हिमाचल ने कृषि विकास में देश को दिखाई राह

कृषि हिमाचल प्रदेश का प्रमुख व्यवसाय है। यह राज्य की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह 69 प्रतिशत कामकाजी आबादी को सीधा रोजगार मुहैया कराती है। कृषि और उससे संबंधित क्षेत्र से होने वाली आय प्रदेश के कुल घरेलूउत्पाद का 22.1 प्रतिशत है। कुल भौगोलिक क्षेत्र 55.673 लाख हेक्टेयर में से 9.79 लाख हेक्टेरयर भूमि के स्वामी 9.14 लाख किसान हैं।

मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल के शासन में हिमाचल प्रदेश में कृषि ने बहुत अधिक विकास किया है। हिमाचल प्रदेश ने कृषि एवं सम्बद्ध गतिविधियों को सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदान करते हुए में कुल योजना बजट का 12 प्रतिशत के लिए आबंटित किया है, जो देश में सर्वाधिक है। राज्य ने किसान-बागवान समृद्धि योजना, दूध गंगा योजना और कई अन्य महत्वाकांक्षी योजनाएं शुरू की हैं, जिनके सुखद परिणाम सामने आए हैं तथा एक प्रतिष्ठित एजेंसी द्वारा करवाए गए राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण में राज्य को सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए कृषि राज्य लीडरशिप पुरस्कार-2010 प्रदान किया गया है। और इस प्रगति का श्रेय मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल को जाता है.

प्रदेश के किसानों को हाल ही में समाप्त हुए वित्त वर्ष तक 3.75 लाख मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड जारी किए गए हैं। प्रदेश सरकार राज्य के सभी किसानों को यह कार्ड उपलब्ध करवाएगी। कृषि उत्पादन में विविधता लाने और जैविक खेती के प्रोत्साहन के लिए जापान अंतरराष्ट्रीय सहयोग एजेंसी की सहायता से राज्य में 323 करोड़ रुपये की परियोजना कार्यान्वित किए जाएँगे।

प्रदेश में मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने पायलट आधार पर एंटी हेलगन स्थापित की है, जो एशिया में अपनी तरह की पहली ओला रोधक प्रणाली है। प्रदेश के अन्य सेब एवं फल उत्पादक क्षेत्रों में भी यह प्रणाली स्थापित की जाएगी। कृषि उत्पादों के लिए बेहतर विपणन सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से विपणन अधोसंरचना के विकास पर भी विशेष ध्यान दिया गया है। प्रो. धूमल भौगोलिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के आधार पर छोटे राज्यों के पक्ष में हैं, ताकि लोगों को बेहतर सेवाएं प्रदान की जा सकें।

मुखयमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने हाल ही में राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ इजराईल में अपनाई जा रही कृषि तकनीक की जानकारी प्राप्त करने के लिए वहां का दौरा किया था, ताकि हिमाचल में भी कृषि उत्पादन को बढ़ावा दिया जा सके। मुखयमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल के निर्देशानुसार राज्य के कृषि सचिव रामसुभग सिंह ने इसी कड़ी में भारत में इजराईल के राजदूत मार्क सोफर के साथ 70 मिलियन यूएस डॉलर (373 करोड रुपये) की पंडित दीन दयाल किसान-बागवान समृद्धि योजना के कार्यान्वयन पर विस्तृत विचार-विमर्श किया। इस योजना के अंतर्गत 14.70 लाख वर्ग मीटर क्षेत्र पर पॉलीहाउस निर्मित करने का तथा 20 हजार हेक्टेयर क्षेत्र को लघु सिंचाई के तहत लाने का लक्ष्य रखा गया है, ताकि प्रदेश में कृषि उत्पादन को बढाया जा सके। इस परियोजना के कार्यान्वयन में इजराईल की दो कंपनियां नांदन तथा नेटाफिम भी राज्य सरकार को सहयोग दे रही हैं, जिससे परियोजना के उचित दिशा में कार्यान्वयन में सहायता मिली है। राज्य सरकार का मानना है कि इन्फर्टिगेशन तकनीक के माध्यम से और अच्छे परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं।

मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने किसानों की सक्रिय भागीदारी से जन अभियान बनाने का आह्वान किया। उन्होंने बताया कि प्रदेश की जलवायु और कृषि की उपलब्ध अधोसंरचना के आधार पर हिमाचल जैविक खेती में देश का अग्रणी राज्य बनने में सक्षम है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य के प्रति जागरूक समाज द्वारा अपने खान-पान में जैविक उत्पादों को अधिमान दिया जा रहा है जिससे ऐसे उत्पादों को बिक्री के लिए उपयुक्त बाजार उपलब्ध हो रहा है।

मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के अनुसार प्रदेश में विद्यमान पारम्परिक कृषि प्रणाली को अपनाना समय की मांग है ताकि उपभोक्ताओं को रसायन रहित कृषि के जैविक उत्पाद उपलब्ध हो सकें। गत कुछ दशकों से किसानों द्वारा रसायनिक खादों के इस्तेमाल से मिट्टी की गुणवत्ता में कमी आई है तथा रसायनयुक्त खाद्य उत्पादों से अनेकों स्वास्थ्य संबंधी जटिलताएं भी पैदा हो रही हैं। प्रदेश की जनसंख्या का अधिकांश भाग आजीविका के लिए कृषि और इससे संबंधित गतिविधियों पर निर्भर है और लगभग हर परिवार कृषि से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जुड़ा हुआ है। कृषि क्षेत्र में बेरोजगारी समाप्त करने की व्यापक क्षमता है और बड़ी संख्या में ग्रामीण युवाओं को स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध करवाने की संभावनाएं भी हैं।

उन्होने देश मे अच्छे कृषक पैदा करने के लिए भी योजना बनाई है जिसके तहत उन्होने राज्यल कृषि विभाग शिमला जिले में मशोबरा तथा मंडी जिले में सुंदरनगर में दो प्रशिक्षण केंद्र शुरू किए हैं। इसके अलावा, गांव, खंड तथा जिला स्तरर पर कृ‍षक प्रशिक्षण शिविर भी आयोजित किए जाते है। सरकार ने हिमाचल प्रदेश के किसानों की मदद के लिए पिछले एक वर्ष में जो कुछ किया है, वह वास्तव में सराहनीय है।

हिमाचल सरकार अब बड़े पैमाने पर वनरोपण की योजना बना रही है। किसानों को ”कार्बन क्रेडिट” नीति के माध्यम से प्रेरित किया जा रहा है जिसका उद्देश्य हिमाचल प्रदेश को ”कार्बन नेचुरल” राज्य बनाना है। यह पूरी तरह एक नई नीति है और सराहना करने के योग्य है। हिमाचल प्रदेश को पर्यावरण संरक्षण और हरित क्षेत्र परिवर्धन के लिए उच्चतम सम्मान ”हीरक राज्य पुरस्कार” भी मिला है।

2 COMMENTS

  1. अन्नपूर्णा जी की लेखनी को सलाम !
    इनको हिमाचल प्रदेश के बारे में अधिक जानकारी है . इनको बिहार की खबरों पर भी पकड है .सभी शुभकामनाओं के साथ .
    आलोक कुमार

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