आक्रांता शक; शिथियन का शासन


ई.पू. तीसरी शती में चारागाह सूखने से
मध्य एशिया की बदल गई थी स्थिति
मध्य एशियाई खानाबदोश कबिलाई जन
पूर्व की ओर करने लगा था वार पर वार,
चीनी साम्राज्य में मचा दिया हाहाकार!

लाचार चीनी सम्राट शी हुआंग टी को
बनवानी पड़ी थी महान चीन की दीवार,
पर वर्वर खानाबदोश जातियाँ क्यों कर
मानने लगी थी हार, पूर्व जाने का द्वार
बंद हुआ तो क्या?दक्षिण पश्चिम खुला
उस ओर उनकी होने लगी थी प्रसार!

सई, हूंगनू,बूसून,यूची ये जनजातियां जो
एक दूजे को खदेड़ने में ले रही थी रुचि!
ईसा पूर्व एक सौ पैंसठ में सई या शक;
सिथियन यूची कबिला जन के धक से,
छोड़ चले थे अपनी जमीं और हक को!

बैकिट्रया की ओर,जहाँ आजमा कर जोर
करने लगे राज-काज, किन्तु यूचियों की
हथेली की मिटी नहीं थी अबतक खाज,
उसने पुनः हमला किया शक भाग चले
पार्थिया,फिर वहां से पहुंचे थे हिन्दुस्तान!

हिन्द-ग्रीकों का राज्य हडप,शक कहलाने लगे
क्षत्रप,भारत में शक क्षत्रप हो गई दो शाखाएं-
उत्तरी क्षत्रप तक्ष-माथुरी; तक्षशिला, मथुरा के
पश्चिमी नासिक-उज्जैनी;नाशिक उज्जैन बसे!

प्रसिद्ध थे पश्चिमी क्षत्रप,जो ईसा पूर्व पहली शती
और ईस्वी सन् प्रथम शती के मध्य यूची जाति के
भय से नासिक-उज्जैन से दक्षिण की ओर खिसके!
नासिक शाखा के भूमक और नहपान थे बड़े महान,
कहलाकर छहरात क्षत्रप बढ़ गई थी उनकी शान!

शक संवत् एकतालिस से छियालीस या एक सौ
उन्नीस से एक सौ चौबीस ई. के बीच,नहपान था
काठियावाड़, दक्षिण गुजरात, पश्चिमी मालवा,
उतरी कोंकण और पूना के ईश,उज्जैन शाखा का
पहला स्वतंत्र शक शासक प्रसिद्ध चष्टन और
चष्टन के वंशज कहलाने लगे थे कार्दमक क्षत्रप!

दसमांतिक पौत्र यशोमांतिक पुत्र चष्टन ने
चष्टन वंश स्थापन करके एक सौ तीस ई.से
तीन सौ अठासी ई. तक किया था शासन,
चष्टन का बेटा था जयदामन और पौत्र था
प्रसिद्ध रुद्रदामन, पौत्र पितामह ने मिलकर
एक सौ तीस से एक सौ पचास ईस्वी.तक
प्रस्तुत किया द्विराज्य प्रणाली का उदाहरण!

रुद्रदामन था अति उदार,युद्ध क्षेत्र के सिवा
किया नहीं मनुज संहार,चन्द्रगुप्त मौर्य निर्मित
काठियावाड़ का सुदर्शन झील का जीर्णोधार
किया था रुद्रदामन ने, प्रजा पर बिना लगाए
नव कर भार,व्याकरण, राजनीति, तर्कशास्त्र
और संगीत का रुद्रदामन; रुद्रदामा पंडित था!

चाहे देखना हो तो देख लें उनकी संस्कृत लेख
जूनागढ़ अभिलेख में,वाशिष्टीपुत्र श्री शातकर्णी
“सातवाहन’ का दादा श्वसुर था यही रुद्रदामन,
सिन्ध, कच्छ, गुजरात, कोंकण, नर्मदा घाटी,
मालवा, काठियावाड़ पर रुद्रदामन का शासन!

इनके बाद पुत्र दामजद हुआ शासक नामजद,
वाशिष्टीपुत्र श्री शातकर्णी जिनका था जमाता,
पुनः पौत्र जीव दामन एक सौ अठहत्तर ई.से
फिर द्वितीय पुत्र रुद्र सिंह-1;दामजद भ्राता
एक सौ इक्यासी ई.से शक शासक की चली
लंबी पांती-रुद्रसेन,सिंह दामन, दामन सेन,
यशोदामन, विजयसेन,दामजद, श्रीविश्वसिंह,
मातृदामन दो सौ पंचानबे ईस्वी सन तक!

पर पाया नहीं कोई रुद्रदामन सी ख्याति!
अंतिम शाशक रुद्र सिंह तृतीय चन्द्रगुप्त
विक्रमादित्य से तीन सौ अठासी ईस्वी में
पराजित होकर हो गए राज्य से वंचित।
—विनय कुमार विनायक

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