प्रवक्ता न्यूज़

अफजल को फांसी

आर. के. गुप्ता

afjalमौहम्मद अफजल को आखिरकार 2014 के लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस सरकार ने 09 फरवरी, 2013 को फांसी दे ही दी। उच्चतम न्यायालय ने 20 अक्टूबर, 2006 को अफजल को फांसी पर लटकाने की तारीख भी तय कर दी थी परन्तु लगभग 7 वर्ष तक कुछ कांग्रेसी नेताओं एवं जम्मू-कश्मीर की नेशनल कांफ्रेस तथा मुसिलम तुषिटकरण के दबाव में इस फांसी को यह कहकर टाला जाता रहा कि अगर अफजल को फांसी दी गर्इ तो देश में दंगे होने के आसार हैं परन्तु अब श्री नरेन्द्र मोदी की बढती लोकप्रियता, जनता में बढ़ती जागरुकता, कांग्रेस नेताओं द्वारा बनाया गया भगवा आतंकवाद, उसकी सरकार में हुए घोटालों, बढ़ती हुर्इ मंहगार्इ एवं अपराध, भारतीय सीमा में आकर भारतीय सैनिकों की पाकिस्तानी सेना द्वारा हत्या करना और उनका सिर काटकर अपने साथ ले जाना इसके अतिरिक्त कांग्रेस एक ऐसे कानून (साम्प्रदायिक हिंसा रोकथाम विधेयक-2011) को लाने कोशिश में है जिसमें यह प्रावधान किया गया है कि कहीं भी साम्प्रदायिक दंगा होता है तो उसके लिए केवल हिन्दू को ही दोषी माना जाये (अगर यह कानून लागू होता है तो आतंकवादियों द्वारा किये जाने वाले हजारों विस्फोटों से भी अधिक खतरनाक होगा।) आदि कर्इ कारणों से भारत की जनता में कांग्रेस के प्रति काफी आक्रोश है जिसके कारण कांग्रेस को अब 2014 में होने वाले लोकसभा चुनावों में जीतने के आसार कम होते नजर आ रहे है और कहीं उसके युवराज का प्रधानमंत्री बनने का सपना अधूरा न रह जाये इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस सरकार ने अपने आप को आतंकवाद के विरुद्ध सख्त दिखाने के लिए पहले कसाब और अब अफजल को फांसी दी जिससे बहुसंख्यक जनता का वोट उसे प्राप्त हो सके। कांग्रेस आतंकवाद के विरुद्ध कितनी सख्त है इसका पता इन बातों से चलता है-

1. 13 दिसम्बर, 2001 में हुए संसद हमले के बाद भाजपा नीत एनडीए सरकार आतंकवाद के विरुद्ध एक सख्त कानून पोटा जून 2002 में लार्इ जिसके कारण आतंकवादियों में डर का माहौल पैदा हो गया था परन्तु 2004 में आर्इ कांग्रेस सरकार ने पोटा को 17 अक्टूबर 2004 में निरस्त कर दिया जिसके कारण आतंकवादियों के हौसले काफी बढ़ गए।

2. इस पोटा के हटने के कारण आतंकवादियों का इतना साहस बढ़ा कि वह सीमा पार कर भारत की आर्थिक राजधानी मुम्बर्इ में 26 नवम्बर, 2008 से 29 नवम्बर, 2008 तीन दिनों तक खुलेआम खूनी खेल खेलते रहे परन्तु कांग्रेस के एक प्रमुख नेता दिगिवजय सिंह जनता का ध्यान इस ओर से बाटने के लिए भगवा आतंकवाद की बात कहते रहे ताकि इस इस्लामिक आतंकवाद वे विरूद्ध जनता भड़क न उठे।

3. पोटा कानून के हटने के बाद 2004 से आज तक न जाने कितने आतंकी हमले भारत में हुए और उनमें सैंकड़ों भारतीय नागरिक मारे गए परन्तु कहीं भी कांग्रेस की यूपीए सरकार आतंकियों के विरूद्ध सख्त नजर नहीं आर्इ।

मौहम्मद अफजल ने पकड़े जाने के बाद अपने वक्तव्य में कहा था कि यदि उसे दोबारा मौका मिला तो वह यह काम दोबारा करेगा। उच्चतम न्यायालय ने अपना फैसला 43 महीने के अन्दर ही दे दिया परन्तु सरकार को उसको पूरा करने में 91 महीने लगे वह भी कांगे्रस कोे फांसी मजबूरी में देनी पड़ी क्योंकि उसके पास इसके अलावा और कोर्इ रास्ता था ही नहीं।

अफजल को इतनी देर बाद फांसी देने के कारण कुछ समस्याएं पैदा हो गर्इ है जोकि उसे समय पर फांसी देने के कारण उत्पन्न नहीं होती। न्यूयार्क सिथत áूमन राइटस वाच की दक्षिण एशिया की निदेशक मीनाक्षी गांगुली ने यह सवाल उठाया है कि आखिर भारत सरकार ने मौहम्मद अफजल को अब फांसी क्यों दी? इस्लामाबाद पाकिस्तान में बैठा जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) का प्रमुख यासीन मलिक कहता है यह सिर्फ इसलिए हुआ है क्योंकि भारत में चुनाव होने वाले हैं और कांग्रेस सरकार बहुत से घोटालों में घिरी हुर्इ है। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला कहते हैं कि अफजल को फांसी दिए जाने कारण घाटी में अलगाव बढेगा।

मानवाधिकारवादियों ने कश्मीर में लाखों कश्मीरी पणिडतों को मारने तथा वहां से उन्हें भगाने वालों के विरूद्ध आज तक तो कोर्इ आवाज नहीं उठार्इ जबकि अगर कोर्इ आतंकवादी मारा जाता है तो यह लोग उसके मानवाधिकार के पक्ष में पूरे विश्व में आवाज उठाते है, क्या मानवाधिकावादी सिर्फ एक आंख से ही देखते है?

देश की जनता को कांग्रेस के इस दृषिटकोण के बारे में सोचना होगा।