चिंतन सफलता का संकेत हैं अनपेक्षित विपदाएं June 8, 2015 | Leave a Comment -डॉ. दीपक आचार्य- समस्याओं का आना और जाना हर प्राणी के जीवन का वह अपरिहार्य शाश्वत क्रम है जिसके बिना जिन्दगी अधूरी ही रहती है। कोई भी इंसान यह नहीं कह सकता कि उसके जीवन में कोई समस्या कभी नहीं रही। यों कहें कि जिन्दगी समस्याओं का पर्याय है तो भी अनुचित नहीं होगा। हर […] Read more » Featured विपदा सफलता सफलता का संकेत हैं अनपेक्षित विपदाएं
कला-संस्कृति खोने लगे हैं मूल्य और संस्कार June 6, 2015 | 1 Comment on खोने लगे हैं मूल्य और संस्कार -डॉ. दीपक आचार्य- जब तक मूल्यों का दबदबा था तब तक सभी प्रकार की अच्छाइयों का मूल्य था। जब से मूल्यहीनता का दौर आरंभ हुआ है सभी प्रकार के मूल्यों में गिरावट आयी है। मूल्यों में जब एक बार गिरावट आ जाती है तब यकायक इसका पारा ऊपर नहीं चढ़ पाता। यह कोई सेंसेक्स […] Read more » Featured खोने लगे हैं मूल्य और संस्कार जिंदगी जीवन संस्कार
पर्यावरण पर्यावरण संरक्षणः चिन्ता नहीं चिंतन करें June 5, 2015 / June 5, 2015 | Leave a Comment -डॉ. दीपक आचार्य- आज विश्व पर्यावरण दिवस पर सभी स्थानों पर पर्यावरण के संरक्षण-संवर्धन की धूम है। कार्यक्रमों के आयोजन से लेकर भाषणों तक में पर्यावरण ही पर्यावरण के लिए चिन्ता जाहिर की जा रही है। खूब सारे लोग बरसों से पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन की रट लगाए हुए हैं, आतिथ्य पाकर सम्मान, अभिनंदन और […] Read more » Featured पर्यावरण पर्यावरण संरक्षणः चिन्ता नहीं चिंतन करें
चिंतन दिल और दिमाग में है सभी बीमारियों की जड़ June 3, 2015 / June 3, 2015 | Leave a Comment -डॉ. दीपक आचार्य- इस विषय पर गंभीरता से सोचने की आवश्यकता है कि बीमारियों के आदि कारण क्या हैं और वे क्यों होती हैं। शरीर में स्थूल रूप में जो भी अच्छी-बुरी प्रतिक्रियाएं होती हैं उनका मूल कारण हमारी सोच ही है। जैसी हमारी सोच होगी वैसी ही शरीर के अंग-उपांग अपनी प्रतिक्रिया करेंगे और […] Read more » Featured दिल और दिमाग में है सभी बीमारियों की जड़ बीमारियों की जड़ सोच
चिंतन आत्मबंधन तोड़ें, मुक्ति का आनंद पाएं May 30, 2015 / May 30, 2015 | Leave a Comment -डॉ. दीपक आचार्य- हम सभी लोग स्वतंत्र हैं स्वतंत्रता का सुकून देने के लिए पैदा हुए हैं। लेकिन हममें से अधिकांश लोग इस सत्य को कभी नहीं स्वीकार पाते कि हम स्वतंत्र हैं और स्वतंत्रता का आनंद पाना हमारे ही बस में है। ईश्वर की बनाई हुई सृष्टि का प्रत्येक तत्त्व और इकाई अपने […] Read more » Featured आत्मबंधन तोड़ें मुक्ति का आनंद पाएं मुक्ति
विविधा इंसान हैं या द्वीप May 29, 2015 | Leave a Comment – डॉ. दीपक आचार्य- इंसानों की आत्मकेंद्रित और स्वार्थपरक फितरत देख कर यह साफ-साफ कहा ही जा सकता है कि आजकल इंसान दो किस्मों में बँटे हुए नज़र आने लगे हैं। सामाजिकता को अपनाने वाले सामाजिक प्राणी समाज या समुदाय में कुटुम्बियों और क्षेत्रवासियों के साथ हिल-मिल कर रहने में विश्वास करते हैं। दूसरी किस्म के इंसान सामाजिक प्राणी […] Read more » Featured इंसान इंसान हैं या द्वीप मनुष्य जीवन स्वार्थी
विविधा बेशर्म हैं नंगे-भूखे May 23, 2015 | 1 Comment on बेशर्म हैं नंगे-भूखे -डॉ. दीपक आचार्य- दुनिया में खूब सारे लोग हैं जिन्हें न किसी की परवाह है, न कोई लाज-शरम। इन लोगों के लिए मर्यादाओं, नियम-कानूनों और अनुशासन से लेकर जीवन के किसी भी क्षेत्र में संस्कारों का कोई महत्त्व नहीं है। हमारे लिए इंसान के रूप में पैदा हो जाना ही काफी नहीं है बल्कि इंसानियत […] Read more » Featured बेशर्म हैं नंगे-भूखे समाज संस्कृति
धर्म-अध्यात्म हम सब दोबारा मिलेंगे सांप की शक्ल में February 17, 2014 | Leave a Comment सांपों की तमाम प्रकार की किस्मों के बारे में साफ कहा जाता है कि जो लोग दूसरों की धन-दौलत और जमीन जायदाद चुराकर अपने नाम कर लिया करते हैं, अतिक्रमण कर लिया करते हैं, धन-सम्पत्ति के भण्डारण और रक्षण में ही जिन्दगी खपा देते हैं, हराम की कमाई, खान-पान और मलीन वृत्तियों से औरों को उल्लू बनाया करते हैं, सरकारी […] Read more » snakes we would be snakes हम सब दोबारा मिलेंगे सांप की शक्ल में
धर्म-अध्यात्म भगवान जब खुश होता है, नालायकों से दूर कर देता है January 4, 2014 / January 4, 2014 | Leave a Comment -डॉ. दीपक आचार्य- जो लोग अपने ईमान, धर्म और सत्य पर चलते हैं, उनके लिए जीवन की कई सारी समस्याओं को ईश्वर अपने आप दूर कर देता है। ईश्वर हमेशा अच्छे लोगों के साथ रहता है और उन्हें हर क्षण मदद भी करता है। हमारी पूरी जिन्दगी में कई सारे काम ऎसे हुआ करते हैं […] Read more » God नालायकों से दूर कर देता है भगवान जब खुश होता है
चिंतन जीवन में हमेशा बनी रहे चुनौती January 4, 2014 / January 4, 2014 | Leave a Comment -डॉ. दीपक आचार्य- आजकल इंसान की फितरत में कुछ ऎसी बातें आ गई हैं जिनकी वजह से उसके कर्मयोग की रफ्तार मंद होती जा रही है। उसे अब न जरूरी काम याद रहते हैं, न वह अपनी इच्छा से कोई ऎसे काम कर पाता है जो समाज और परिवेश के लिए जरूरी हों तथा […] Read more » Challenges should be continued in our Life जीवन में हमेशा बनी रहे चुनौती
चिंतन क्या अर्थ है धींगामस्ती भरी इस विदाई और स्वागत का December 30, 2013 / December 30, 2013 | Leave a Comment – डॉ. दीपक आचार्य- सारी दुनिया आज 2013 को विदाई देकर घुप्प रात के अंधेरे में कृत्रिम चकाचौंध के बीच नए वर्ष 2014 का स्वागत करने को उतावली, व्यग्र और उग्र बनी हुई है। अपना देश हो या दुनिया भर के मुल्क। सभी जगह पूरे दम-खम के साथ ऎसे आयोजन हो रहे हैं, जैसे कि वर्ष नहीं बल्कि पूरी दुनिया आज […] Read more » End of 2013 and welcome New Year क्या अर्थ है धींगामस्ती भरी इस विदाई और स्वागत का
विविधा औरों को दुःखी न करें, यह हिंसा से भी बढ़कर है November 26, 2013 | 1 Comment on औरों को दुःखी न करें, यह हिंसा से भी बढ़कर है डॉ. दीपक आचार्य हिंसा का यही मतलब नहीं है कि किसी की हत्या कर देना या हिंसक प्रवृत्तियों में लगे रहना। हिंसा का संबंध हिंसक मानसिकता और क्रूर व्यवहार से आरंभ होता है यही सूक्ष्म मानसिकता जब व्यवहार रूप में परिणत हो जाती है तब स्थूल आकार पाकर घृणित हो जाती है। आजकल हिंसा अपनाने […] Read more »