ख्वाहिश

ख्वाहिश बस इतनी सी है इस दिल में
देश के लिए मिट पाऊँ
सजाने को मातृभूमि के रक्षक की राहें
पुष्प बनकर बिछ जाऊँ।
सर्वस्व बलिदान जन्मभूमि के लिए करके
इस जीवन का मोल चुकाऊँ
कर गुजरूँ कुछ ऐसा कि चहुंओर अपनी
भारत माँ का गौरव बढ़ाऊँ।
संभव नहीं देश की माटी का ऋण कभी भी
किसी तरह चुका पाऊँ
पर किसी मोड़ पर तो अपनी जीवनधारा
राष्ट्रहित के लिए बहाऊँ।
जन्मे थे जिसकी मिट्टी में अनेक शूरवीर
उस धरा की विजय-पताका फहराऊँ
अनमोल बहुत है इस पावन देश की माटी
युवाओं को इसका महत्त्व समझाऊँ।
शस्य श्यामलां इस धरा पर देशभक्ति के
सुगंधित पुष्प खिलाऊँ।
प्रण यही है कि अमर वीरों की शहादत को
कभी किसी क्षण न बिसराऊँ।
ख्वाहिश बस इतनी सी है इस दिल में
देश के लिए मिट पाऊँ
सजाने को मातृभूमि के रक्षक की राहें
पुष्प बनकर बिछ जाऊँ।
लक्ष्मी अग्रवाल

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here