कविता
मेरे शहर की सड़कें
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शुभांगनी सूर्यवंशी मेरे शहर की सड़कें,जहां निडरता से घूमना मेरा ख्वाब है,जुगनू की जगमगाहट अब काफ़ी नहीं,सड़कों पर रोशनी के खंभों का इंतजार है,खुली राहें तो पहचानते हैं सभी,लेकिन जहां मैं कई बार भटकी,उन सुनसान गलियों से अभी तक अनजान हैं,भीड़ भरी बस में अनचाहे छू लेना,सिटी बजाकर शब्दों से चोट देना,हॉर्न के शोर से […]
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