खेत-खलिहान जन-जागरण समाज सार्थक पहल शुद्ध पियो शुद्ध जियो July 25, 2017 | Leave a Comment सरस्वती अग्रवाल “शद्ध पियो- शुद्ध जियो” ये लाईन किसी उत्पाद के विज्ञापन की नही बल्कि ये वाक्य है उत्तराखण्ड के राज्य जनपद चमोली के गडोरा गांव के 38 वर्षिय निवासी लक्ष्मण सिंह का। जो फलो का जूस बेचकर परिवार चला रहे हैं। इन्होने 12वीं तक पढ़ाई की है। 3 बेटियों- एक बेटे तथा पत्नी को मिलाकर परिवार […] Read more » फल प्रसंस्करण ट्रेड
समाज सार्थक पहल बीड़ी ही बना जीने का सहारा। July 18, 2017 | 2 Comments on बीड़ी ही बना जीने का सहारा। निकहत प्रवीन बड़ा बेटा उसके बगल में बैठा था और छोटे बेटे को गोद में लिए, सिर झुकाए वो लगातार बीड़ी बनाए जा रही थी। आप कब से इस काम को कर रही हैं? और कोई काम क्यों नही करती? कई बार पूछने पर उसने डबडबाती आंखो और लड़खड़ाती जुबान से जवाब दिया “बचपन से”। ये कहानी है बिहार […] Read more » बीड़ी
समाज सार्थक पहल इन्ही हाथों से तकदीर बना लेंगे July 12, 2017 | Leave a Comment मोहम्मद अनीस उर रहमान खान असफल और मेहनत से परहेज़ करने वाले लोगों के मुंह से सामान्यता: यह वाक्य सुना जाता है कि “भाग्य में ही लिखा था तो क्या करें”। लेकिन समय बदल रहा है और यह वाक्य भी व्यर्थ होता नजर आता है क्योंकि अब लोगों ने अपनी किस्मत पर कम और मेहनत पर अधिक भरोसा करना […] Read more » तकदीर
समाज पर्वतीय किसानों की दयनीय हालत June 29, 2017 | Leave a Comment एक अन्य स्थानीय किसान उपयुक्त बातों का समर्थन करते हुए कहते है की“ इस प्रथा ने वास्तव में किसान को एक लत लगा दी है, की वह खुद को आत्मनिर्भर नहीं बना पा रहा है । अपने उत्पाद को मंडी में बेचने और ग्रेडिंग करने की जानकारी न होने के कारण किसान अपने उत्पाद को वह कीमत नहीं दिला पाता जो वास्तव में इसे मिलनी चाहिए। हम अपने उत्पादन को उचित मूल्य न मिलने के कारण पेड़ों में ही गलने को छोड़ देते है, क्योंकि अगर वह उसे मंडी भेजता है तो फलों की कीमत तो मिलनी नहीं है, किराया अलग से बोझ बनेगा। Read more » Featured पर्वतीय किसानों की दयनीय हालत
समाज सार्थक पहल बेटी ने बदला परिवार का जीवन June 24, 2017 | Leave a Comment पवन वैष्णव किसानों का देश कहा जाने वाला भारत, जहाँ देश का अन्नदाता आज खुद अन्न को तरस रहा है और बदहाल जीवन जी रहा है। बीते कुछ दिनों में किसानों की आत्महत्या के बहुत से मामले सामने आए हैं। किसानों की आत्महत्या की अहम वजह उनका बढ़ता कर्ज़, गरीबी और भुखमरी है। एक ओर […] Read more »
महिला-जगत विविधा आत्मनिर्भर बन रही हैं झारखंड की महिला किसान June 21, 2017 | Leave a Comment कृषि सलाहकार बलदेव कुमार हेम्ब्रम बताते हैं "अब तक सैकड़ों किसानों को उन्होंने बागवानी, मछली पालन के साथ अच्छी कृषि कौशल भी सिखाए हैं " वो आगे कहते हैं कि "मसलिया प्रखंड के राम खोड़ि, गुआसोल एंव सीता पहाड़ी महिला की किसान आत्मनिर्भर हो चुकी हैं। आज ग्रामीण गरीबी दूर करने में समुदायों की बड़ी भूमिका है। Read more » झारखंड झारखंड की महिला किसान
समाज शराबबंदी से बदलता महिलाओं का जीवन June 14, 2017 / June 14, 2017 | Leave a Comment जगीना जांगड़े बिहार की ही तर्ज पर कुछ समय पहले छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राज्य में शराबबंदी लागु करने का निश्चय किया गया। इसका असर छत्तीसगढ़ के कई गांवो में दिखने लगा है। जिला जांजगीर चांपा का कोसिर गांव इन्ही गांव में से एक है। जहां कुछ समय पहले तक कई परिवार शराब बंदी के कारण […] Read more » Featured liquor ban शराबबंदी
पर्यावरण समाज लद्दाख के वातावरण को बचाने का अनोखा प्रयास June 12, 2017 | Leave a Comment स्थानीय लोगो के माल मवेशी पर हिंसक हमलों के कारण लोगो का तेंदुए पर गुस्सा बहुत अधिक था, ऐसे में क्षेत्र में विभिन्न पशुओं के नस्लों की रक्षा करना महत्वपूर्ण था। रात के समय पशुओं को रखने की जगह चारो ओर से तो सुरक्षित थी परंतु उपर से खुली होती थी। कारणवश स्नो लेपर्ड रात के समय में जानवरों पर हमला कर देता था और लोगो औरस्नोलेपर्ड के बीच संघर्ष का एक वातारण निरंतर रुप से बढ़ता ही जा रहा था। Read more » लद्दाख स्नो लेपर्ड
परिचर्चा समाज सार्थक पहल पर्यावरण से छेड़छाड़ के बिना ही मिलने लगा भरपूर पानी June 5, 2017 | Leave a Comment “जब मैं छोटा था बहुत बारिश और बर्फ होती थी। मई के अंत तक पहाड़ बिल्कुल सफेद रहते थे। लेकिन अब बर्फ बहुत ही कम हो गए हैं। सफेद की जगह हरे नजर आते हैं। क्योंकि बारिश ज्यादा होने लगी है”। ये वाक्य है लद्दाख के फ्यांग गांव में रहने वाले 80 वर्षीय टुंडुप वांगाईल का। इसी गांव के 51 वर्षीय रींचेन वांगड़ूज़ बताते हैं कि “साल दर साल वाहनो से निकलने वाले धुंए के कारण वायु प्रदूषण बढ़ रहा है। और ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे है”। Read more » पर्यावरण पर्यावरण से छेड़छाड़ के बिना ही मिलने लगा भरपूर पानी
समाज शिक्षा अधिकार है तो मिलता क्यों नही ? May 10, 2017 | Leave a Comment समाजसेवी शब्बीर अहमद कहते हैं " हमें गांव में बसने की सरे आम सजा दी जा रही है। जिससे यह साबित हो रहा है कि शिक्षा भी केवल अमीर लोगों की जागीर बन चुकी है।गरीबों के बच्चे अमीरों की नौकरी के लिए ही इस्तेमाल किए जाते हैं और आगे भी किए जाते रहेंगे। नेता चुनाव के दौरान उच्च अधिकारियों के सामने इन गरीबों को ख्वाब दिखा कर उनका शोषण करते हैं। जिससे साफ जाहिर होता है कि हम लोकतांत्रिक भारत में नहीं रहते । आज के विकसित दौर में भी मोरी अड़ाई के बच्चे खुले आसमान तले शिक्षा लेने को मजबूर हैं।मिडिल स्कूलकी अधूरी बिल्डिंग के निर्माण को पूरा होना चाहिए ताकि कम से कम धूप और बारिश में भी उनकी पढ़ाई जारी रह सके "। Read more » Featured अधिकार जम्मू का सीमावर्ती जिला पुंछ शिक्षा शिक्षा अधिकार है
विविधा ताकि अगली पीढ़ी जीवित रह सके। April 19, 2017 | Leave a Comment 22 अप्रैल 1970 से इस दिन की शुरुआत हुई। तब से पूरा विश्व इस दिन को बड़ी गंभीरता से मनाता है। जगह जगह पर वृक्षारोपण करना, स्कूल-कॉलेज के विद्धाथिर्यों द्वारा पर्यावरणीय मुद्दों पर वाद-विवाद प्रतियोगिता में भाग लेना, सेमिनार का आयोजन करना, सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा नुक्कड़ नाटक के जरिये पर्यावरण की रक्षा हेतू लोगो को प्रोत्साहित करना, प्लास्टिक तथा कीटनाशक के दुष्प्रभाव के प्रति लोगो को जागरुक करना इत्यादि इस दिन के क्रियाकलापों में से हैं। Read more » पीढ़ी
विविधा लद्दाख के कचरा प्रबंधन में महिलाओं की भूमिका April 17, 2017 / April 17, 2017 | Leave a Comment इस बारे में 47 वर्षीय गृहिणी जेरिंग डोल्मा जो अमा सोग्स्पा की सदस्य हैं उन्होंने बताया कि “वे कचरे को अलग किए बिना ही इकट्ठा करती हैं और जलाती हैं। क्या वह स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों पर कचरे को अंधाधुंध जलाने के प्रभावों को जानती हैं? पूछने पर उन्होने कहा 'नहीं'। वह वास्तव में यह जानकर अचरज में थी कि प्लास्टिक जलाने पर खतरनाक रासायनिक पदार्थों का उत्सर्जन होता है। Read more » लद्दाख लद्दाख के कचरा प्रबंधन