अमल कुमार श्रीवास्तव……..की कविता

mutthiन छेड़ो चिंगारियों को आग लग जाएंगी

जलजले उठ जाएंगे सारी चमन जल जाएंगी

न समझो इन्सानियत को हमारे तुम बेकारगी

जो खड़े हो गए भारत मां के सच्चे सपूत तो आतंकियों तुम्हारी अस्तित्व ही मिट जाएंगी।…

3 COMMENTS

  1. अमल जी

    आप कविता भी लिखते हैं , यह जानकारी नहीं थी ।
    उत्तम कविता है ।

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