दांव मारा आपने कि उसकी मंडली ही बिखर गई। किरन बेदी बाबा के साथ चली गई और बुढ़ऊ पहुंच गए रालेगन सिद्धि। अरविन्द केजरिवलवा राजनीतिक पार्टी बना रहा है। जन लोकपाल! जन लोकपाल!! घंटा!!! करा ले पास जन लोकपाल। केजरिवलवा को राज सभा का टिकट का आफ़र देकर देखिए। वह पट सकता है।
ई भाजपाइयन को आजकल क्या हो गया है? कवनो काम करो, चिल्लाने लगते हैं। डीजल पर पांच रुपया बढ़िए गया तो क्या सुनामी आ गया? आजकल तो भिखारियो पांच रुपया का भीख नहीं लेता है। ज़रा जाइये बनारस के संकट मोचन मन्दिर में। पांच रुपए के चढ़ावे को देख पुजारी दूरे से दुरदुरा देगा। टीका लगाना तो दूर, चरणामृत भी नहीं देगा। सोना बतीस हज़ार पहुंच गया, चांदी बासठ हज़ार किलो, दाल सौ रुपया किलो, गेहूं-चावल को कौन कहे, मड़ुआ-मकई जैसा मोटा अनाज भी पचास रुपया किलो मिलता है। दूध की तो बाते छोड़िए, आजकल पानी भी पन्द्रह रुपया लीटर है। कपड़ा-लत्ता, गहना-गुरिया, खान-पान, सब्जी-तरकारी – कौन चीज सस्ता मिल रहा है? डीज़ल पर पांच रुपया बढ़िए गया तो कवन अनर्थ हो गया – गला फाड़-फाड़ कर चिल्ला रहे हैं, भारत बन्द करा रहे हैं। ई कमनिस्टन को क्या हो गया है? जिनगी भर नेहरूजी, इन्दिरा माई और राजीव भैया के चरण दबाए और अब भाजपैयन के साथ भारत बन्द करा रहे हैं। बीस तारीख को भारत बन्द होना है। घबराइयेगा मत। चुनाव अभी दू साल दूर है। शिन्दे बहुत ठीक बोलता है। दू साल में जनता सब भूल जाएगी – २-जी, कोलगेट, राष्ट्रमंडल…………..सब। बस एतना ध्यान रखिएगा कि भाजपा अगले चुनाव में किसी तरह बुढ़ऊ अडवानी को ही प्रधानमंत्री बनाने का एलान कर दे। सांप भी मर जाएगा और लाठी भी नहीं टूटेगी। बुढ़ऊ कभी अटल बिहारी वाजपेयी नहीं बन सकते हैं। सुषमा और जेटली से डरने की जरुरत नहीं है। ई अरुन जेटलिया को क्रिकेट कन्ट्रोल बोर्ड का चेयरमैन काहे नहीं बनवा देती हैं? वह आपका मुरीद बन जाएगा। फिर राज सभा में आपका एको बिल नहीं रुकेगा। पूरे देश में एक ही आदमी से आपको सावधान रहना है। गुजरात का मुख्यमंत्री नरेन्दर मोदी होशियार लगता है। उसके खिलाफ़ आपलोग जितना ही बोलते हैं, वह उतना ही ताकतवर हुआ जा रहा है। बस उसी से खतरा है। जवान भाषण भी बहुते बढ़िया देता है। आपके इशारे पर नीतीश जी उसकी नाक में नकेल डालने की बहुत कोशिश किए लेकिन उसका कुछो नहीं बिगाड़ पाए। वह तो सिंह की तरह दहाड़ रहा है। गुजरात में बबुआ राहुल को चुनाव प्रचार में मत भेजिएगा। यूपी, बिहार की तरह गुजरातो में अगर पार्टी हार गई, तो अमेरिका की पत्रिकाएं जाने क्या-क्या लिखना शुरु कर दें। कही बबुआ की शादी भी खटाई में न पड़ जाय। बबुआ को ज़रा कहिए कि होम वर्क ठीक से करे। एक सलाह है – उसका भेस बदलकर दो महीने के लिए आर.एस.एस. की शाखा में भेज दीजिए। वहां से आएगा, तो अटल बिहारी की तरह भाषण देने लगेगा।
अभी कम से कम दू साल तक तो अपनी ही सरकार रहेगी। फिर भी सब मंत्रियन पर निगाह रखना जरुरी है। पता नहीं कौन आस्तिन का सांप बन जाय? सीबीआई के भरोसेमन्द खास अफ़सरों को एक-एक के पीछे जरुर लगा दीजिएगा। एफ़.डी.आई पर माया-मुलायम से डरने की जरुरत नहीं है। ये समुद्र में चलते हुए जहाज के पंछी हैं। उड़ेंगे जरुर, पर थक हार कर जहाज पर ही आएंगे। ताज़ कोरिडोर और आय से अधिक संपत्ति वाली फाइलों को अपने पर्सनल कस्टडी में रखिएगा। बस एक और आदमी से होशियार रहिएगा – बाबू मोशाय से। आपने उन्हें राष्ट्रपति बनाकर बहुत अच्छा काम किया। कैबिनेट में रहकर करते ही क्या थे – चिठ्ठी लीक करने के अलावा। लेकिन वे घायल सांप हैं। दो-दो बार उन्होंने प्रधानमंत्री की कुर्सी पर अपना दावा जताया था। अच्छा किया आपने कि उनके पर कतर दिए, नहीं तो वे दूसरे नरसिंहा राव बन जाते। फिर भी उनसे होशियार रहने की जरुरत है। हंग पार्लियामेन्ट में शंकर दयाल शर्मा की तरह वे विरोधियों का ही साथ देंगे। हम तो बस एक आदमी की वफ़ादारी के कायल हैं और वे हैं डिग्गी बाबू। वह पठ्ठा गज़ब का स्वामीभक्त है। आप ज़रा सा इशारा करती हैं और वह भूंकना चालू कर देता है। बाबा रामदेव, अन्ना हज़ारे, भाजपा और आर.एस.एस. के लाखों-करोड़ों समर्थकों को अपनी भौंक से चुप करा देता है। देखिएगा इस साल न अन्ना जन्तर-मन्तर पर कोई मन्तर पढ़ेंगे और न बाबा रामदेव रामलीला मैदान में कोई लीला करेंगे। वाह रे डिग्गी! जियो राजा।
यहां आपकी देयादिन और बाल-गोपाल एक टाइम भोजन करके भी मज़े में हैं। कल बड़की बिटिया, क्षुधा, आइसक्रीम के लिए मचल रही थी। पेट में दाना न पानी। उसे आइसक्रीम चाहिए था। मैंने उसे समझाया कि नवरात्तर में दिल्ली चलेंगे। तबतक एफ़.डी.आई. लागू हो जाएगा। तुम्हारी ताईजी तुम्हें मलाई मारकर आइसक्रीम खिलाएंगी। दोनो बेटे दीन और अभाव पयलग्गी कह रहे हैं।
थोड़ा लिखना, ज्यादा समझना।
इति शुभ।
आपका प्रिय देवर
जनता गांधी
सिन्हा जी साधुवाद अच्छी समसामयिक आलोचना है आपकी इस चिट्ठी में समाज का दर्द प्रतिबिंबित है, सरकारी नौकरी का तात्पर्य यह नहीं है कि सत्य को सत्य न कहा जाये, आपका साहस प्रसंसा योग्य है
विपिन जी ये कौन सी बोली में चिठ्ठी लिख दी .लालू तो कैबिनेट में है नहीं फिर समझाएगा कौन ?
आप सरकारी नौकर होकर राजनीती क्यों कर रहे हैं. सोनिया गाँधी के बारे में आपको अच्छी जानकारी है पर अपने विभाग के बारे में नहीं. उत्तर प्रदेश का सबसे बीमार विभाग है आपका, पहले उसकी बीमारी दूर करें फिर दुसरे की बीमारी के बारे में सोचें. आप लोग खुद भ्रष्टाचार में डूबे हुए हैं और दूसरों पर इलज़ाम लागरे हैं.
लेखन और सरकारी नौकरी में कोई विरोधाभास नहीं है। विचार अभिव्यक्ति राजनीति नहीं कहलाती है। पाती सोनिया भौजी के नाम है लेकिन तिलमिलयाए आप हैं। रही बात भ्रष्टाचार की। तो मेरा नाम पता, पद विभाग और पोस्टिंग का स्थान मेरे परिचय में लिखा है। आपके कमेन्ट से लगता है कि आप कांग्रेसी हैं । सरकार आपकी है, सीबीआई आपकी है। मेरे खिलाफ़ जांच करा लें। भ्रष्टाचार का एक भी आरोप सिद्ध हो जाय तो नौकरी से निकलवा दीजिए और जेल में बंद करा दीजिए। एक भ्रष्ट लेखक की लेखनी में इतना दम हो ही नहीं सकता कि वह निडर होकर सार्वजनिक रूप से इतनी दृढ़ता के साथ अपनी बात रख सकें। अगर हिम्मत हो तो पत्र में उठाए गए प्रश्नों का उत्तर दीजिए या दिलवाइए।
लेखक महोदय मैं कांग्रेसी बिलकुल नहीं हूँ और न ही किसी राजनीतिक पार्टी का समर्थक हूँ, क्योंकि सारी पार्टियां भ्रष्टाचार में डूबी हुई हैं. लेकिन सरकारी आदमी होने के नाते किसी भी पार्टी या व्यक्ति का आपको समर्थन या विरोध नहीं करना चाहिए, आपको निष्पक्ष होना चाहिए.
Mohammad Athar Khan, सही बोलत है लेखक महोदय को समझ नहीं आ रहा है
अरे भैया जिस भौजी का आप नमक खा रहे हो उसी पर विष बाण छोड़ रहे हो यह गलत बात है .
लेखक जी थोड़ी स्वामिभक्ति सीखो Mohammad Athar Khan, साहब की तरह
भविष्य में बड़े काम आएगी.
धन्नी में बांध देते है
यही तो मुश्किल है भाई,
आप जिसे व्यंग कह रहे हैं बही है भारत की सचाई !
आज भी लोग रखते हैं लगाव,
सह जाते हैं बड़े बड़े घाव,
चुनाव में देते हैं उन्हें ही वोट,
नहीं दिखती उन्हें उनमें कोई खोट,
पता नहीं कब तक खाते रहेंगे चोट दर चोट,
और छिनती रहेगी कमीज पतलून अंत में लंगोट !!
एक पाती सोनिया भौजी के नाम – बहुत ही सुन्दर करारा चुभता हुआ व्यंग्य . यह वह खुली पाती है जिसे हर कोई पढ़ – समझ सकता है , बस वही व्यक्ति नहीं पढ़ – समझ सकता जिसे संबोधित है. लेखक श्री सिन्हा को बहुत – बहुत बधाई
रवीन्द्र अग्निहोत्री
पाठकों ने अपनी चिन्ता जाहिर की है कि यह चिठ्ठी सोनिया भौजी को पहुंचेगी कैसे, पता तो लिखा ही नहीं है। आप सभी निश्चिन्त रहें – यह चिठ्ठी उनतक पहुंच भी गई होगी और डिग्गी के साथ उन्होंने पढ़ भी लिया होगा। आखिर सीबीआई किस मर्ज़ की दवा है?
सोनिया ताई तक ये रुचिकर चिठी पहुचेगा कैसे पता तो लिखा ही नहीं है
हृदय को छू लेने वाले मार्मिक व्यंग्यलेख हेतु सिन्हा जी को धन्यवाद !
कौनो सबदन में आप की प्रसंसा करें? छुपे रुस्तमवा बनारसवाले !
अच्छी चिट्ठी,अगर भौजी इस सलाह पर विचार करें तो तो उनका लेखक देवर निहाल हो जायेगा.पर अच्छी चिट्ठी,अगर भौजी इस सलाह पर विचार करें तो तो उनका लेखक देवर निहाल हो जायेगा.पर समस्या यह है कि इनकी सोनिया भौजी तक यह पत्र पंहुचे कैसे.समस्या यह है कि इनकी सोनिया भौजी तक यह पत्र पंहुचे कैसे.