सुशील कुमार ‘ नवीन ‘
दिल्ली में कई दिनों से चल रही राजनीतिक दलों की भागदौड़ बुधवार मतदान के बाद समाप्त हो गई। 8 फरवरी शनिवार को नतीजे आएंगे। परिणाम में इस बार एमएसटी का पूरा प्रभाव दिखेगा। भाजपा एम फैक्टर (मोदी फैक्टर) से सत्ता में आने की उम्मीद बनाए हुए है तो आम आदमी पार्टी एस मतलब एसएसपी मॉडल (शिक्षा, स्वास्थ्य और पानी) और टी अर्थात् टीना (देयर इज नो अल्टरनेटिव) के दम पर सत्ता वापसी का दावा कर रही है। कांग्रेस के लिए सत्ता पर काबिज होने से पहले जीरो फैक्टर से उभरना सबसे बड़ी चुनौती है। परिणाम आने तक सबके द्वारा अपने-अपने हिसाब से गोटियां सेट की जायेंगी ताकि कुछ कमापेशी हो तो उसकी पूर्ति कर कुर्सी की लालसा पूरी की जा सके।
दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों के लिए इस बार 699 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। परिणाम किसके पक्ष में रहेंगे, इस बारे में कुछ भी कहना अभी उपयुक्त नहीं रहेगा। इस बार का चुनाव कुछ हटकर हुआ है। एक-दूसरे को नीचा दिखाने में किसी के भी द्वारा कमी नहीं छोड़ी गई है। फ्री की रेवड़ियां से मतदाताओं को लुभाने का प्रयास सबके द्वारा किया गया हैं। आम आदमी पार्टी जहां अपने कार्यों और टीना फैक्टर (देयर इज नो अल्टरनेटिव) और एसएसपी(शिक्षा, स्वास्थ्य और पानी)मॉडल से वापसी की उम्मीद में है, वहीं बीजेपी एम फैक्टर (मोदी फैक्टर) और यमुना मैया ( यमुना नदी) के सहारे शीशमहल, भ्रष्टाचार, यमुना सफाई, पेयजल आदि मुद्दों पर दिल्ली में अपना वनवास खत्म करना चाह रही है। कांग्रेस के लिए दिल्ली चुनाव डूबते को तिनके का सहारा की तरह है। राजनीति के वेंटीलेटर पर लेटी कांग्रेस के लिए दिल्ली का परिणाम किसी संजीवनी से कम नहीं होगा।
दिल्ली की राजनीति अपने आप में अलग है। यहां जो दिखता है वो कई बार होता नहीं। और जो होता है, वो अप्रत्याशित होता है। एक्जिट पोल पर यकीन करना बेमानी है। यही एक्जिट पोल(सर्वेक्षण) कई बार उम्मीदों से एक्जिट(बाहर) कर जाता है। एक बात तो इस बार तय है कि दिल्ली में इस बार जो होगा वो ऐतिहासिक होगा। आम आदमी ने साथ दिया तो आम आदमी पार्टी को चौथी बार सत्ता में आना तय है। इसके विपरीत हवा ने रुख बदला तो 27 वर्ष बाद भाजपा की लॉटरी निकल सकती है। कांग्रेस चुनाव में अपनी जीत का अलग ही एंगल देख रही है। आप और भाजपा की कड़ी टक्कर कांग्रेस को फायदा दिलाएगी।
दिल्ली चुनाव में सबसे ज्यादा जोर यदि कोई पार्टी लगा रही है तो वह है भारतीय जनता पार्टी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर भाजपा सरकार के महान धुरंधर दिन-रात एक किए हुए हैं। भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों समेत उनके सिपहसालारों की फौज द्वारा भी घर- घर संपर्क साधने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी गई है। केजरीवाल के यमुना में जहर के बयान के बाद तो भाजपा फुल फॉर्म में है। बीजेपी को उम्मीद है कि लोकसभा चुनाव में जितना वोट उसे मिला था अगर वही इस बार मिल गया तो आम आदमी पार्टी को सत्ता से बाहर करने का उनका सपना इस बार पक्का पूरा हो जायेगा।
पूर्व समय में तीन योजना लगातार सत्ता संभालने वाली कांग्रेस भी इस बार सत्ता वापसी की उम्मीद बनाए हुए है। बाकी दिल्ली के मतदाता पिछली दो योजना से उन्हें जीरो से ऊपर आने ही नहीं दे रहे। इस बार जिस तरह से कांग्रेस ने चुनाव लड़ा है, उससे इस बार कांग्रेस की उम्मीदों को पंख लग सकते हैं। भारत जोड़ो यात्रा से राहुल गांधी ने कांग्रेस को मजबूत करने में पूरी मेहनत की है। जिसका कांग्रेस को फायदा भी हुआ है। हरियाणा में तो कांग्रेस लगभग सत्ता में वापसी कर ही चुकी थी। बेबाक बोलों ने सारी हवा बदल दी। दिल्ली चुनाव में इस बात का पूरा ध्यान रखा जा रहा है कि हरियाणा की तरह दिल्ली में कोई लापरवाही न हो।
ठीक इनके विपरीत आम आदमी पार्टी इस बार का चुनाव अलग ही तरीके से लड़ रही है। विपक्ष द्वारा शराब घोटाला या भ्रष्टाचार आदि मुद्दे पर घेरे जाने का तोड़ निकाला हुआ है। आतिशी को सत्ता सौंप केजरीवाल ने यह मैसेज देने का काम किया है कि आम आदमी पार्टी सिर्फ केजरीवाल के भरोसे नहीं है। बड़े नेताओं की रैलियां और उनके जरिए बनाए गए नैरेटिव को भी केजरीवाल ने अपने ऊपर प्रभावी नहीं होने दिया। भाजपा और कांग्रेस के हमले पर केजरीवाल उनसे सीएम फेस का बार-बार सवाल उठा चटकारे लेने में कमी नहीं छोड़ रहे। टीना फैक्टर तो आम आदमी पार्टी के लिए हथियार से कम नहीं है। पार्टी नेता अपने प्रचार में इसे पूरा इस्तेमाल कर रहे हैं। न भाजपा और न ही कांग्रेस ने केजरीवाल के सामने बतौर मुख्यमंत्री उम्मीदवार किसी चेहरे को प्रोजेक्ट किया है। कुछ भी हो दिल्ली इस बार नया इतिहास लिखेगी। केजरीवाल चौथी बार सत्ता में आए तो यह भी एक रिकॉर्ड होगा कि कोई दल लगातार चौथी बार सत्ता में आए। भाजपा का जितना भी कम ऐतिहासिक नहीं होगा। 27 वर्ष बाद भाजपा सत्ता में वापसी करेंगी। कांग्रेस जीत गई तब भी इतिहास ही लिखा जाएगा। सत्ता में तो वापसी होगी साथ भी आने वाले अन्य चुनावों के लिए संजीवनी मिल जाएगी। परिणाम ईवीएम में बंद हो गया है। वास्तविक परिणाम तो 8 फरवरी को पता लगेगा। इतने अपनी-अपनी जीत के जयघोष लगते रहेंगे। यह पक्का तय है कि इस बार परिणाम अप्रत्याशित हो होगा।
लेखक;
सुशील कुमार ‘नवीन‘,