लेख “अब क्या होगा” January 5, 2022 / January 5, 2022 | Leave a Comment राजधानी में बरस भर से ज्यादा चला खेती -किसानी के नाम वाला आंदोलन खत्म हुआ तो तंबू -कनात उखड़ने लगे। सड़क खुल गयी तो आस-पास गांव वालों ने चैन की सांस ली । मगर कुछ लोगों की सांस उखड़ने भी लगी थी । नौ बरस का छोटू और चालीस बरस का लल्लन खासे गमजदा थे […] Read more » अब क्या होगा
व्यंग्य गुटखा ब्वॉय : बोलो जुबाँ केसरी December 27, 2021 / December 27, 2021 | Leave a Comment ‘कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे जाने कैसे लोग वो होंगे जो उसको भाते होंगे “ जी हाँ उसको गुटखा बहुत भाता था ,वो गुटखे के बिना न तो रह सकता था और न गुटखे के बिना वो कहीं जा सकता था। इसलिये अपने गर्व ,अपने ब्रांड को लेकर वो क्रिकेट के हरे […] Read more » Bolo Jubaan Kesari Gutkha Boy गुटखा ब्वॉय बोलो जुबाँ केसरी
व्यंग्य अंधेर नगरी प्लेब्वॉय राजा October 12, 2021 / October 12, 2021 | Leave a Comment कहते हैं कि अगर आप ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी से अपनी तालीम पूरी कर लें तो दुनिया भर की सबसे टॉप पोस्ट्स के दरवाजे आपके लिए खुल जाते हैं। तमाम मुल्कों के सदर ऑक्सफ़ोर्ड के ही पढ़े होते हैं। ऑक्सफ़ोर्ड भी अपनी इस विरासत पर गर्व करता रहा है ,लेकिन पाकिस्तानी सदर इमरान खान के बयानों को […] Read more »
व्यंग्य बार्टर सिस्टम September 14, 2021 / September 14, 2021 | Leave a Comment बरसों पहले नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने एक नारा दिया था “तुम मुझे खून दो ,मैं तुम्हें आजादी दूंगा “। अच्छी पहल थी देश में इस नारे को आज भी बहुत इज्जत दी जाती है ।लोग नेता जी के एक आह्वान पर अपना घर -बार त्याग कर अपना जीवन दांव पर लगाकर आजादी हासिल करने […] Read more » बार्टर सिस्टम
कहानी ब्रांड न्यू June 24, 2021 / June 24, 2021 | Leave a Comment उसने दिहाड़ी के मजदूर रखे थे ,कुल जमा तीन थे , एक रेकी करता था ,दो काम करते थे ।इसके एवज में शाम को तीनों को दिहाड़ी मिला करती थी । शाम को कलेक्शन जमा होता था । नग गिने जाते थे, साबुत पीस आगे भेजे जाते थे , उन्हें धुलकर,प्रेस करके ,फिर नई मोहर […] Read more » brand new kafan ke saydagar
कहानी आपदा में अवसर May 13, 2021 / May 13, 2021 | Leave a Comment वो एक बड़े अखबार में काम करता था । लेकिन रहता छोटे से कस्बेनुमा शहर में था। कहने को पत्रकार था ,मगर बिल्कुल वन मैन शो था ।इश्तहार, खबर , वितरण , कम्पोजिंग सब कुछ उसका ही काम था । एक छोटे से शहर तुलसीपुर में वो रहता था । जयंत की नौकरी लगभग साल […] Read more » आपदा में अवसर
व्यंग्य सैंया भये कोतवाल May 4, 2021 / May 4, 2021 | Leave a Comment “हर आम -ओ- खास को इत्तला दी जाती है कि फेसबुक और व्हाट्सएप्प ग्रुप की महारानी हवाखोरी के लिये नैनीताल गयी हैं ,उनकी रियाया जो कि इल्म की भूखी है उसकी जेहनी खुराक के लिए जनाब कालीन कर्मा और मोहतरमा ओमनी शर्मा को वजीर घोषित किया जाता है ,मोहतरमा ओमनी शर्मा खरीद -बिक्री का हिसाब […] Read more » सैंया भये कोतवाल
व्यंग्य “खेला होबे “ April 11, 2021 / April 11, 2021 | Leave a Comment पूर्वी भारत से हमारे राम जय बाबू पधारे । मैंने उनको रोसगुल्ला देकर कहा- “राम राम राम जय बाबू “।जय राम बाबू चिहुंक उठे ,पसीना -पसीना हो उठे और बोले -“शत्रु से मैं खुद निबटना जनता हूँमित्र से पर ,देव!तुम रक्षा करो ” कविवर दिनकर ने ये लाइनें तुम्हारे जैसे मित्र-शत्रु के लिये ही कहीं होंगी। सही बात […] Read more » khela hobe
व्यंग्य कुविता में कविता March 30, 2021 / March 30, 2021 | Leave a Comment “जुड़ती है सड़क एक सड़क से बासी रोटी ने महका रखा है घर को मैं कौन,निश्चित मैं मौन हूँ टूटी हैं बेड़ियां ,लड़कर थकी नहीं,सड़क का कूड़ा , समय से लड़ती कूचीदिमाग का दही बनाती है कविता “ जी नहीं अंतिम लाइन कोई स्टेटमेंट नहीं है ,अलबत्ता कविता का ही हिस्सा है ।आजकल कुछ कविताएं […] Read more » कुविता में कविता
व्यंग्य “कबिरा खड़ा बाजार में “ March 14, 2021 / March 14, 2021 | Leave a Comment इधर अकादमी पुरस्कारों की घोषणा हुई उधर सिद्धवाणी का उद्घघोष शुरू हो गया । वैसे सिद्धवाणी जो खुद को कबीरवाणी भी कहती रही है कि खासियत ये है कि इसकी तुलना आप क्रिकेटर -कम -नेता नवजोत सिंह सिद्धू के स्वागत भाषणों से भी कर सकते हैं जिसका कंटेंट वही रहता है तारीफ चालीसा का बस […] Read more »
व्यंग्य शाह का चमचा October 28, 2020 / October 28, 2020 | Leave a Comment बने है शाह का चमचा,फिरे है इतरातावरना आगरे में ग़ालिब की हस्ती क्या है “मशहूर शायर मिर्जा गालिब ने जब ये फरमाया था तब बादशाह की उनपे नूरे नजर थी ,लेकिन वक्त ने ऐसी करवट बदली कि मिर्जा गालिब फकीर हो गए ।उन्होंने अंग्रेज़ राजा को अर्जी लगाई कि शाही खजाने से उनको नियामतें अता […] Read more » shah ka chamcha शाह का चमचा
मनोरंजन व्यंग्य सिनेमा बावफ़ा है August 30, 2020 / August 30, 2020 | Leave a Comment “अक्ल को तन्कीद से फुर्सत नहीं इश्क पर आमाल की बुनियाद रख” हाल ही में एक फ़िल्म आयी है चमनबहार जिसमें नायक अपनी जीतोड़ मेहनत सी की कमायी गयी अल्प पूंजी पर अपने मन के उदगार लिखते हुए लिखते हुए दस -दस के नोटों पर अपनी प्रेमिका के प्रति अपनी भड़ास निकालते हुए लिखता है […] Read more » बावफ़ा है बिनोद बावफ़ा है