नमोनियां

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-बीनू भटनागर-
kejri

बाज़ार में एक नई दवा आई है ‘Modicin’, यह B.J Pharma का उत्पाद है। कंपनी के CEO का दावा है कि इसे खाने से कोई भी रोग ठीक हो जाता है। विश्वस्त सूत्रों से पता चला है कि यह एक प्रकार का Steroid है, इससे तुरन्त कुछ लाभ दिख सकता है, पर नुकसान होने की भी संभावना है, इसके सेवन से कुछ लोगों को ‘Namonia’ की बीमारी होने की ख़बर मिली है। एक अनुमान के अनुसार, देश की 15% से 20% जनसंख्या में इस बीमारी के तीव्र लक्षण पाये गये हैं। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति बेचैन रहता है, उग्र हो जाता है, आलोचना सहन नहीं कर पाता है। बेवजह नमो-नमो का उच्चारण करता है, या नमो-नमो यहां-वहां लिखने भी लगता है। गंभीर स्थिति होने पर हिंसक होकर पथराव भी कर सकता है।
अब तक इस बीमारी का एक ही इलाज था Cong’s Pharma द्वारा बनाई गई दवा Congromycin परन्तु बहुत सेवन से यह दवाई निष्क्रिय हो गई है और ‘Namonia’ का Bacteria बहुत मज़बूत।
हाल ही में की एक नई दवा Kejarimycin बाज़ार में आई है, जो पूरी तरह सुरक्षित बताई जाती है जो App Pharma की है। पांच दिन सुबह शाम एक-एक 5 mg. की गोली लेने से ‘Namonia’ ठीक हो जाता है। 10 गोलियों की एक strip का मूल्य मात्र 10 रु. है।

11 COMMENTS

  1. केजरीमाइसन नहीं केजरीसाइड कहें तो ज्यादा उचित होगा. इस विष को खाने से लोगो ने इनकार कर दिया है. कोई भी दवा तैयार होने में दशको लगते हैं. दो-चार दिनों में तो विष हीं पैक कर के पेश किया जा सकता है…. नमोमाइसीन से लोगो की आशाए बड़ी है. लेकिन हमें मानना होगा की देश का मर्ज बेहद पुराना है बड़ा जटिल है, इन्तजार कीजिए, विश्वास रखीए, धैर्य रखें, लाभ अवश्य होगा.

  2. बहुत सारे लोग नमोनीया के प्रभाव से ग्स्त है और वो मोदीसिन स्टेरोयड ले रहे हैं जब पूरे देश की जनता को लाभ दिख रहें हैं तो हम भी अच्छे दिनो का इंतज़ार करेंगे……., इस समय केजरीमाइसिन के लाभ बताने से कोई लाभ नहीं। समय पर सब छोड देते हैं………

  3. फिरंगी द्वारा भारतीय उप-महाद्वीप छेत्र में १८८५ में स्थापित Cong’s Pharma ने सदियों से दासत्व से पीढित सरलमति भारतीयों में तथाकथित स्वतंत्रता के तुरंत उपरान्त उभरी व्याकुलता व उत्तेजना को शांत करने हेतु ‘Congromycin’ का निर्माण किया था जिसके व्यसनकारी प्रभाव पीढ़ी दर पीढ़ी भारतीय जन-समुदाय में लगभग एक प्रतिशत उत्पादक और शेष निन्यानवे प्रतिशत उपभोक्ता जैसे दो वर्गों को ले दूबे हैं| जब कि उत्पादक अभियुक्त बन लोक न्यायलय के कटघरे में खड़ा है, इस विस्तृत उपभोक्ता वर्ग में स्वयं सेवन करते हुए शहरों कस्बों में रहते पढ़े लिखे भारतीय ‘Congromycin’ का वितरण का काम भी स्वेच्छापूर्ण करते हैं| आज गंदगी गरीबी और उस पर ताबड-तोड़ मंहगाई का सीधा संबंध सर्वव्यापक भ्रष्टाचार मध्यमता व अनैतिकता से जोड़ते हुए सामाजिक विशेषज्ञों ने ‘Congromycin’ को इस दयनीय स्थिति का एकमात्र कारण निश्चित किया है| उनका मानना है कि ‘Congromycin’ कोई दवा नहीं बल्कि अफ़ीम है| इसका बहुत सेवन करने से उपभोक्ता स्वयं निष्क्रिय हो गया है| उसकी सोचने विचारने की क्षमता क्षीण हो गई है| हाल ही में ‘Congromycin’ व स्वदेशीय विधि के मिश्रण पर आधारित एक नई दवा ‘Kejarimycin’ भ्रष्टाचार विरोधी लहर पर सवार बाज़ार में आने के उनचास दिनों बाद उसके निर्माता App Pharma द्वारा प्रत्याहार कर ली गई है| दवा की पैकिंग देख कर मैं स्वयं निस्तब्ध रह गया था| लेकिन बीनू भटनागर जी और रमश सिंह जी जैसे प्रसंशक ‘Kejarimycin’ की पैकिंग को हाथ में थामे न जाने और कितने दिन दौड़ लगाते रहेंगे|

    गुजरात प्रांत में एक दशक की कठोर मूल्यांकन प्रक्रिया के पश्चात B.J. Pharma की नई दवा ‘Modicin’ भारत में प्रस्तुत की गई है| कई रूप से ‘Modicin’ और ‘Kejarimycin’ में अद्भुत समानता देखने को मिलती है| दोनों स्वदेशी हैं| आज ‘Congromycin’ के विष से ग्रसित एक अरब से अधिक भारतीयों के ईलाज के लिए B.J. Pharma के साथ मिल App Pharma भी सहयोग दे सकता है| हर्षोउल्लास के वातावरण में ढोल बाजे से नमो नमो की प्रतिध्वनि तो आती है लेकिन यदि यह ‘Namonia’ रोग है तो मैं चाहूँगा कि ‘Namonia’ जैसे चमत्कार से कोई वंचित न रह जाये| बीनू भटनागर जी स्वयं अपने लेख में नमो नमो लिखने मात्र से ही इस ‘Namonia’ से अछूती न रह पाएंगी!

  4. लगता है की बीनू भटनागर को एक्वायर्ड इम्यून डेफिसियेंसी सिंड्रोम हो गया है तथा उन्हें डाक्टर ने केजरीमैसीन खा कर आत्म ह्त्या करने की सल्लाह दी है. कोंग्रोमाइसीन ही सबसे अच्छी दवा है.

  5. •बीनू भटनागर on नमोनियां
    •Shekhar on अंतिम दौर का चुनाव और शाह को क्लीन-चिट
    •सत्यार्थी on नमोनियां

    उपर्युक्त टिप्पणियां पढ़ने हेतु प्राप्य नहीं हैं| सूचि में होते कई बार स्वयं मेरी टिप्पणियां कथित लेख के साथ सलग्न नहीं हो पाईं हैं| यदि यह किसी कंप्यूटर ग्लिच के कारण है तो इसे कृपया ठीक किया जाये|

  6. आदर्निय शिवेन्द्र सिन्घ जी
    आप् ने kejarimycin के side effects का उत्तम विश्लेशन दिया .मेरा अनुरोध है जो विनाशकारी दवा congromycin देश के करोदोन व्यक्ति पिच्ह्ले दस वर्शोन से खाकर नाना व्यधियोन से ग्रस्त हो चुके हैन उस के side effects का भी कुच्ह विवरन पाथकोन को चेताने हेतु प्रस्तुत कर्ने की क्रिपा करेन

    • हा हा हा सत्यार्थी भाई जी, वैसे तो ये मेरे अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है, लेकिन फ़िर भी में फटे मेँ टांग अड़ाने की कोशिश करता हूँ। Cong’s Pharma द्वारा बनाई गई दवा Congromycin के सेवन से मनुष्य तपेदिक की सी स्थिति का शिकार हो जाता है। उसकी सेहत दिन प्रति दिन खराब होती चली जाती है। स्थिति मरणासन्न की सी होती है। ना ही वो जी सकता है ना ही मर सकता है। आप देखिये पिछले दस सालों में हम लोगों की यही स्थिति है। इससे ज्यादा और कुछ नहीं लिखा जा सकता है Congromycin के बारे में। शेष फिर कभी.…………………

      सादर,

  7. केजरीमाइसीन को अमेरिकी कम्पनी फोर्ड-अलेक्जेंडर ने बजार में उतारा है. इसे खाने से टिश्यु तेजी से बढ़ते है लेकिन वे स्वस्थ नहीं कैंसरजन्य होते है. भारत के चिकित्सको ने इस औषधी को पुरी तरह नकार दिया है. फिलहाल नमोनिया लाइलाज है. इससे ग्रस्त लोग में देशभक्ति की भावना भर जाती है. ज्यादा से ज्यादा लोग इस बीमारी से ग्रस्त होना चाहते है.

    • फिलहाल नमोनिया लाइलाज है. इससे ग्रस्त लोग में देशभक्ति की भावना भर जाती है. ज्यादा से ज्यादा लोग इस बीमारी से ग्रस्त होना चाहते है.

      ​हा हा हा हिमवंत जी बहुत सुंदर विश्लेषण। भगवान करे सभी को नमोनिया हो जाय। ​


      सादर,

  8. हा हा हा सुन्दर व्यंग, बरबस हंसी आ गई। लेकिन Kejarimycin के साइड इफ़ेक्ट तो आपने बताए ही नहीं कि ज्यादा समय इसको खाने बाद आम आदमी गिरगिट की तरह रंग बदलने लगता हैं, अपने लोगों को हरिश्चंद्र होने का सर्टिफिकेट देने लगता है, चोर चोर चिल्लाता हैँ, मुक़दमा करने को बोलने पर सबूत मांगने लगता हैं, बच्चोँ की झूठी कसमें खाने लगता है. ४९ दिन में काम छोड़ कर भागने लगता है। घूम घूम कर अपने ही लोगोँ से प्रायोजित थप्पड़ खाने लगता है, लक्ष्य बदल दिग्भ्रमित हो जाता हैं, इत्यादि इत्यादि। शार्ट में साइड इफेक्ट के इतने लक्षण तो आ ही जाते हैं।


    सादर,

    • शिवेन्द्र मोहन जी, Kejarimycin का कोई side effect नहीं होता यह दवाई बाज़ार मे लाने से पहले बहुत research की गई है। कुछ Pharma companies ने ऐसी अफ़वाहें फैलाई हैं कि इसके ख़तरनाक side effect हैं क्योंकि उनके business को इस दवा के आने से घाटा हो रहा है।

      • हा हा हा…….. बीनू बहन फ़ोर्ड फॉर्मा की Kejarimycin को जुमा जुमा दो साल ही तो हुए हैं। अंग्रेजी दवाई है तो साइड इफ़ेक्ट तो होना ही है। आपने देखा भी होगा दवाई लेने के साथ ही फायदा इतना हुआ की दिल्ली की सल्तनत मिल गई और साइड इफ़ेक्ट ये हुआ की राजा धरने पे बैठ गया साथ ही साथ, ४९ दिन में ही भाग खड़ा हुआ। अभी इस दवाई पे और रिसर्च की आवश्यकता है बहन।


        सादर,

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