ए सनम ! तेरी याद में अब रोती नहीं हूँ मै

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Tasmania


आर के रस्तोगी  

ए सनम ! तेरी याद में अब रोती नहीं हूँ मै
तेरे गम में अपनी आँखे भिगोती नहीं हूँ मै

ए पत्थर के सनम ! दिल को पत्थर बना लिया है मैंने 

Tasmania


जिसको माना था भगवान,उसको अब पूजती नहीं हूँ मै

बहाये थे जिन आँखों से आँसू,उनको बंद कर लिया है मैंने
अगर ख़ुदा भी आ जाये, उसके लिये भी खोलती नहीं हूँ मै

सोती नहीं थी जिसकी याद में,उन नैनो को समझा लिया है मैंने
ढूंढ ले कोई नया दिलवर,अब उनको खोजती नहीं हूँ मै

गमे-दर्द हद से गुजर चूका है,उसे दवा बना लिया है मैंने
इस गम के इलाज के लिये,किसी वैध हकीम को ढूँढती नहीं हूँ मै

किस आशिक के गम में ये हाल, बेहाल बना लिया है मैंने
लाख पूछे कोंई नाम उसका मुझ से,किसी को बताती नहीं हूँ मै

गमे-हालात देखकर,अब कुछ बयाँ कर दिया है “रस्तोगी” ने
पूछा सौ बार गमे-हालात सभी ने,किसी को बताती नहीं हूँ मै

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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